गुजरात के पूर्व सीएम सुरेशभाई मेहता का सवाल क्या महेश ने किया था अमित शाह के पैसों का खुलासा

गुजरात में 13,860 करोड़ रुपये की नकदी का खुलासा करने वाले  बिजनेसमैन महेश शाह की सीएमओ में बरसों सीधी पहुंच रही है। हार्दिक पटेल का भी कहना है कि यह सारा पैसा जनरल डायर यानी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का है।

Amit shah Mahesh Shah 

 बीजेपी की ओर से गुजरात के मुख्यमंत्री सुरेश मेहता ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने सबरंगइंडिया से कहा कि आय घोषणा स्कीम के तहत 13,860 करोड़ रुपये के कैश का खुलासा करने वाले महेश शाह की राज्य के सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में बरसों सीधी पहुंच रही है। दूसरी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह को महेश शाह की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देने की चुनतौ दी है।
 
मोदी सरकार की आय घोषणा स्कीम के तहत 13,860 करोड़ रुपये की नकदी के खुलासे के बाद गायब हो चुके बिजनेसमैन महेश शाह जिस तरह 3 दिसंबर को एक न्यूज चैनल के स्टूडियो में अवतरित हुए और यह दावा किया कि आय घोषणा स्कीम (आईडीएस) के तहत उन्होंने कुछ राजनीतिक नेताओं और उद्योगपतियों के पैसों का खुलासा किया था, उससे यह कहानी और जटिल और दिलचस्प होती जा रही है।
 
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री मेहता ने सोमवार को दावा किया कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उदयोगपत‌ियों और बड़े कारोबारियों की सीधी चीफ मिनिस्टर ऑफिस यानी सीएमओ तक सीधी पहुंच थी। हार्द‌िक पटेल का भी दावा है कि 13,860 करोड़ रुपये का खुलासा करने वाले महेश शाह के पीछे का असली चेहरा जनरल डायर है। जनरल डायर से उनका मतलब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह है।
 
महेश शाह का सीधे न्यूज चैनल के स्टूडियो में आकर यह कहना कि 13860 करोड़ रुपये किसी और के थे, क‌िसी हॉलीवुड या बॉलीवुड की फिल्म के प्लॉट जैसा है। जैसे ही शाह न्यूज चैनल के स्टूडियो में पेश हुए, आयकर अधिकारी उन्हें पकड़ कर ले गए। उनसे पुल‌िस की मौजूदगी में पूछताछ की बात कही जा रही है। दरअसल महेश के सामने आने से पहले ही पूर्व सीएम और बीजेपी छोड़ चुके नेता सुरेशभाई मेहता ने कहा कि यह बिजनेसमैन नरेंद्र मोदी और अम‌ित शाह का करीबी रहा है।
 
उन्होंने इस बात की पुष्टि की क‌ि 2006-07 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो महेश शाह की सीएमओ में बेरोकटोक आना-जाना था। मेहता ने यह भी कहा कि महेश गुजरात का सीएम रहते नरेंद्र मोदी को म‌िले उपहारों की नीलामी का इंतजाम करता था। इससे मिले पैसे सरकार की कल्याण योजनाओं में जाते थे। जब एक बार ऐसी एक नीलामी फ्लॉप हो गई तो महेश ने खुद सभी आइटम खरीद लिए। फिर अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक ने उसके घाटे की भरपाई कर दी। अमित शाह उस दौरान बैंक के चेयरमैन थे। वह 2003 तक इस बैंक के चेयरमैन रहे। बाद के दिनों में भी वे इसके निदेशकों में शामिल रहे।
 
महेश शाह के इन सनसनीखेज खुलासों के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अपना पैसा ठिकाने लगाने के ल‌िए अम‌ित शाह ने महेश शाह को कवर की तरह इस्तेमाल क‌िया होगा।
 
महेश शाह ने सरकार की एमनेस्टी स्कीम (आईडीएस) के तहत 13,860 करोड़ रुपये का खुलासा किया था। लेक‌िन बाद में कहा था कि यह पैसा उसका नहीं बल्क‌ि गुजरात के कुछ ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं का है। केजरीवाल ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा- अमित शाह को हार्दिक पटेल के आरोपों का जवाब देना चाहिए। बेहद गंभीर आरोप। इसकी जांच होनी चाह‌िए।
 
अहमदाबाद के बिजनेसमैन महेश शाह पहले लापता बताए जा रहे थे। लेक‌िन बाद में उन्होंने एक क्षेत्रीय न्यूज चैनल के स्टूड‌ियो पहुंच कर यह दावा क‌िया ‌आई़डीएस के तहत उन्होंने ज‌िस भारी-भरकम रकम का खुलासा क‌ि या है वह कुछ ब्यूरोक्रेट्स और राजन‌ीत‌िक नेताओं की है। 67 वर्षीय महेश ने कहा कि उन्होंने यह खुलासा कुछ मजबूरी में और कमीशन के ल‌िए क‌िया था। उन्होंने कहा क‌ि यह उनकी गलती थी। उन्हें ऐसा नहीं करना चाह‌िए था।
 
महेश की बिजनेस इमारतों और चार्टर्ड अकाउटेंटों के दफ्तरों में छापे मारे गए थे। इसके ठीक पहले महेश शाह गायब हो गए थे। उन्होंने टीवी चैनल को बताया क‌ि वह मुंबई भाग गए थे। क्योंक‌ि उन्हें पता था आईडीएस के तहत उन्होंने जिस रकम का खुलासा क‌िया है उस पर लगे टैक्स की पहली क‌िस्त वह नहीं दे पाएंगे( यह रकम खुलासा की गई आय  पर बनती है) क्योंक‌ि जिन ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिक नेताओं का यह पैसा था, वे पीछे हट गए थे। महेश शाह ने कहा, इनकम टैक्स अफसरों को शक था कि काले धन को कानूनी  बनाने में मैं भी शामिल था। इससे मैं डर गया और सबकुछ बताने के लिए तैयार हो गया।  
 
अपने चार्टर्ड अकाउटेंट तहमूल सेठना के साथ पहुंचे महेश शाह ने इककम टैक्स अफसरों को आईडीएस की आखिरी तारीख 30 सितंबर को बताया था कि उनके पास गुजरात और इससे बाहर की कुछ जगहों पर 13,860 करोड़ रुपये रखे हुए हैं। उन्हें इस रकम की 45 फीसदी टैक्स के तौर पर जमा करनी थी। यह रकम 6236 करोड़ रुपये बैठ रही थी। उसकी पहली किस्त के तौर पर उन्हें 30 नवंबर तक 1560 करोड़ रुपये जमा करने थे। लेकिन सूत्रों ने बताया क‌ि इनकम टैक्स अध‌िकारियों को शक था कि यह पूरा पैसा महेश का नहीं है। आईडीएस के तहत उनका खुलासा दूसरों के पैसों को ठिकाना लगाने के लिए किया गया है।– यह एक ऐसी थ्योरी थी, जिसके बारे में महेश और उनके कथित क्लाइंट को पहले से पता था।
 
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उनका फॉर्म नंबर 2 रद्द कर दिया था, जिसके तहत उन्हें भुगतान करना था। इसके बाद महेश उनके रिश्तेदारों और सेठना के घर और दफ्तरों पर छापे मारे गए। सेठना ने कुछ मीडियावालों से बातचीत में कहा था कि उन्हें इस बात में कोई शक नहीं था कि महेश के पास काला धन होगा। सेठना ने कहा- महेश काफी तेज-तर्रार हैं और उनके संपर्क काफी अच्छे हैं। वे कई प्रभावशाली लोगों को जानते हैं। वह मुझे जानकारी दिए बगैर गुजरात और महाराष्ट्र में बड़े सौदे करते रहे हैं। सेठना ने कहा कि वह महेश को 2013 से जानते हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा कि महेश के क्लाइंट्स में ब्यूरोक्रेट्स और मंत्री शामिल हैं। वह उनके पैसे निवेश करने में मदद करते हैं।

जैसी उम्मीद थी गुजरात बीजेपी को महेश के दावे को पुरजोर खंडन करना ही था। बीजेपी गुजरात के प्रवक्ता भरत पंड्या ने मीडिया से कहा- पार्टी का महेश शाह से कोई लेना-देना नहीं है। पार्टी में कोई भी महेश को नहीं जानता है। को-ऑपरेटिव बैंक के मौजूदा चेयरमैन अजय पटेल ने कहा कि उन्हें याद नहीं है उनके बैंक की ओर से नरेंद्र मोदी को मिले उपहारों की नीलामी में घाटे के लिए किसी को पैसे दिए गए थे।

भरत पंड्या ने दावा किया कि न तो महेश और न ही कोई दूसरा शख्स इस तरह नीलामी में शामिल रहा है। मोदी को मिले उपहारों की नीलामी हमेशा जिला प्रशासन ही करता रहा है।
 
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महेश की कोई औकात नहीं है। उसने सिर्फ दो-तीन लाख का टैक्स रिटर्न दिखाया है। रियल एस्टेट बिजनेस में भी उसका कोई नाम नहीं है। साफ है कि कुछ लोगों ने अपने काले धन को कानूनी बनाने के लिए उसका इस्तेमाल किया है।

इस वरिष्ठ बीजेपी नेता का दावा है महेश पार्टी कार्यकर्ता भी नहीं है। लेकिन वह कई साल तक राज्य सरकार, एक एडवर्टाइजिंग कंपनी और कुछ लोगों के बीच मध्यस्थ का काम करता रहा है। यही उसकी यूएसपी है। अहमदाबाद में सत्ता के गलियारों में महेश छोटे-मोटे कारोबारी के तौर पर घूमते दिखते थे। लेकिन बीजेपी के प्रवक्ता इस बात से इनकार करते हैं कि उनका पार्टी से कोई संबंध रहा है।

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