(बाबू जगजीवन राम के मार्गदर्शन में भारतीय सेना ने 1971 में पाकिस्तान को युद्ध के हर मोर्चे पर हराया था. उनकी स्मृति को याद करने की जरूरत बता रहे हैं सूरज यादव, जो मंडल कमीशन के रचियता बी.पी. मंडल के परिवार से हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी में इतिहास पढ़ाते हैं. यह आलेख उन्होंने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा है.)
1970 में, जब बाबू जगजीवन राम रक्षा मंत्री के रूप में पदभार संभाले थे तो युद्ध के बादल भारतीय क्षितिज पर थे। उन्होंने तुरंत अपनी तैयारी शुरू कर दी।
3 से 16 दिसम्बर 1971 के बीच लड़ी गयी भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत ने एक निर्णायक जीत हासिल की और पहली बार यह युद्ध लगभग पूरी तरह पहली बार पाकिस्तानी सरजमीं पर लड़ा गया। भारत ने पाकिस्तान के हजारों एकड़ पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान के लगभग एक लाख सैनिकों को भारतीय सेना के समक्ष हथियार और गोलाबारूद के साथ आत्मसमर्पण करना पड़ा और पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश बनाया गया था।
पर बाबूजी का शायद ही कोई अभिनन्दन समारोह हुआ हो। अलबत्ता जन संघ के नेता (आज भाजपा) अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गाँधी को 'दुर्गा' कह कर सम्मानित किया।
आज पाकिस्तान से सामना हुआ है तो, और विजय दशमी पर, हमारे बहादुर जवानों को सलूट करने के साथ साथ बाबू जगजीवन राम की स्मृति को नमन करने को दिल कर रहा है।
जय हिन्द।