बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले बढ़ते जा रहे हैं। इन हमलों से देश का सेक्यूलर समाज बेहद चिंतित है। बांग्लादेश के प्रमुख अखबार ‘ढाका ट्रिब्यून’ ने देश के इस हालात पर चिंता जताते हुए सांप्रदायिकता के खिलाफ उठ खड़े होने की अपील है। अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है-
Image: Dhaka Tribune
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। ऐसे में हर विवेकशील बांग्लादेशी नागरिक को उनकी हिफाजत के लिए उठ खड़ा होना चाहिए। हरेक बांग्लादेशी को इस वक्त उनके कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की जरूरत है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सत्ताधारी पार्टी ने जो कदम उठाया है उसकी तारीफ करनी होगी। वैसे भी ऐतिहासिक रूप से यह पार्टी बहुलतावादी और अल्पसंख्यक के अधिकारों की संरक्षक रही है। पार्टी देश में कट्टरपंथी और अतिवादियों को खिलाफ मजबूत राजनीतिक ताकत रही है।
यह देखना अच्छा है कि ब्राह्मणबाड़िया के नसीरनगर में हिंदुओं के छह घरों को जला डालने के मामले में अवामी लीग ने अपने तीन नेताओं को निलंबित कर दिया है। हालांकि सरकार और पार्टी की ओर से कुछ और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
सरकार को यह साफ कर देना होगा कि इस भयानक दौर में वह हिंदू समुदाय के साथ है। उनके खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी।
मुश्किल वक्त में हिंदुओं के साथ खड़े रहने के सरकार के संदेश का बड़ा असर होगा। लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हिंसा की ये घटनाएं दोबारा न हों।
धार्मिक कट्टरपंथी लोगों के बीच विभाजन के बीज बो रहे हैं। वे फर्जी ऑनलाइन पोस्ट और समाज के बांटने वाले संदेशों से तेजी से नफरत फैला रहे हैं। वे लोगों को बांटने वाले ऐसे प्रोपगंडा कर रहे हैं, जिनसे अल्पसंख्यक समुदायों को कठघरे में खड़ा किया जा सके । लेकिन हम देश को बांटने वाले नफरत को फैलने की इजाजत नहीं दे सकते।
बांग्लादेश की नींव धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर रखी गई थी। संविधान में धर्मनिरपेक्षता का पालन करने की बात लिखित रूप में है। बांग्लादेश के हर नागरिक को कानून का संरक्षण हासिल है। उसे देश में बगैर किसी भय के रहने के अधिकार हैं। उसके पास सांप्रदायिक हमलों से खुद को बचाने का अधिकार है।
देश इस वक्त संकट के दौर से गुजर रहा है। लिहाजा एकता सबसे जरूरी चीज है।
देश का भविष्य खतरे में है।