लखनऊ। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने एक ओर अदालत से बरी हुए मुसलिम युवकों के विरुद्ध कोर्ट में अपील की, वहीं अपने और बीजेपी के बड़े नेताओं को पाक साफ कराने के लिए कोर्ट गई। एक रिपोर्ट में सामने आया है कि अखिलेश सरकार ने पिछले पांच सालों में लगभग 19 केसों को खत्म करने के लिए कोर्ट का रुख किया। ये केस राज्य के विभिन्न सीनियर नेताओं पर थे।
इन केसों में कथित अपराध, दंगे, धोखाधड़ी, अपहरण से जबरन वसूली, यहां तक कि एक पर तो गैर इरादतन हत्या की भी मामला था। समाजवादी पार्टी की सरकार ने सिर्फ अपनी पार्टी के नेताओं पर लगे केसों को खत्म करने के लिए नहीं कहा। जिन लोगों के केस खत्म करने की गुजारिश सरकार ने की उनमें सपा के 10 विधायकों के अलावा, बीजेपी सांसद राम शंकर कठेरिया और बीजेपी के सीनियर नेता और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का भी नाम शामिल है।
इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में यूपी सरकार के कई अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की। कहा गया कि प्रशासन ने ही केस वापस लेने की अर्जी दी थी। वहीं इसकी वजह किसी ने साफ तौर पर नहीं बताई। सब चुनाव के दबाव की बात करते रहे। प्रमुख सचिव (गृह) देबोशीश पांडा ने इन केसों पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। सरकार की तरफ से बात करते हुए सपा के कैबिनट मिनिस्टर और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘मेरे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।’
जिन लोगों पर लगे केसों को हटाने के लिए राज्य सरकार ने कहा उसमें राजा भैया, सपा विधायक अभय सिंह, विजय मिश्रा का नाम शामिल है। लिस्ट में सपा के जिन नेताओं के नाम शामिल थे उनमें से विजय मिश्रा और भगवान शर्मा को छोड़कर बाकियों को अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट भी दी है। यूपी में सात चरणों में वोटिंग होगी। पहली वोटिंग 11 फरवरी को होगी। चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे।
आपको बता दें कि यूपी में अखिलेश के पांच साल के कार्यकाल में छोटे-बड़े लगभग 500 दंगे हुए। इसके साथ ही हत्या, बलात्कार के मामले भी चरम पर रहे। सपा पर भाजपा के साथ मिलीभगत के भी आरोप लगते रहे। तमाम दंगों के बावजूद भी बीजेपी ने कभी राष्ट्रपति शासन लगाने की बात नहीं कही। जबकि कांग्रेस शासित राज्यों, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। उत्तराखंड के मामले में भाजपा को कोर्ट की फटकार भी खानी पड़ी।
Courtesy: National Dastak