मुस्लिमों को धमकाने वाले रामशंकर कठेरिया पर मेहरबान अखिलेश

नई दिल्ली। बीजेपी सांसद रामशंकर कठेरिया पर वर्ष 2011 में आगरा एक पावर सब-स्टेशन के सामने विरोध प्रदर्शन करने पर मामला दर्ज किया गया था। मगर वर्ष 2013 में अखिलेश सरकार ने इस मुकदमे को वापस लेने के लिए अदालत में अर्जी लगा दी। अखिलेश सरकार ने कठेरिया पर लगे 5 मुकदमों को वापस लेने का आदेश भी दिया। वहीं कोर्ट ने 4 मामलों को वापस लेने की अनुमति भी दे दी। वहीं एक मामला विचारधीन है। 

बता दें कि कठेरिया पर लगे धारा 147, 353, 504 के तहत उन्हें दो साल तक की कैद हो सकती है। 
 
बता दें कि रामशंकर कठेरिया को अपने विवादित बयानों के लिए जाना जाता है। आए गौर करते है उनके कुछ विवादित बयानों पर- कुछ दिन पहले कठेरिया ने कहा था कि 'देश की शिक्षा का भगवाकरण होगा और इसे कोई नहीं रोक पाएगा।'
 
इससे पहले आगरा में एक सभा के दौरान कठेरिया ने मुस्लिम समुदाय पर भडकाऊ बयान देते हुए कहा था कि, 'हिंदू समुदाय के खिलाफ यह षड्यंत्र किया जा रहा है, इसे पहचानने के लिए हमें अलर्ट रहना होगा और खुद को मजबूत करना होगा। हमें इसके खिलाफ लड़ना होगा, क्योंकि अगर अब हम इसे नहीं करते हैं तो आज हमने एक अरुण को खोया है और कल कोई दूसरा अरूण होगा… हत्यारों को भी मरना होगा, हमें ऐसा उदाहरण पेश करना होगा।'
 
इसके अलावा अखिलेश सरकार बीजेपी के केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा को भी बचाने में लगी हुआ है।

केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा पर पीलीभीत में वर्ष 2009 में बिना अनुमति के सभा करने पर मामला दर्ज है. उन पर धारा 188 और 427 के तहत मुकदमा दर्ज है. अखिलेश सरकार ने उस मुकदमे को वापस लेने के लिए कोर्ट में अर्जी लगा दी है। अगर कलराज मिश्रा दोषी पाए जाते तो धारा 188 के तहत उन्हें अधिकतम छह महीने और धारा 427 के तहत उन्हें दो साल की कैद हो सकती है। सरकारी वकील रामसमुझ ने इस बात की पुष्टि की है कि डीएम के आदेश पर केस वापसी की अर्जी दाखिल की जा चुकी है।    

ऐसे में सवाल उठने लगे है कि प्रदेश की अखिलेश सरकार बीजेपी पर क्यो महरबान है?
 
उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार अपने और बीजेपी के बड़े नेताओं को पाक साफ कराने के लिए कोर्ट गई। एक रिपोर्ट में सामने आया है कि अखिलेश सरकार ने पिछले पांच सालों में लगभग 19 लोगों पर केसों को खत्म करने के लिए कोर्ट का रुख किया। ये केस राज्य के विभिन्न सीनियर नेताओं पर थे। 
 
इन केसों में कथित अपराध, दंगे, धोखाधड़ी, अपहरण से जबरन वसूली, यहां तक कि एक पर तो गैर इरादतन हत्या की भी मामला था। समाजवादी पार्टी की सरकार ने सिर्फ अपनी पार्टी के नेताओं पर लगे केसों को खत्म करने के लिए नहीं कहा। जिन लोगों के केस खत्म करने की गुजारिश सरकार ने की उनमें सपा के 10 विधायकों के अलावा, बीजेपी सांसद राम शंकर कठेरिया और बीजेपी के सीनियर नेता और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का भी नाम शामिल है।
 
इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में यूपी सरकार के कई अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की। कहा गया कि प्रशासन ने ही केस वापस लेने की अर्जी दी थी। वहीं इसकी वजह किसी ने साफ तौर पर नहीं बताई। सब चुनाव के दबाव की बात करते रहे। प्रमुख सचिव (गृह) देबोशीश पांडा ने इन केसों पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। सरकार की तरफ से बात करते हुए सपा के कैबिनट मिनिस्टर और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘मेरे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।’
 
जिन लोगों पर लगे केसों को हटाने के लिए राज्य सरकार ने कहा उसमें राजा भैया, सपा विधायक अभय सिंह, विजय मिश्रा का नाम शामिल है। लिस्ट में सपा के जिन नेताओं के नाम शामिल थे उनमें से विजय मिश्रा और भगवान शर्मा को छोड़कर बाकियों को अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट भी दी है। यूपी में सात चरणों में वोटिंग होगी। पहली वोटिंग 11 फरवरी को होगी। चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे।
 
आपको बता दें कि यूपी में अखिलेश के पांच साल के कार्यकाल में छोटे-बड़े लगभग 500 दंगे हुए। इसके साथ ही हत्या, बलात्कार के मामले भी चरम पर रहे। सपा पर भाजपा के साथ मिलीभगत के भी आरोप लगते रहे। तमाम दंगों के बावजूद भी बीजेपी ने कभी राष्ट्रपति शासन लगाने की बात नहीं कही। जबकि कांग्रेस शासित राज्यों, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। उत्तराखंड के मामले में भाजपा को कोर्ट की फटकार भी खानी पड़ी।

Courtesy: National Dastak

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