बदलता दौर: ‘मनुस्मृति दहन दिवस’ पर ओबीसी वर्ग के 5000 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म

 

 बदलता दौर: 'मनुस्मृति दहन दिवस' पर ओबीसी वर्ग के 5000 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म 
 

नागपुर। महाराष्ट्र की दीक्षाभूमि में 14 अक्टूबर 1956 में हुई ऐतिहासिक धर्मांतरण की यादें उस समय ताजा हो गई जब रविवार, 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर राज्य और बाहर के सैकड़ों ओबीसी वर्ग के लोगों एंव 'वी लव बाबासाहेब' संगठन के युवाओं ने दीक्षाभूमि पर बौद्ध धर्म स्वीकार किया। बौद्ध धम्म का संदेश देने वाले ओबीसी नेता हनुमंत उपरे के निधन के बाद उनके पुत्र ने लाखों ओबीसी बंधुओं को मूल धर्म में लौटने का आह्वान किया। 
 
राज्य के सभी जिलों के ओबीसी समाज ने धर्मांतरण समारोह के लिए पंजीयन कराया था। राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्यों के भी ओबीसी व अनुसूचित जाति के लोगो ने दीक्षाभूमि पर धर्मांतरण किया। इसके पहले सुबह 12 बजे संविधान चौक से धम्म रैली निकाली गई। 
 
रैली में सबसे आगे भिक्षु, उनके पीछे धम्मदीक्षा लेने वाले ओबीसी समाज के लोग तथा उपासक-उपासिकाएं चले। रैली में बहुत हर्षोल्लास का वातवरण देखा गया। गौरतलब है कि 2006 में साहित्यकार लक्ष्मण माने ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था।
 
 

आपको बता दें कि धर्म ग्रहण करने का यह पहला चरण था। पहले चरण में ही हजारों लोगों बौद्ध धर्म में प्रवेश किया। इसके बाद चरणबद्ध ढंग से 3744 जातियों के 10 लाख ओबीसी समाज के लोग बौद्ध धर्म स्वीकार करेंगे। 
 
सत्यशेधक ओबीसी परिषद तथा सार्वजनिक धम्मदीक्षा परिषद दीक्षाभूमि द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई के हाथों दोपहर 3 बजे धम्मदीक्षा समारोह प्रारम्भ हुआ। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति के कार्यवाहक सदानंद फुलझेले प्रमुखता से उपस्थित रहें। 
 
धर्मांतरण करने वालों को बुद्ध एंड हीज धम्म, धम्मविधि पूजा-पाठ, 22 प्रतिज्ञा तथा बुद्ध की मूर्ति भेंट की गई। संदीप हनुमंतराव उपरे एंव उनके परिवारजनो के साथ ओबीसी बंधुओं ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

Courtesy: Nationaldastak

 

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