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आंध्र प्रदेश में ब्राह्मणों के तुष्टिकरण में जुटी सरकार

आंधप्रदेश में तो ऐसा लगने लगा है कि सरकार को केवल ब्राह्मणों के हितों की ही चिंता है। समाज के कमज़ोर, और शोषित तबकों को छोड़कर, राज्य सरकार ब्राह्मणों के लिए अनेक तरह की योजनाएँ चला रही है, जिनके लिए धन की माँग लगातार बढ़ती जा रही है।


Image: thehansindia.com


आंध्र प्रदेश में इसके लिए ब्राह्मण कल्याण निगम गठित किया गया है, जो तरह-तरह की योजनाएँ चलाकर ब्राह्मणों को हर तरह की मदद करने में लगा है। हालात यहाँ तक हो गए हैं कि आंध्र प्रदेश ब्राह्मण कल्याण निगम ने सरकार से निगम की योजनाओं के लिए बजट दुगुना करने की माँग कर दी है।

खास बात ये है कि विशुद्ध जातीय आधार पर गठित इस निगम का काम केवल ब्राह्मणों की मदद करना है, लेकिन इसको न तुष्टिकरण कहा जा रहा है और न ही कहीं से ये आवाज उठ रही है कि अन्य जातियों के लिए भी ऐसी योजनाएँ चलनी चाहिए।

निगम के अध्यक्ष और पूर्व मुख्य सचिव आई वाई आर कृष्णा राव बताते हैं कि ब्राह्मण कल्याण निगम निर्धन ब्राह्मणों को स्वरोजगार शुरू करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने जा रहा है, जिसके लिए अतिरिक्त धन की जरूरत पड़ेगी। हितग्राहियों की सुविधा के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया चालू है।

आंध्रप्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों की हालत भले ही बदहाल हो, लेकिन ब्राह्मणों के लिए अनेक योजनाएँ चल रही हैं और उनके लिए धन की कमी यथासंभव नहीं होने दी जाती। कृष्णा राव बताते हैं कि इस साल उन्हें अब तक 24,000 आवेदन मिल चुके हैं, जिनमें से 10,000 आवेदन बैंकों को अग्रेसित किए जा चुके हैं।

ब्राह्मण कल्याण निगम अपनी योजनाओं के जरिए ब्राह्मण ऋषि-मुनियों को भी महिमा मंडित करने में लगा है। निर्धन ब्राह्मण युवाओं को प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए वशिष्ठ योजना शुरू की गई है।

बेरोजगार ब्राह्मण युवाओं के कौशल विकास के लिए द्रोणाचार्य योजना और युवा उद्यमियों के लिए चाणक्य योजना संचालित की जा रही है।

इसी तरह, से बुजुर्ग ब्राह्मणों के लिए चरक योजना नाम से स्वास्थ्य बीमा योजना भी चलाई जा रही है।

प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के लिए गायत्री और भारती योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिनके तहत आर्थिक सहायता दी जाती है।

इसी तरह से कश्यप योजना और गरुड़ योजना भी हैं जिनका लाभ केवल ब्राह्मणों के लिए संचालित हैं।
 
खास बात ये है कि विशुद्ध जातीय आधार पर गठित इस निगम का काम केवल ब्राह्मणों की मदद करना है, लेकिन इसको न तुष्टिकरण कहा जा रहा है और न ही कहीं से ये आवाज उठ रही है कि अन्य जातियों के लिए भी ऐसी योजनाएँ चलनी चाहिए।

आंध्र प्रदेश में सरकार ब्राह्मणों के तुष्टिकरण में जुटी हुई है। आंध्र प्रदेश ब्राह्मण कल्याण निगम की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक  ब्राह्मणों के लिए किन-किन  योजनाओं को लागू किया गया है, नीचे पढ़ें-
 
1. गायत्री योजना- इस योजना के तहत स्कूल / कॉलेज / संस्थान/ विश्वविद्यालय की टॉपर/ एसएससी के पूरा होने के बाद इंटरमीडिएट या समकक्ष स्नातक / व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम/ स्नातकोत्तर वाले ब्राह्मण छात्रों को फायदा हो सके।
 
2. भारती योजना-इसमें पहली कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा में पढ़ रहे छात्रों, पीजी करने के लिए इंटरमीडिएट में पढ़ रहे छात्रों और जो छात्र विदेशों में एमएस की पढ़ाई कर रहे है उनके लिए यह योजना है।
 
3. अनाथ योजना- जो ब्राह्मण बच्चे अनाथ है इस स्कीम से उन बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
 
4. वशिष्ठ योजना- जो ब्राह्मण छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं कि तैयारी कर रहे है वह इस योजना से लाभ उठा सकते है।
 
5.द्रोणाचार्य योजना- जो ब्राह्मण छात्र बेरोजगार है वह अपने कौशल विकास को बढ़ाने के लिए इस योजना की मदद ले सकते है।
 
6. चाणक्य योजना- उद्यमशीलता के लिए और उद्यमी ब्राह्मण युवक इस योजना का लाभ ले सकते है।
 
7. चरक योजना- इस योजना में 50 साल से ऊपर के ब्राह्मण लोगों का स्वास्थ्य बीमा कराया जाता है।
 
8. कश्यप योजना- खाद्य और आश्रय के लिए इस योजना को आंध्र प्रदेश ब्राह्मण निगम ने शुरु किया है। इसमें जो ब्राह्मण बच्चे अनाथ है, जो बच्चें शारिरिक रूप से अक्षम है वह, विधवाओं और जो लोग बुजुर्ग है उनके लिए यह योजना है।
 
9. गरुड़ योजना- इस योजना के तहत ब्राह्मणों के अंतिम संस्कार के लिए खर्च देना का प्रवाधान है।
 
10. भार्गव योजना- मिलान अनुदान के लिए  जो लोग श्रेष्ठ होते है या किसी संगठनों से जुड़े होते है वह इस योजना के तहत जुड़े होते है।
 
 

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