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अगर इंटरव्यू में ‘खेल’ न होता तो एक दलित होता भारत का पहला IAS टॉपर

जे एन यू के साथी दिलीप यादव Dileep Yadav और अनिल मीणा Anil Meena प्रवेश में साक्षात्कार के सवाल पर संघर्षरत हैं।

साक्षात्कार और योग्यता पर एक जानकारी साझा करना चाहता हूँ। बात 1950 की है।

वैसे, 1950 से 2017 तक कुछ नही बदला। योग्यजन पर आज भी अयोग्य राज कर रहे हे।

1950 में ‘संघ लोक सेवा आयोग’ ( UPSC ) दिल्ली, ने' स्वतंत्र भारत' में प्रथम ‘I.A.S.’ परीक्षा आयोजित की इसमें, ‘एन. कृष्णन’ प्रथम व् ‘अनिरुध गुप्ता’ का, 22वां और ‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’ का सबसे अंतिम ‘48वां’ अर्थात ‘अंतिम’ स्थान आया । इसके साथ ही 'बंगाल' का, ‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’पहला ‘I.A.S.’ बना। लिखित परीक्षा में‘ अछूतानंद दास’ चमार ने 613 अंक लेकर ‘प्रथम’ स्थान लिया, एन. कृष्णन’ ने 602 और ‘ए. गुप्ता’ को 449 अंक मिले। 300 अंक का 'साक्षात्कार' (इंटरव्यू ) 'योग्यजन' द्वारा लिया गया ' । योग्यजन ने‘अछूतानंद दास', 'चमार' को केवल 110 अंक ही दिए ; व् 'एन. कृष्णन' को 260 अंक और 'ए. गुप्ता'को 265 अंक दिये । 'सामान्य ज्ञान' (जी.के.)की 100 अंकों की 'लिखित' परीक्षा में 'अछूतानंद दास', 'चमार' ने '79' अंक व् 'एन. कृष्णन' ने ‘69’ अंक और'ए. गुप्ता' केवल '40' अंक ही प्राप्त कर सका।'सामान्य ज्ञान' (जी.के.) की परीक्षा में 'अछूतानंद दास', 'चमार' ने, '79' अंक लेकर 'टॉप' किया ।यदि 'इंटरव्यू', योग्यजन' द्वारा नही लिया जाता या फिर 'इंटरव्यू', होता ही नहीं, तो 'अछूतानंद दास', 'चमार', 'स्वतंत्र भारत' की पहली 'I.A.S.' परीक्षा का 'टाँपर ' होता । 'एन. कृष्णन' का 48 वां स्थान और ‘अनिरुध गुप्ता’ कभी भी 'I.A.S.' न बनता ।इस तरह, 'एन. कृष्णन' को कुल = 931 अंक , 'ए. गुप्ता'को कुल = 754 अंक, तथा 'अछूतानंद दास', 'चमार',को कुल = 802 अंक प्राप्त हुए ।अब 'इमानदारी' से यह देखें कि, … यदि 'अछूतानंद दास', 'चमार', को भी दूसरों की तरह, 'इंटरव्यू', में 250अंक दिए जाते तो उसे ( 613+250+79 = 942 ) 942अंक मिलते तो वह ही 'टापर' होता । तथा कथित 'मेरिट' कैसे बनती है ? उसका यह केवल एक 'उदाहरण ' मात्र है।

देश में आज भी यही चल रहा हे। आज भी UPSC में आरक्षित वर्गों का इंटरवियू अलग से लिया जाता है जो नियम के विरुद्ध है ।

मेरिट सूचि का अवलोकन करे तो इंटरवियू के कारण जेनेरल मेरिट लिस्ट में धांधली आसानी से दिखेगी।

मूलतः आरक्षण मांग नहीं थी , वरन 'प्रथक निर्वाचन' थी | परंतु समझौते के तहत आरक्षण दी गई थी, जिसे छीनने की धमकी आरएसएस द्वारा लगातार दी जा रही है।

जय भीम, जय मंडल, जय भारत।

 
डॉ सूरज यादव, लेखक दिल्ली यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफ़ेसर हैं और बी पी मंडल के परिवार से हैं। 
 

 

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