कैसे मिलेगा न्याय जब 24 उच्च न्यायालयों में जजों के 43 फीसद जगह खाली हैं

देश के 24 उच्च न्यायालय जजों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। नियुक्ति प्रक्रिया में सहमति न बनने की वजह से मामला लटकता जा रहा है।

Allahabad High Court

नई दिल्ली(जेएनएन)। न्यायिक व्यवस्था में सुधार की वकालत की जाती है। लेकिन हालात ये है कि जजों की कमी से लंबित मुकदमों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। एक आंकड़े के मुताबिक देश के 24 उच्च न्यायालयों में जजों के 43 फीसद जगह खाली हैं। देश के सभी उच्च न्यायलयों में जजों के 1079 पद स्वीकृत हैं। लेकिन 464 पदों पर भर्ती नहीं हो सकी है। राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालें तो आंध्रप्रदेश में सर्वाधिक 63 फीसद जगह खाली हैं। कानून मंत्रालय के मुताबिक कुल 464 खाली जगहों में से 355 पद सिर्फ 10 उच्च न्यायलयों में खाली हैं। इलाहाबाद हाइकोर्ट में जजों के 83 पद खाली हैं।

आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट- 38 पद(कुल क्षमता का 62 फीसद जगह खाली)

कर्नाटक हाइकोर्ट- 36 पद (कुल क्षमता का 58 फीसद जगह खाली)

इलाहाबाद हाइकोर्ट- 83 पद (कुल क्षमता का 52 फीसद जगह खाली)

पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट- 39 पद (कुल क्षमता का 39 फीसद जगह खाली)

न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका की लड़ाई

कुछ दिन पहले प्रधान न्यायधीश की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि हाइकोर्ट में जजों की भर्ती न होने के लिए कार्यपालिका जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम की तरफ से जो सिफारिशें भेजी गई हैं, उस पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है। केंद्र सरकार की तरफ से तर्क ये है कि जजों की संख्या में भारी कमी सिर्फ बैकलॉग पदों के न भरे जाने की वजह से हुई है। लेकिन जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति प्रक्रिया के नियमों में मतभेद की वजह से जजों की भर्ती नहीं हो पा रही है।

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Source: Jagran.com

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