पंजाब चुनावों के नतीजों पर ‘जनता का रिपोर्टर’ अपनी विशेष कवरेज कर रहा है। ‘जनता का रिपोर्टर’ के प्रधान संपादक रिफत जावेद ने पंजाब में 800 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की और मतदाताओं की नब्ज़ टलोटते हुए ये पता लगाने का प्रयास किया कि इस बार पंजाब किसे सत्ता का ताज सौंपने वाला है।
अपने चुनावी अवलोकन में एक सवाल का जवाब देते हुए रिफत जावेद ने बताया कि एक महीने तक रखी जाने वाली ईवीएम मशीनों के साथ क्या छेड़छाड़ सम्भव है। उन्होंने अगाह किया कि बहुत सारे लोगों ने गोवा और पंजाब में बताया कि चुनाव तो अपने तय समय पर खत्म हो जाएगें लेकिन वोटों का गिनती शुरू की जाएगी 11 तारीख में। इस दौरान जो 1 माह से अधिक का समय है वहां ये ईवीएम मशीन कहीं ना कहीं तो रखी जाएगी।
पूर्व में जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे तो आम आदमी पार्टी ने पूरी तरह से इन मशीनों की निगरानी की थी क्योंकि उस समय एक-दो दिन की ही बात थी। लेकिन इस बार तो पूरे एक महीने का समय इसमेें लगने जा रहा है। कौन इनकी निगरानी करेगा? और अगर इन मशीनों की निगरानी नहीं कि गई तो क्या ये मुमकिन है की इन मशीनों से साथ छेड़छाड़ सम्भव हैं।
अगर ऐसा होता है तो ये एक बुरी खबर होगी। ये पंजाब और गोवा के मतदाताओं के साथ धोखा होगा। क्योंकि पूरे एक महीने का प्रश्न है। एक महीने तक निगरानी कैसे सम्भव है।
ये बात अब चुनाव में भाग ले रही इन पार्टियों पर निर्भर करती है कि वह किस प्रकार से इन मशीनों की निगरानी करने की व्यवस्था तैयार करेगी। जहां पर भी ये ईवीएम मशीनें रखी जाए वहां ये पार्टिया अपने स्वयसेवक और कार्यकर्ताओं को निगरानी के लिए रखें।
ये सिर्फ आम आदमी पार्टी के लिए ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी इसमें दखल दे। इसके अगर 24 घटें तक निगरानी करनी पड़े तो करें। वर्ना इनके लिए खुद अपने पांव में कुल्हाड़ी मारने वाली बात होगी।
Courtesy: Janta Ka Reporter