नोट बंदी की जानकारी रखने वाले धंधेबाजों ने कूटे 60000 करोड़

पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने के ऐलान के बाद ये आरोप हवा में तेजी से तैरने शुरू हो गए कि सरकार का यह फैसला पहले ही लीक हो चुका था। अगर ये आरोप सही हैं तो यह सीधे-सीधे भारी कमाई का जरिया बन गया। यह एक तरह की इनसाइडर इनफॉरमेशन थी (भेदिया कारोबार के दौरान मिलने वाली सूचना की तरह) जिससे मौकापरस्तों को भारी माल कूटने का मौका मिल गया।

सरकार के इस अचानक फैसले से रातोंरात कई लोगों ने भारी रकम गंवाई लेकिन कुछ लोगों ने जम कर पैसे भी बनाए। जिस किसी को इस फैसले की पहले जानकारी मिल गई होगी, उसने भारी रकम बनाई होगी। लिहाजा हमें उन लोगों का विश्लेषण करना होगा, जो इस फैसले से पैसे बना रहे हैं। उनका उन लोगों से अलग हट कर विश्लेषण करना होगा, जिनके पास यह जानकारी नहीं थी। साथ ही उन लोगों के बारे में भी विश्लेषण करना होगा, जिनके पास इसकी इनसाइडर इनफॉरमेशन थी।

लोग भारी डिस्काउंट पर पुराने बड़े नोटों को लेकर खासा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही पुराने नोटों के बदले अपनी संपत्ति को काफी ऊंची कीमत पर बेच रहे हैं। ऐसी खबरें सुनने को मिल रही हैं दस ग्राम सोने की कीमत 50000 रुपये पर पहुंच गई है। 500 और 1000 के नोटों को 20 से 30 फीसदी डिस्काउंट पर बेचा जा रहा है। यानी अगर 500 का पुराना नोट देंगे तो आपको 350 से 400 रुपये मिलेंगे। ऐसे वक्त में जब लोग पुराने नोटों से पीछा छुड़ाना चाह रहे हैं तो वे कौन लोग हैं जो इन नए नोटों को धड़ाधड़ ले रहे हैं।

इस पूरे ममले में उन एजेंटों को ( उनके पास सरकारी फैसले की जानकारी हो सकती थी और नहीं भी) को फायदा हो रहे हैं जो कम कीमत पर इन नोटों को ले रहे हैं और पूरी कीमत पर बैंकों में जमा कर रहे हैं। दो तरीके हैं जिनसे बड़ी मात्रा  में ये नोट बैंकों में जमा किए जा सकते हैं।
 
कैश डिपोजिट का पहला तरीका  – इस तरीके में किसी भी बैंक भी बगैर किसी टैक्स देनदारी के ढाई लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। इसलिए एजेंट उन लोगों को अपने पैसे देंगे जो सुस्त पड़े अपने खातों में उनकी ब्लैक मनी जमा करेंगे। यानी 10-20 फीसदी कमीशन पर काला धन जमा करने वालों की चांदी हो जाएगी।

कैश डिपोजिट का दूसरा तरीका – जिन कारोबारियों के पास फिजिकल कैश इन हैंड, अकाउंट में कैश इन हैंड से कम होगा वे निश्चित तौर पर पुराने नोट लेंगे ताकि पूरी कीमत पर बैंकों पर जमा कर सकें। सवाल यह है हम कैश इन हैंड से अकाउंट में कैश इन हैंड की तुलना क्यों कर रहे हैं। इसलिए कि इस तरह के कैश रखने वाले लोगों को मोदी के फैसले की पहले से जानकारी ने फायदा पहुंचाया है। आगे हम इसका विस्तृत विश्लेषण कर आपको दिखाएंगे कि यह कैसे हुआ लेकिन पहले सूचना की लीकेज की संभावना का विश्लेषण करें। 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने के फैसले में बड़े पैमाने पर पॉलिसी मेकर, राजनीतिक नेता, ब्यूरोक्रेट्स और प्रिटिंग प्रेस में नोट छापने वाले कर्मचारी रहे होंगे। यह मानव प्रवृति है कि इस तरह की ऊंची वैल्यू वाली सूचना अपने नजदीकियों को बताए। इसलिए सैकड़ों लोग रहे होंगे, जिन्हें यह सूचना रही होगी। क्या ऐसे लोगों के व्यवहार का विश्लेषण इस सूचना के आधार पर किया जा सकता है।

मान लीजिये कि आप ऐसे काला धन जमा करने वाले शख्स हैं जिसके पास यह सूचना है कि दस दिन में 500 और 1000 के पुराने नोट बंद हो जाएंगे। आप क्या करेंगे। पहला काम यह करेंगे कि तुरंत इन नोटों को निकालना शुरू करेंगे या खर्च करना शुरू करेंगे। बैंक में जमा करने पर टैक्स अधिकारियों की नजर पड़ सकती है इसलिए तुरंत गोल्ड, सिल्वर, लग्जरी आइटम खरीदेंगे। बिजनेस और ट्रैवल खर्चों को निपटाएंगे। पर्सनल खर्च की देनदारी चुकाएंगे और दूसरे महंगे आइटम खरीदेंगे। 

जब आप इस तरीके से कुछ पैसा बचा लेंगे या इसे और तरीके से निवेश कर देंगे तो आप पहले से हासिल इस सूचना का फायदा लेना चाहेंगे। आप अपनी सारी रकम जो 500 और 1000 में है निकालेंगे और इसे खर्च करेंगे। मान लीजिये आपने दस लाख रुपये निकाले और इसे महंगे आइटमों पर खर्च कर दिया। निवेश किया या अपने खर्चे निपटा लिए। अब आपके पास कोई फिजिकल कैश नहीं है। सिर्फ पेपर पर कैश बैलेंस है। एक बार बैन अनाउंस होने पर आप इन दस लाख को 7-8 लाख की कीमत पर खरीद सकते हैं और फिर बैंक अकाउंट में जमा कर सकेत हैं। इनसाइडर इनफॉरमेशन की बदौलत आप पहले से ही दो-तीन लाख की नकदी कमा चुके हैं। यानी इनसाइडर इनफॉरमेशन का फायदा यह मिलेगा कि कैश इन हैंड बगैर अकाउंट में दिखाए बढ़ जाएगा।

कहा जा रहा है कि सरकार के इस फैसले की तैयारी 12-15 महीने शुरू हो गई थी। यानी यह सूचना काफी पहले विशेषाधिकार प्राप्त ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं, आरबीआई स्टाफ को रही होगी। इतने दिनों में लोगों ने बगैर अकाउंट मे दिखाए कैश इन हैंड बढ़ाया होगा।

एक मोटे अनुमान के मुताबिक जिनके पास सरकार के फैसले की पहले से सूचना होगी, उन्होंने 60000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया होगा।

सरकार इन मुनाफाखोरों को कैसे पकड़े?
ऐसे धंधेबाजों पकड़ने का सबसे अच्छा यह तरीका है कि सरकार सारे कारोबारियों, कंपनी और फर्मों से पिछले एक महीने के दौरान अकाउंट में कैश इन हैंड की पोजीशन बताने को कहे। अगर पिछले पांच साल के ट्रेंड की तुलना में 8 नवंबर 2016 को कैश इन हैंड में 20 से 30 फीसदी की बढ़त मिलती है तो साफ हो जाएगा कि इसका गलत फायदा उठाया गया है। ऐसे में सरकार जुर्माना लगाना शुरू कर सकती है।

60,000 करोड़ घोटाले की वह रकम है जो सिर्फ 500 और 1000 के पुराने नोटों को बैन करने की इनसाइडर जानकारी की वजह से इकट्ठा हुए। इस लेख में इस मुद्दे को शामिल ही नहीं किया गया है कि इस सूचना से काले धन वालों ने कितना फायदा उठाया होगा। ऐसे लोगों को कितना फायदा हुआ होगा जो अपना धन टैक्स हैवन्स में और अन्य परसंपत्तियों में ट्रांसफर कर देते हैं।
 
(लेखिका आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता हैं। इस लेख में व्यक्त विचार उनके अपने हैं।)

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