गौमांस के बहाने सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की नीति भाजपा और संघ परिवार का ऐसा एजेंडा है, जिसे वह किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहती। गौरक्षकों की हरकतें विवाद में आने के बाद अब हरियाणा में सरकार ने पुलिस को ही उन कामों लगा दिया है जिन्हें अब तक गौरक्षक करते रहे हैं।
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इस मामले को लगातार गरमाए रखने के लिए हरियाणा की भाजपा सरकार अब मांस विक्रेताओं पर लगातार निगरानी रख रही है। इतना ही नहीं, सड़क किनारे बिरयानी बेचने वालों से बिरयानी के सैंपल भी ले रही है और पता लगा रही है कि उसमें गौमांस तो नही है।
बकरीद को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने खासतौर पर मेवात इलाके में सख्ती शुरू कर दी है। मेवात में मुस्लिमों की संख्या ज्यादा है, इसलिए हरियाणा पुलिस सबसे ज्यादा निगरानी इसी इलाके में कर रही है।
बकरीद 11 सितंबर को मनाई जानी है और इसे देखते हुए हरियाणा सरकार के ही गौ सेवा आयोग ने पुलिस से गौमांस बेचने वालों पर कार्रवाई करने की माँग की थी।
हरियाणा में डीआईजी भारती अरोड़ा ने एक स्पेशल टास्क फोर्स भी बनाई है। यह टास्क फोर्स ही अब गौ-तस्करों और गौमांस बेचने वालों पर नजर रखेगी। मांस की सभी दुकानों से ये बराबर सैंपल भी लेगी और जाँच कराती रहेगी।
पुलिस का मानना है कि दुकान वाले मटन और कबाब में गौमांस मिलाकर बेच रहे हैं। उसका कहना है कि इस तरह की कई शिकायतें उसके पास आई हैं। चावल में भी गौमांस मिलाकर बेचने की शिकायतें आई हैं। हालाँकि, यह पता नहीं चला है कि ये शिकायतें करने वाले आम लोग हैं या फिर वही गौरक्षक ही हैं जो गायों को लाने-ले जाने वालों को पकड़-पकड़कर पीटते रहे हैं। इसी वजह से पुलिस ने अब मांस की सारी दुकानों के लगातार सैंपल लेने शुरू कर दिए हैं।
साफ लग रहा है कि इस बहाने पुलिस ने सरकारी गौरक्षक दल के रूप में ये टास्क फोर्स बनाई है ताकि गौरक्षकों की किसी कार्रवाई पर उँगली न उठाई जा सके।
हरियाणा पुलिस की इस कार्रवाई को एक खास समुदाय के लोगों का अपमानित करने की कोशिश के रूप में भी बताया जा रहा है। कांग्रेस ने कहा भी है कि इस बहाने हरियाणा सरकार संघ का एजेंडा लागू कर रही है।