एक आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं से जुड़े खर्च को सार्वजनिक करने पर पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने सुरक्षा कारण बताते हुए जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया।
जबकि सूचना आयोग इस जुगत में है कि इस जानकारी से सम्बधित बिलों को किस प्रकार से सार्वजनिक किया जा सकता हैं। ज्ञात हो कि मई 2014 में पद संभालने के बाद से पीएम मोदी अभी तक चालीस देशों की यात्रा कर चुके हैं।
लोकेश बत्रा नामक आरटीआई कार्यकर्ता ने इन जानकारियों की मांग इसलिए की है क्योंकि वह जानना चाहते थे पीएम मोदी की इन यात्राओं से जुड़े बिलों को पास करने में इतनी देरी क्यों होती हैं।
क्योंकि इस देरी के कारण राष्ट्रीय हवाई सेवा एयर इंडिया को काफी मंहगी पड़ रही है। जिसका कारण है कि बिलों का भुगतान समय पर नहीं होता हैं।
एनडीटीवी की खबर के अनुसार सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से जुड़ी फाइलें मंगवाई है। आयोग जानना चाहता है कि इन यात्राओं पर कितना खर्च हुआ है और आयोग ही यह तय करेगा कि क्या पीएम की विदेश यात्रा के खर्चे से संबंधित रिकॉर्ड और एयरक्राफ्ट चार्टर बिलों को पास करने की प्रक्रिया का सूचना के अधिकार के तहत खुलासा किया जा सकता है।
बत्रा ने एनडीटीवी से कहा एयर इंडिया गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही है और मैं जानना चाहता हूं कि अलग अलग दौर में राष्ट्रीय हवाई सेवा के बिलों को क्लियर होने में इतना वक्त क्यों लगता रहा है।
जबकि पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने सुरक्षा कारण बताते हुए जानकारी साझा करने से मसा कर दिया। इसके बाद सूचना आयोग ने पीएमओ से एक प्रतिनिधित्व फाइल 18 नवंबर तक पेश करने के लिए कहा है।
अभी 18 नवंबर तक सूचना आयोग को प्रतीक्षा करनी होगी तब ही पता चला पाएगा कि पीएम मोदी की इन विदेश यात्राओं में कितना कितना खर्च आया है। लेकिन ये जानकारी सब ही सार्वजनिक की जा सकती है तब सूचना अयोग को लगेगा कि इससे किसी तरह के सुरक्षा कारण पर आंच तो नहीं आती।
Courtesy: Janta Ka Reporter