दिल्ली। "बहुत हुई महँगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार " जैसे नारे के साथ जब भाजपा चुनाव प्रचार कर रही थी , उस वक़्त युवाओं को लगा था की शायद अब उनके लिए रोजगार के दरवाजे खुल जाएंगे । पर हुआ उसके उलट प्रधानमन्त्री मोदी के दिखाए सपने की हवा निकल गयी। नोटबंदी ने तो हालात और भी बुरी कर दी है। हाल में आयी तमाम रिपोर्ट्स बताती हैं की रोजगार के अवसर लगातार काम होता जा रहा है और बेरोजगार युवाओं की फ़ौज लगातार बढ़ती जा रही है।
हाल ही में हुए एक सरकारी सर्वे में सामने आया है कि देश में वर्तमान में रोजगार वृद्धि की दर पिछले 7 सालों के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है। सर्वे का सबसेे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पिछले एक साल में ही देश में बेरोजगारों की संख्या में लगभग 2 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। केंद्र की सत्ता में आने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में करोड़ों रोजगार पैदा करने का वादा जोर शोर किया था, लेकिन उनका यह वादा धरा ही नहीं रह गया बल्कि आज की स्थिति तो वादे से बिलकुल उलटी हो गई।
सर्वे यह भी कहता है कि बेरोजगारी की सबसे ज्यादा मार पढ़े-लिखे युवाओं पर पड़ी है। जिनको रोजगार के संकट का सामना करना पड़ रहा है उनमें 25 फीसदी युवा 20 से 24 वर्ष के हैं, तो 17 फीसदी 25 से 29 वर्ष के युवा हैं। बेरोजगारी के साथ साथ देश में महंगाई भी चरम पर है। दालें लोकसभा चुनाव से पहले 50-60 रुपये के आसपास थीं, दो साल होते-होते 150-200 के आसपास पहुंच गई हैं। राेजमर्रा के खाद़य उत्पादों के दामों में भी बेतरतीब बढ़ोतरी हो चुकी है
Courtesy: National Dastak