IIMC प्रशासन की तानाशाही, फेसबुक पर लिखने की वजह से छात्र सस्पेंड किया

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC)में तानाशाही का दौर जारी है। संस्थान में ताज़ा मामला रोहिन वर्मा का है। रोहिन आईआईएमसी में हिंदी पत्रकारिता के स्टूडेंट हैं। उन्हें संस्थान से सस्पेंड कर दिया गया है। दरअसल यह सजा उन्हें आवाज उठाने की मिली है। आवाजें भी उनके पक्ष में उठाईं जिन्हें सरकार दबाना चाहती है। 

Rohin

आईआईएमसी में बैठे भगवा समर्थकों को उनकी लिखी बातें रास नहीं आईं। 9 जनवरी को रोहिन को संस्थान से बाहर कर देने का फरमान जारी कर दिया गया। जिससे अब स्पष्ट हो गया है कि आईआईएमसी में भगवाकरण की आहट साफ़ दिखाई दे रही है।
 
दरअसल रोहिन वर्मा को ऑनलाइन कंटेंट की वजह से निकाला गया है। यह कंटेंट चेक करने पर आप पाएंगे कि रोहन आम दिनचर्या से लेकर अपने आसपास हो रहे घटनाक्रमों के बारे में लिखते रहे हैं, जोकि आईआईएमसी में सिखाया भी जाता है। साथ ही उनके लेख 'द हूट; और 'न्यूज़ लॉन्ड्ररी' में छपते थे। अपने इन लेखो में रोहिन संविधान में दिए गए अधिकारों की बात करते। 
 
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आईआईएमसी में ये पहली बार नहीं है जब अधिकारों की मांग को लेकर किसी को हटाया गया हो। इससे पहले संस्थान में काम कर रहे 25 मजदूरों को बाहर किया था। उन मजदूरों का समर्थन जब संस्थान के शिक्षक नरेंद्र सिंह यादव ने किया तो उन्हें भी नौकरी से बाहर कर दिया गया। 
 
हाल ही में देश के सबसे पड़े पत्रकारिता संस्थान ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की किताब 'मीडिया को अंडरवर्ल्ड' को भी पाठ्यक्रम से हटा दिया गया था। ये किताब वहां आईआईएमसी सहित कई संस्थानों की रीडिंग्स में शामिल है। हाल में घटित इस सभी घटनाओं से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता है। ये घटनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं कि भारतीय जनसंचार संस्थान में भगवाकरण बड़े पैमाने पर अपने पांव पसार रहा है।
 
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है….
 
प्रचारक ने कहा- लडका ख़तरनाक है। इसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्यूनिकेशन यानी IIMC से हटाओ। इसे लाइब्रेरी में तो क़तई न घुसने दो।
क्यों?

क्यों क्या? वह लिखता है। पत्रकार है और लिखता है। The Hoot और News Laundry में छपता है। जहाँ IIMC के सबसे बड़े अफ़सर और कई प्रोफ़ेसर तक अपना लिखा नहीं छपवा सके।
नाम रोहिन वर्मा है।

मैंने लड़के की टाइम लाइन देखी। ऐसा क्या लिख दिया बंदे ने। ख़ास कुछ नहीं है। यही कुछ संस्थान की बातें। सब संविधान के मौलिक अधिकार के दायरे में। अपनी माँ के साथ सेल्फी। कुछ खान पान की तस्वीरें। कुछ JNU वाले नजीब की अम्मा।

एक ही ख़तरनाक चीज़ नज़र आई।

सावित्रीबाई फुले। वह पत्र जो सावित्रीबाई ने ज्योतिबा फुले को लिखे थे।

Courtesy: National Dastak
 

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