ब्रिटेन के चैरिटी कमीशन ने एचएसएस को चेताया, आरएसएस से दूर रहने की दी हिदायत
ब्रिटेन के चैरिटी कमीशन ने वहां के एक हिंदू चैरिटी संगठन हिंदू स्वयंसेवक संघ (एचएसएस) को आरएसएस से दूरी रखने की हिदायत दी है। चैरिटी कमीशन के सामने एक स्टिंग ऑपरेशन से इस बात का खुलासा हुआ कि दक्षिणपंथी हिंदू संगठन आरएसएस से ताल्लुक रखने वाला एक वक्ता एचएसएस के एक कैंप में मुस्लिमों और इसाइयों के खिलाफ बोल रहा है। इस कैंप में युवा लोग भागीदारी कर रहे थे।
इस बारे में ब्रिटेन के चैरिटी कमीश्नर की रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।
रिपोर्ट 2 सितंबर को जारी की गई थी।
इस खोजी टीवी रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि हिंदू स्वयंसेवक संघ (ब्रिटेन) के एक शिविर में आरएसएस से ताल्लुक रखने वाला वक्ता कुछ स्टूडेंट्स के सामने ईसाइयों और मुस्लिमों के खिलाफ बोल रहा है। इसके बाद चैरिटी कमीशन ने मामले की जांच की और फिर जब उसने इसे सही पाया तो हिंदू स्वयंसेवक संघ को चेतावनी दी गई। हिंदू स्वयंसेवक संघ यानी एचएसएस के इस शिविर में स्टूडेंट्स हिस्सा ले रहे थे।
चैरिटी कमीशन ने कहा कि हिंदू चैरिटी संगठन में प्रबंधन की खामियां साफ दिखी हैं। हिंदू स्वयंसेवक संघ टीवी प्रोग्राम में दिख रहे वक्ता पर निगरानी रखने में नाकाम रहा है। हालांकि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि वक्ता की ओर से ईसाइयों और मुस्लिमों के खिलाफ व्यक्त किए जा रहे विचार क्या एचएसएस के अंदर सांस्थानिक और व्यवस्थित तौर पर फैलाए जा रहे हैं। फिर भी एचएसएस को आरएसएस से दूरी बनाने के लिए कहा गया है।
इनक्वायरी रिपोर्ट – हिंदू स्वयंसेवक संघ नाम से आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पड़ताल में आरएसएस से संबंध रखने वाले वक्ता की ओर से की गई टिप्पणी के अलावा और कोई सबूत नहीं मिला है। लेकिन जांच के बाद हिंदू स्वयंसेवक संघ के ट्रस्टियों से कहा गया है कि वे इसे सुनिश्चत करने के लिए कदम उठाएं कि संगठन और इसके कामकाज पर आरएसएस का कोई प्रभाव या नियंत्रण न रहे। अगर किसी निजी संपर्क की वजह से आरएसएस से संबंध की बात आती है तो फिर चैरिटी (एचएसएस) से इसे अलग रखा जाए। इससे एचएसएस और इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कमीशन ने आरएसएस और हिंदू स्वंयसेवक संघ के रिश्तों को लेकर कई सवाल किए हैं। इस पर ट्रस्टियों का कहना था कि एचएसएस न तो आरएसएस को फंड देता है और न उससे लेता है। दोनों संगठन पूरी तरह अलग हैं। दोनों एक दूसरे से पूरी तरह स्वतंत्र हैं और एक दूसरे पर किसी भी तरह निर्भर नहीं हैं।
इस साल 18 फरवरी को ब्रिटेन के आईटीवी नेटवर्क पर हार्डकैश प्रोडक्शन ने चैरिटीज विहेविंग बैडली नाम से एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी। इसमें हियरफोर्डशायर में आयोजित एचएसएस के एक यूथ कैंप में आयोजित कार्यक्रम के सवाल-जवाब सेशन के दौरान एक वक्ता अन्य धर्मों के खिलाफ टिप्पणी करता हुआ दिख रहा है।
इस प्रसारण के बाद ही चैरिटी कमीशन ने एचएसएस के कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ता की ओर से की गई टिप्पणी की जांच शुरू कर दी थी। 3 सितंबर को जांच के निष्कर्षों का ऐलान करते हुए कहा गया कि चैरिटी की प्रबंधन व्यवस्था में खामियां साफ दिखी है। इस मामले में प्रबंधन की अपनी नीतियों और निर्देशों का ही पालन नहीं हुआ। वक्ता के कार्यक्रमों में भाग लेने की प्रक्रिया का ठीक तरह से पालन नहीं हुआ। इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया गया कि कार्यक्रम के दौरान लगाई कई कक्षा (शिविर या कार्यक्रम) में पर्याप्त रूप से वयस्कों की भागीदारी हो। पर्याप्त निगरानी और देखरेख भी नहीं हुई।
चैरिटी कमीशन की जांच, निगरानी और प्रवर्तन निदेशक मिशेल रसेल ने मीडिया से कहा- जो चैरिटी संगठन लगातार वक्ताओं को अपने कार्यक्रम में बुलाते हैं, उन्हें कार्यक्रमों और अतिथि वक्ताओं से जुड़े जोखिमों (जैसा कि आरएसएस के वक्ता के भाषण देने के कारण हुआ) से पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी। खास कर वहां जहां श्रोताओं या दर्शकों की संख्या बहुत ज्यादा या कम हो।
रसेल ने कहा कि यह मामला यह आगाह करता है कि चैरिटी संगठन के पास न सिर्फ युवाओं को इस तरह की गतिविधियों (आरएसएस वक्ता की ओर से ईसाइयों और मुस्लिमों के खिलाफ भाषण देने जैसी घटना) से बचाने की पर्याप्त प्रक्रिया और नीतियां हों, बल्कि उन्हें व्यावहारिक तौर पर अमल में भी लाया जाए।
रसेल के मुताबिक चैरिटी के ट्रस्टियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि संगठन के लिए काम करने वाले या इससे जुड़ाव से लाभ लेने वालों को इससे कोई नुकसान न पहुंचे। उनका यह कानूनी दायित्व होगा कि वे नियमों का पालन करते हुए काम करें और अपने अधिकारों के दायरे में यह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटना दोबारा न हो। हालांकि एचएसएस ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डॉक्यूमेंटरी में जैसा दिखाया गया है, वैस बुरा आचरण संगठन का नहीं है।
एचएसएस के बयान में कहा गया है कि संगठन चैरिटी कमीशन की जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लेता है। वह यह मानता है कि एक घटना के संबंध में इसे अपनी कुछ नीतियों को ठीक ढंग से लागू करने के लिए कहा गया। एचएसएस हमेशा उच्च मानदंडों को अपनाने के लिए प्रयासरत रहा है। सिर्फ एक घटना में ऐसा नहीं हो सका।
एचएसएस ने अपनी दलीलों के समर्थन में कहा- चैरिटी कमीशन का यह निष्कर्ष अहम है कि संगठन के बीच इस तरह के कट्टर विचारों को बढ़ावा देने की कोई सांस्थानिक या व्यवस्थित कोशिश नहीं होती। जबकि हार्डकैश प्रोडक्शन के प्रसारण में ऐसा दिखाने की कोशिश की गई। एचएसएस के कार्यक्रम में जो हुआ वह इस तरह की एक मात्र घटना थी। जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला( सिर्फ एक टिप्पणी के, जिसे अंडरकवर रिपोर्टर ने कवर किया था। टिप्पणी करने वाला वक्ता न तो एचएसएस का ट्रस्टी था न ही एचएसएस ,यूके का प्रतिनिधि), जिससे संगठन के साथ आरएसएस का कोई रिश्ता साबित हो सके। संगठन के साथ आरएसएस का कोई वित्तीय या गवर्नेंस संबंधी जुड़ाव नहीं निकला और न ही इस पर उसका कोई असर साबित हुआ।
एचएसएस की स्थापना 1966 में हुई थी और 1974 में यह ब्रिटेन में चैरिटी के तौर पर रजिस्टर्ड हो गया। ब्रिटेन में 10,000 हिंदुओं तक इसकी पहुंच है। संगठन ने इस साल अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया था।
बैकग्राउंड
वर्ष 2000 में चैरिटी कमीशन की ओर से शुरू की गई जांच में एचएसएस और सेवा इंटरनेशनल के कुछ प्रतिबंधित संगठनों से संबंधों की बात सामने आई थी। इसके बाद ही दोनों संगठनों की गतिविधियां जांच के दायरे में थीं। पिछले साल कमीशन के स्टाफ ने यह देखने के लिए वीजा मांगा था कि गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए राहत कार्यों के नाम पर इकट्ठा चंदा का किस तरह इस्तेमाल हुआ है। लेकिन भारत सरकार ने उन्हें वीजा नहीं दिया।
चैरिटी कमीशन के एक प्रवक्ता ने मीडिया से कहा कि हमारी प्रमुख चिंता यह थी कि एचएसएसकी ओर से चैरिटी के तौर पर इकट्ठा किए गए फंड का समुचित उपयोग हो। हमने अंतरराष्ट्रीय संगठन आरएसएस के साथ संगठन के चैरिटी कनेक्शन की जांच की है। आरएसएस को भारत सरकार एक बार प्रतिबंधित कर चुकी है। हमें इसके कुछ दस्तावेजी सबूत मिले हैं। अब हम ट्रस्टियों से और जानकारी का इंतजार कर रहे हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह फंड लिसेस्टर स्थित रजिस्टर्ड चैरिटी संगठन एचएसएस और इसकी ओर से फंड इकट्ठा करने वाई इकाई सेवा इंटरनेशनल की ओर से जुटाया गया है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एचएसएस और सेवा इंटरनेशनल आरएसएस की ब्रिटेन स्थित शाखाएं हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में आरएसएस के विभिन्न संगठनों तक पैसा पहुंचाना है। भले ही ये संगठन को खुद को गैर सांप्रदायिक, गैर धार्मिक, राजनीतिक और पूरी तरह मानवतावादी क्यों न करार दें।