देश में आर्थिक मंदी का दौर, सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी L&T ने निकाले 14000 कर्मचारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की खराब आर्थिक नीति की वजह से देश में आर्थिक मंदी का दौर लौट आया है। आर्थिक मंदी का असर अब तेजी से दिखने लगा है, जिसकी मार आम आदमी पर तेजी से पड़ रही है। आर्थिक मंदी का सबसे बुरा प्रभाव देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन ऐंड टर्बो के कर्मचारियों पर पड़ा है। लार्सन ऐंड टर्बो ने मंदी का हवाला देकर बड़ी छंटनी करते हुए अपने यहां काम करने वाले 14,000 कर्मचारियों को निकाल दिया है। 

L&T
 
लार्सन ऐंड टर्बो ने 14,000 स्थायी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, यानि वहां काम करने वाला हर 9वां स्थायी कर्मचारी बाहर हो चुका है। कंपनी ने अपने अस्थाई कर्मचारियों की कोई सूची जारी नहीं की है। इसलिए अस्थाई कर्मचारियों के निकाले जाने का कोई हिसाब नहीं है। यह पिछले छह महीने में हुआ है।
 
इकॉनामिक टाइम्स की खबर के अनुसार, लार्सन ऐंड टर्बो ग्रुप का कहना है कि ये कदम बिजनेस में आई मंडी के चलते उठाया गया है। कंपनी का कहना है कि बिजनेस में आई मंदी के चलते अपने वर्कफोर्स को सही लेवल पर लाने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया गया है। कंपनी का कहना है कि ग्रुप में डिजिटाइजेशन के चलते बड़ी संख्या में कर्मचारियों के लिए कोई काम नहीं बचा था, जिसके चलते यह छंटनी की गई है। आश्चर्य करने वाला यह आंकड़ा कंपनी के कुल वर्कफोर्स के 11.2 प्रतिशत के बराबर है।

लार्सन ऐंड टर्बो के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) आर. शंकर रमन ने कहा, ‘कंपनी ने अपने कई बिजनेस में स्टाफ की संख्या सही स्तर पर लाने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। हमने डिजिटाइजेशन और प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने के मकसद से जो उपाय किए थे, उसके चलते कई नौकरियों की जरूरत नहीं रह गई थी। इसके चलते ग्रुप ने 14000 कर्मचारियों की छंटनी की है।’
 
लार्सन ऐंड टर्बो मैनेजमेंट का अनुमान है कि आने वाले महीनों में आर्थिक वातावरण चुनौतीपूर्ण रह सकता है। हालांकि सरकारी ऑर्डर्स में तेजी आने से प्राइवेट सेक्टर की सुस्ती की भरपाई हो जाएगी। रमन ने कहा कि छंटनी एक तरह का भूल सुधार अभियान है और इसको आगे होने वाली घटना के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
 
गौरतलब है, ग्राहकों की तरफ से मिल रहे ऑर्डर टाल दिये जाने, ऑयल के दामों में आ रही गिरावट और खाड़ी देशों में बहुत ज्यादा आर्थिक सुस्ती आ जाने से कंपनी को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

Courtesy: National Dastak
 

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