एक शहरी, हिंदू सवर्ण, पुरुष का कबूलनामा

मैं एक शहरी, उत्तर भारतीय, सवर्ण, हिन्दू, मध्यम वर्ग, का पुरुष, हूँ

आज मैं आप सब के सामने अपने दिमाग की एक एक परत प्याज के छिलके की तरह खोल कर दिखाऊंगा

हमारे परिवारों में सब कुछ बहुत ही स्थायी और निश्चित होता है

हमारा धर्म संस्कृति परम्पराएँ सब बिलकुल निश्चित होती हैं

हमारे घरों में कोई भी धर्म या परम्पराओं पर कोई सवाल नहीं उठाता

हमारा धर्म रीति रिवाज़ सब कुछ सबसे अच्छा और पवित्र माना जाता है

हम मानते हैं कि हमारा धर्म सबसे पुराना , सबसे श्रेष्ठ और सबसे वैज्ञानिक है

हमारे घरों में दुसरे धर्म वालों और दूसरी जाति वालों के लिए एक तिरस्कार का भाव होता है

हम लोगों को शिक्षा , इलाज नौकरी , व्यापार के लिए कोई बड़ी जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती

हमारे नाते रिश्तेदार , दोस्त , परिवार वाले हमारे मदद के लिए हर जगह मिल ही जाते हैं

हम लोग किसी बड़ी तकलीफ का नामोनिशान भी नहीं जानते

हमारी राजनैतिक सोच की सीमा सिर्फ कांग्रेस या भाजपा में से किसी एक पार्टी को चुनाव में वोट देने तक की ही होती है

हमारे घरों में कभी भी कश्मीरी मुसलमानों की तकलीफों , फौज के ज़ुल्मों , पूर्वोत्तर के राज्यों की तकलीफों , बस्तर के आदिवासियों की तकलीफों या दलितों के साथ भेदभाव का कोई ज़िक्र नहीं होता

अगर इन जगहों का ज़िक्र हमारे परिवारों में होता ही है तो हम लोग सरकार की , सेना की और पुलिस की तरफदारी में ही बोलते हैं

असल में हमारी राजनीति यही है कि हमारी जो सुखों से भरी ज़िन्दगी है उसमें कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए

हमें लगता है कि हम इसलिए सुखी हैं क्योंकि पुलिस और सेना हमारे हितों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाने वालों को मार कर हम तक पहुँचने से रोक रही है

हमारे घरों में आदिवासियों , दलितों कश्मीरियों , मजदूरों , पूर्वोत्तर के राज्यों , विभिन्न लैंगिक समुदायों के लिए आवाज़ उठाने वालों को कम्युनिस्ट ,देशद्रोही ,विदेशी एजेंट ,आतंकवादी कहा जाता है

हम लोग ही इस देश की राजनीति , धर्म , संस्कृति की मुख्यधारा हैं

हांलाकि इस मुख्यधारा में असली भारत शामिल ही नहीं है

असली भारत यानी करोड़ों , आदिवासी ,दलित , पूर्वोत्तर , कश्मीरी , भारत की मुख्यधारा की राजनैतिक ,धार्मिक ,सांस्कृतिक धारा का हिस्सा ही नहीं हैं

हमीं लोग इस देश की विकास की दिशा तय करते हैं , हमीं इस देश की अंतरात्मा हैं , हमीं इस देश की संस्कृति हैं

हमारी धार्मिक आस्थाएं ही इस देश की सरकार की धार्मिक आस्थाएं हैं

हम कह दें तो सरकार गोरक्षा के काम में लग जाती है भले ही पूरे दक्षिण भारत , पूर्वोत्तर , आदिवासी इलाकों में करोड़ों भारतीय गोमांस खाते हों

संघ, भाजपा कांग्रेस समेत सभी मुख्यधारा पार्टियां हमारे हिसाब से ही अपनी राजनीति तय करती हैं

और अगर कोई पार्टी सामाजिक न्याय या आर्थिक न्याय के नाम पर हमारे हितों के खिलाफ काम करने की कोशिश करती है

तो हम उसे गालियाँ देकर इतना ज्यादा देशद्रोही और बदमाश घोषित कर देते हैं कि उन्हें घबरा कर हमारी लाइन में आना ही पड़ता है

Courtesy: Facebook
 

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