नई दिल्ली। पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले पर पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने हाल ही में दिए अपने एक भाषण में सवाल उठाया था। अपने शासन काल में 'स्वैच्छिक घोषणा योजना' लागू करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा था कि सरकार ने अव्यवस्थित तरीके से नोटबंदी लागू की जिसके कारण लोगों को अकल्पनीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
एचडी देवगौड़ा ने कहा था, "हम काले धन के खिलाफ किए गए प्रयासों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मेरे विचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी तैयारी के नोटबंदी की घोषणा की। यह अव्यवस्थित तरीके से लागू किया गया।" इसी मुद्दे पर उनसे बात की है 'द हिन्दू' की वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता ने-
अपने भाषण में पीएम मोदी के नोटबंदी की तुलना पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के आपातकाल से करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि, "जब देश के बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था और प्रिवी पर्स समाप्त कर दिया गया था तब लोगों ने सोचा था कि देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उठाए गए इस बड़े कदम से गरीबों को लाभ होगा और देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो जाएगा। उसके बाद 1971 के हुए आम चुनावों में देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी को भर-भरकर वोट दिया और दो-तिहाई बहुमत से देश की सत्ता पर काबिज करा दिया।"
उन्होंने कहा कि, "यही नहीं सन् 1972 को हुए देश के विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगभग सभी राज्यों में कांग्रेस की जीत हुई थी। यहां तक की देश में विपक्ष का अभाव हो गया था। लोग इंदिरा गांधी के नारों पर आंख बंद करके विश्वास करते थे.. गरीबी हटाओ, बेरोजगारी हटाओ।
लगभग तीन साल तक इंदिरा गांधी की लोकप्रियता चरम पर थी लेकिन इसके बाद जब उन्होंने एक जनसभा में खपत पर अंकुश लगाने की बात कही थी तो लोगों ने उनके खिलाफ नारे लगाने शुरु कर दिए थे, यहां तक कि उस रैली से उन्हें निकालने के लिए पुलिस बल का प्रयोग करना पड़ा था।"
नोटबंदी के खिलाफ आपत्ति पर सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि, "17 नवंबर को मैने पीएम मोदी को इसके लिए एक पत्र लिखकर उनके इस फैसले का स्वागत किया था, लेकिन मैनें उनसे यह भी कहा था कि स्थिति का सही आकलन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से खातों से नकदी निकालने की सीमा और अन्य पहलुओं में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं, रोजाना कितने संशोधन, सुधार और बदलाव किए जा रहे हैं? बदलाव अभी भी जारी हैं।"
सरकार में खामियां निकालते हुए उन्होंने कहा कि उसने पहले गोल्ड बांड शुरू किए, जिसका कोई परिणाम नहीं निकला। फिर वह आय घोषणा योजना लेकर आए जिसके तहत 65,000 करोड़ रूपए घोषित किए गए। गौड़ा ने कहा, इसके बावजूद सरकार पूरी तरह से इस तथा-कथित कालाधन को निकालने में असफल रही है।
उन्होंने सवाल किया, अब अचानक प्रधानमंत्री के दिमाग में और एक विचार आया है… किसने उन्हें सलाह दी? क्या उन्होंने किसी सहकर्मी से सलाह ली? उन्होंने कहा, अब सरकार आयकर संशोधन विधेयक को भी आगे बढ़ा रही है।
लोगों की परेशानी पर बात करते हुए उन्होंने नकदी निकासी की अधिकतम सीमा की आलोचना करते हुए सवाल किया कि वेतनभोगी व्यक्ति भी अपनी इच्छानुसार नकदी क्यों नहीं निकाल सकता? देवगौड़ा ने कहा, मेरे पास वेतन-खाता है लेकिन मैं नकदी नहीं निकाल सकता क्योंकि प्रतिमाह निकासी की अधिकतम सीमा 24,000 रूपए है।
पिछले 70 वर्षों से जमा कालाधन को बाहर निकालने संबंधी मोदी की टिप्पणी पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि बयान से उन्हें दुख पहुंचा है, इसने सभी पूर्व सरकारों की नकारात्मक छवि बना दी है।
उन्होंने कहा, यह कालाधन किसने बनाया? क्या हम सभी शामिल हैं? क्या अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हैं? क्या हम सभी इस कालाधन के सृजन के लिए जिम्मेदार हैं? इस टिप्पणी ने मुझे दुख पहुंचाया है।
भारत को कैशलेस समाज बनाने संबंधी मोदी के अभियान पर पूर्व पीएम ने कहा, "मुझे नहीं पता कि प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा होगा या नहीं। लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि पीएम मोदी की नोटबंदी का फैसला सफल नहीं हुआ तो वह बरबाद हो जाएंगे।"
भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का लंबी अवधि के प्रभाव के बाबत सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि जीडीपी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा और जीडीपी काफी समय के लिए नीचे चली जाएगी। यही नहीं रुपया दिनोदिन कमजोर होता जाएगा। गरीबों की समस्याएं बढ़ती जाएंगी, बेरोजगारी बढ़ेगी। प्राइवेट सेक्टर के लोगों की नौकरी जाने का खतरा पैदा हो जाएगा।
Courtesy: National Dastak