अंबानी की लग गई लॉटरी, राफ़ेल सौदे के एवज़ में मिलेगा अरबों का ठेका

नई दिल्ली। उरी अटैक के बाद राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसो एविएशन के साथ हुई डील में मुकेश अंबानी की रिलायंस को सबसे ज्यादा लाभ मिला है। देश में निजी रक्षा उद्योग के क्षेत्र में हुए एक बड़े सौदे के तहत अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह तथा राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसो एविएशन ने जॉइंट वेंचर लगाने की घोषणा की। यह संयुक्त उद्यम लड़ाकू जेट सौदे के तहत 22,000 करोड़ रुपये के 'ऑफसेट' कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।

Ambani and Modi
 
रिलायंस डिफ़ेंस को पिछले ही महीने रक्षा प्रोजेक्ट के ठेके लेने की मंज़ूरी मिली है। 16 सितंबर को रक्षा मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति दी। कई कंपनियाँ इसके लिए क़तार में थीं पर बाज़ी रिलायंस डिफ़ेंस के हाथ लगी। इसके 18 दिन बाद ही रिलायंस डिफ़ेंस को राफ़ेल सौदे के एवज़ में मिलने वाले ठेकों में सबसे बड़ा हिस्सा मिल गया। रिलायंस डिफ़ेंस के शेयर भाव आज लगभग साढे आठ परसेंट ऊपर उछल गए। 
 
पढ़िए खबर
 
इस खबर के बाद रिलायंस के शेयर भी तेजी से बढ़ गए हैं। गौरतलब है कि अनिल अंबानी की रिलायंस ने पिछले साल ही डिफेंस सेक्टर में कदम रखा है। सालभर के अंदर ही क्लियरेंस मिलने के साथ ही भारी-भरकम ठेका हाथ लग गया। 
 
भारत और फ्रांस के 23 सितंबर को 36 राफेल लड़ाकू जेट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद संयुक्त उद्यम दसो रिलायंस एयरोस्पेस गठित किए जाने की घोषणा हुई है। लड़ाकू विमान का यह सौदा 7.87 अरब यूरो (करीब 59,000 करोड़ रुपये) का है। 'ऑफसेट' कॉन्ट्रैक्ट के तहत संबंधित कंपनी को सौदे की राशि का एक निश्चित प्रतिशत लगाना पड़ता है। समझौते में 50 प्रतिशत ऑफसेट बाध्यता है जो देश में अब तक का सबसे बड़ा 'ऑफसेट' अनुबंध है।  

'ऑफसेट' समझौते का मुख्य बिंदु यह है कि 74 प्रतिशत भारत से आयात किया जाएगा। इसका मतलब है कि करीब 22,000 करोड़ रुपये का सीधा कारोबार होगा। इसमें टेक्नॉलजी पार्टनरशिप की भी बात है जिस पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ चर्चा हो रही है। राफेल सौदे में अन्य कंपनियां भी हैं जिनमें फ्रांस की एमबीडीए तथा थेल्स शामिल हैं। इनके अलावा सैफरॉन भी ऑफसेट बाध्यता का हिस्सा है।
 
दोनों कंपनियों के संयुक्त बयान के अनुसार इन ऑफसेट बाध्यताओं के लागू करने में संयुक्त उद्यम दसो रिलायंस एयरोस्पेस प्रमुख कंपनी होगी। रिलायंस समूह रक्षा क्षेत्र में जनवरी 2015 में आया। ऐसे में यह समझौता समूह के लिए उत्साहजनक है। बयान के अनुसार, 'नया संयुक्त उद्यम दसो रिलायंस एयरोस्पेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया अभियानों को गति देगा। साथ ही हाई टेक्नॉलजी ट्रांसफर के साथ बड़े भारतीय कार्यक्रम का विकास करेगा जिससे पूरे एयरोस्पेस क्षेत्र को लाभ होगा।'

Courtesy: National Dastak

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