Dalit Bahujan Musings
स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं!
HAPPY INDEPENDENCE DAY
गौ आंदोलन का अगला पड़ाव – पंजाब
पंजाब के गोपालकों और किसानों ने विधायक साहेब के दफ्तर में बूढ़ी गायों को शांतिपूर्ण तरीके से बांध दिया और कहा – संभालो!
न खरीदकर गाय ला सकते, न बेचने के लिए ले जा सकते हैं. सरकारी कर्मचारी रोकते हैं. NOC और रिश्वत मांगते हैं…रास्ते में गोरक्षकों का आतंक अलग. मारपीट करते हैं, वसूली करते हैं… डर इतना है कि दूसरे राज्यों से गाय व्यापारी नहीं आ रहे हैं.
सवा लाख तक मैं बिकने वाली बेहतरीन नस्ल की गाय 50,000 रुपये में नहीं बिक रही…. तो एमएलए साहेब आप ही रखो ये ढोर-ढंगर.
अगले कुछ दिनों में 500 गायों को कृषि मंत्री तोता सिंह के दफ्तर के बाहर और 1,000 गायें मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के दफ्तर में बांधी जाएंगी.
जगरांव के एमएलए एस. आर. क्लेर ने किसानों से वादा किया है कि वे उनकी शिकायत प्रधानमंत्री जी तक पहुंचा देंगे. गोरक्षक किसी और की बात सुनते कहां हैं?
बदल रहा है भारत.
गुजरात की आबादी है 6 करोड़. फ्रांस के लगभग बराबर. दुनिया में आबादी के हिसाब से सिर्फ 22 देश गुजरात से बड़े हैं. हंगरी की आबादी तो एक करोड़ से कम है.
गुजरात में बीजेपी 1995 के बाद कोई विधानसभा चुनाव नहीं हारी है. 21 साल से चल रहा है गुजरात मॉडल. उनमें में 11 साल का साहेब का सुशासन तो है ही.
21 साल से बाल विकास मंत्रालय, खेल मंत्रालय सब बीजेपी के हैं.
1995 में गुजरात में पैदा हुए बच्चे अब 21 साल के जवान हो चुके हैं. उनकी जवानी बीत रही है. अब कब ओलंपिक में मेडल लाएंगे?
यह तो स्पष्ट है कि गुजरात मॉडल से भारत को मेडल नहीं मिल सकते.
स्टेज पर आकर शिवाली ने कहा – मैं सावित्रीबाई फुले हूं. मैंने भारत में लड़कियों का पहला स्कूल खोला और उन्हें अशिक्षा से आजादी दिलाई. इस बच्ची के शानदार भविष्य की मंगलकामनाएं.
फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताओं में इस साल बाबा साहेब, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और बिरसा मुंडा खूब नजर आ रहे हैं.
21वीं सदी आंबेडकर की सदी है.
बदल रहा है भारत.
इस साल फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन में राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले. इनके कपड़ों की शॉपिंग Panjab Rao Meshram साहेब ने की है. इसके जूते मुझे पसंद हैं और पैर पर पैर रखकर बैठने का स्टाइल! क्या कहने. क्या ठाठ है! बहुत खूब!
कबाली कहता है – तुम्हें यह पसंद नहीं कि हम तुम्हारे सामने बैठें. लेकिन मैं बैठूंगा. टांग पर टांग चढ़ाकर.
1857 में विद्रोह तो होना ही था. मेरठ से लेकर कानपुर और दिल्ली में बगावत की तैयारी थी. लेकिन मंगल पांडे की धार्मिक सनक के कारण पूरे देश में एक साथ विद्रोह नहीं हो पाया, वरना शायद इस साल हम आजादी की 150वीं या 160वीं सालगिरह मना रहे होते.
लेकिन एनफील्ड राइफल की कारतूस में अगर गाय की जगह, भैंस की चर्बी होती तो बंगाल नैटिव इन्फैंट्री का सिपाही मंगल पांडे किन पर गोलियां दाग रहा होता? चर्बी भैंस की होती, तो भी क्या उनकी देशभक्ति जगती?
चर्बी भैंस की होती तो मंगल पांडे मेरठ के स्वतंत्रता सेनानियों पर गोलियां दाग रहा होता.
मंगल पांडे के लिए देश से बड़ा उनका धर्म और जाति थी, जो गाय की चर्बी की वजह से संकट में थी.
मंगल पांडे को धर्म की पड़ी थी, जबकि आजादी के दीवाने देश को आजाद करना चाहते थे.
रोहित वेमुला मुद्दे पर RSS के बगलबच्चा संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त सचिव, जेएनयू पद से इस्तीफा देने वाले Pradeep Narwal स्वतंत्रता दिवस गुजरात के ऊना में मनाएंगे…. स्वागत है.
आजादी की दूसरी लड़ाई में आपकी जीत हो.
पहचानिए कौन?
1928 में भारत के लिए ओलंपिक में हॉकी का गोल्ड मेडल लाने वाली टीम के पहले कप्तान, जिनके नेतृत्व में भारत 17 में से 16 लीग मैच जीता, 1 ड्रॉ रहा, ध्यानचंद इनकी कप्तानी में खेले थे, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के स्कॉलर, हॉकी खेलने के लिए ICS की नौकरी छोड़ी, भारतीय संविधान सभा के सदस्य, आदिवासी महासभा के संस्थापक.
न भारत रत्न, न पद्म विभूषण, न पद्म भूषण.. कुछ नहीं.
जो देश अपनी नायिकाओं और नायकों का सम्मान करना नहीं जानता, वह नायिकाओं और नायकों के लिए तरसता है.
रियो में खाली झोली का सबक!
प्वायंट ब्लैंक रेंज यानी बिल्कुल सामने से फायरिंग की एयर पिस्टल स्पर्धा के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट, बूढ़ों पर अचूक निशाना लगाने वाले नाथूराम गोडसे. डोप टेस्ट में इनके खून में गोमूत्र पाया गया. NADA में अपील के बाद नतीजे का इंतजार!
अशोक परमार.
2002 के गुजरात दंगों का सबसे चर्चित चेहरा.
2014 में दंगा पीड़ितों से माफी मांगी.
अब जूतों की मरम्मत करके जिंदगी काट रहे हैं.
कल से ऊना चलो दलित अस्मिता यात्रा में शामिल होंगे, जिसके स्वागत में मुसलमान बस्तियों से फूल बरसाए जा रहे हैं… वक्त भी क्या – क्या रंग दिखाता है?
इंसान कई बार कितनी देर से जगता है?
फोटो – आज का दैनिक भास्कर, पटना
मैं कांग्रेस का "फैन" क्यों हूं! 🙂
कांग्रेस और बीजेपी में एक बड़ा फर्क है. जातिवाद कांग्रेस के लिए ललित कला है. बारीकी से करती है. कांग्रेस इतने ही सलीके से मुसलमानों को भी नौकरियों और अवसरों से वंचित करती है. वहीं, बीजेपी मूर्खों की भभ्भड़ पार्टी है. कुछ भी करती है तो बवाली तरीके से करती है .
रोहित वेमुला से पहले हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कांग्रेस के राज में 10 सांस्थानिक हत्या हुई. कांग्रेस सब पचा गई… लेकिन बीजेपी ने एक ही मामले में रायता बिखेर लिया. मंत्री का ट्रांसफर करना पड़ गया.
अभी बिहार में कांग्रेस के शिक्षा मंत्री बाकायदा घोषणा करके SC, ST, OBC की रिजर्व पोजिशन सवर्ण कैटेगरी को दे रहे हैं.
बीजेपी यह काम इतने खुलेआम नहीं कर सकती. करेगी तो देश भर में हंगामा हो जाएगा. संसद ठप हो जाएगी.
कांग्रेस को देश चलाने की कला आती है. बहुत धूर्त और शातिर होते हैं कांग्रेसी.
कांग्रेस ने चतुराई से, छोटा पार्टनर होकर भी बिहार में शिक्षा मंत्रालय ले लिया… जहां सबसे ज्यादा नौकरियां हैं और एडमिशन और स्कॉलरशिप तो है ही.
आते ही कांग्रेसी मंत्री ने फ्रीशिप बंद करवा दी…इनके द्वारा की गई नियुक्ति की लिस्ट देखनी चाहिए.
वे OBC की जागरूकता से इतना डरते क्यों हैं?
मंडल कमीशन लागू करने की वीपी सिंह की घोषणा के 25 साल पूरे होने पर यूनाइटेड OBC फोरम, JNU में 12 अगस्त को एक सेमिनार करना चाहता है.
JNU ने पहली बार किसी सेमिनार के लिए शर्तें लगा दी हैं.
जो भाग लेने आएंगे, उनका नाम, मोबाइल नंबर…. जैसे कि पहले से पता होता है कि कौन कौन आयेगा. और किसी के पास मोबाइल फोन न हुआ तो?
सेमिनार में आना है तो ईमेल चाहिए…. देश में 100 करोड़ से ज्यादा लोग इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करते. सरकारी आंकड़ा है.
सबके पास I- Card होना चाहिए, चेकिंग होगी… और अगर कोई मजदूर या दुकानदार सुनने आना चाहे तो?
हिस्सा लेने वाले के संस्थान का नाम… सुनने आने वाला अगर किसी भी संस्थान का न हुआ तो?
वीडियो रिकॉर्डिंग होगी… RSS की शाखा में जो जहर बोया जाता है, उसकी देश के किस किस यूनिवर्सिटी में वीडियो रिकॉर्डिंग होती है?
वैसे, वीडियो रिकॉर्डिंग का मैं समर्थक हूं, बशर्ते JNU पूरा वीडियो अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे. अच्छा है, मंडल कमीशन का प्रचार होगा! 🙂
आजाद भारत के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल महाराष्ट्र के इस शूद्र शेर ने जीता था. मीडिया, जाहिर है, इनकी चर्चा नहीं करेगा…. नाम बताएं.
इन्हें भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री कुछ नहीं मिला. मुफलिसी में जिए और रोड एक्सिडेंट में मारे गए.
15 साल पहले आज ही की तरह, उस दिन भी दिल्ली में बारिश हो रही थी. कुछ हथियारबंद गुंडों ने निहत्थी सांसद फूलन देवी की उनके सरकारी निवास के दरवाजे पर हत्या कर दी. लोकतंत्र पर इतना भरोसा हो गया था कि बीहड़ की इस शेरनी ने गार्ड रखना भी बंद कर दिया था.
भारत में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थीं. लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी और पॉपुलर समाचार पत्रिका – टाइम मैगजीन ने जब दुनिया की श्रेष्ठ विद्रोहिणी महिलाओं की ग्लोबल लिस्ट बनाई, तो फूलन देवी उसमें शामिल थीं.
इस प्रतिष्ठित लिस्ट में वे अकेली भारतीय हैं. इस लिस्ट में जॉन ऑफ आर्क से लेकर आंग सांग सूकी तक 16 महिलाएं हैं, जिनकी विश्व इतिहास पर अमिट छाप है.
तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम के. आर. नारायणन ने फूलन देवी को इन शब्दों में श्रद्धांजलि दी थी – "फूलन देवी की कहानी विद्रोह की अनूठी दास्तान है. जुल्म और शोषण के प्रतिकार की शानदार कहानी."
नमन हे श्रेष्ठ विद्रोहिणी.
तुम्हारे ही नाम से बलात्कारी खौफ खाते हैं.
ब्राह्मणवाद पर इस बार तीन तरफ से हमला हो रहा है.
1. गुजरात में दलित बोल रहा है, तुम्हारी गोमाता, अंतिम संस्कार तुम करो.
2. पंजाब में जाट, अहीर और बाकी गोपालक, किसान कह रहे हैं कि न खरीदने दे रहे हो, न बेचने, लाने ले जाने पर रोक लगा दी है, सड़क पर मारपीट कर रहे हो, तो सरकार आप संभालो अपनी गाय. आपके दरवाजे बांध दी.
3. मुसलमान कह रहा है, बीफ एक्सपोर्ट बैन करो. देखो कौन रोता है. 30,000 करोड़ का यह धंधा किनके कंट्रोल में है? जांच हो कि बीफ कंपनियों से चंदा कौन पार्टी लेती है.
अब ब्राह्मणवाद क्या करेगा?
कोई गोरक्षक आतंकवादी भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री को गोली मारने की सोचेगा भी तो लोग उसकी खाल खींच लेंगे. चमड़ी उधेड़कर धूप में सुखा देंगे और जूता बनाकर बेच देंगे.
राजनीतिक विरोध और समर्थन तो लगा रहता है. लेकिन भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री की शान में ऐसी कोई गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
जिन्होंने बीजेपी को वोट नहीं दिया था, उनके भी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ही हैं.
जैसे भी हैं, पर प्रधानमंत्री है हम सबके.
स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं!