नोटबंदी की मार झेल रहे किसानों ने बीजेपी से बनाई दूरी, किसान सम्मेलन में खाली पड़ी रहीं कुर्सियां

लखनऊ, यूपी चुनाव भाजपा के लिए टेढ़ी खीर बनती जा रही है एकतरफ भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक रही है यूपी चुनाव को जीतने के लिए तो दूसरी तरफ प्रदेश की जनता का साथ भाजपा को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा का यूपी की सत्ता से वनवास अभी खत्म नहीं हो पायेगा।

Kisan Sammelan

2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी ने 73 सांसद दिए भाजपा को इसके बावजूद 2 साल तक भाजपा का कोई भी सांसद प्रदेश में अपना चेहरा तक दिखाने नहीं आया। किसानों की फसलें नष्ट हो गयी सूखे से और बेमौसम बारिश से जिसका केंद्र सरकार से उन्हें कोई अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया। अब जब यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो भाजपा को यूपी के किसानों की याद आई है।

यूपी में चुनावी नैय्या पार लगाने के लिए भाजपा पिछले 6 महीने से तमाम बैठकें और कार्यक्रमों के जरिये प्रदेश में अपने जनाधार को बढाने की कोशिश कर रही है पर भाजपा के उम्मीदों को बल मिलता नहीं दिख रहा है जहाँ उसके द्वारा निकाली गयी तमाम परिवर्तन यात्रएं फ्लॉप हो गई तो भाजपा नेता पिछड़ा वर्ग सम्मलेन मैं भी जनता का आकर्षण नहीं खींच पाई।

अब भाजपा यूपी के सबसे बड़े वोटबैंक समझे जाने वाले किसान वर्ग को रिझाने के लिए माटी तिलक कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। जहाँ किसानों द्वारा सम्मलेन में नहीं पहुँचने से भाजपा नेतृत्व में बेचैनी बढ़ने लगी है।

दरअसल भाजपा ने यूपी चुनाव को देखते हुए किसानों को अपने पाले में करने के लिए माटी तिलक कार्यक्रम का आयोजन किया है। भाजपा को लग रहा है कि बाह्मण और क्षत्रियो समेत अगर भाजपा का मूल वोट बैंक न खिसका तब भी भाजपा को कुछ वोट की खास जरूरत होगी जिसमें किसानों की अहम भूमिका होगी। ऐसे में पूर्वांचल के वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने भदोही से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को भाजपा किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया है। ताकि किसानों के सहारे यूपी की बैतरिणी को पार किया जा सके।

भाजपा ने किसानों को अपने साथ जोड़ने के लिए कहा है कि भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों के मुद्दे सबसे पहले होगें औऱ किसानों की समस्या को निपटाने के लिए भाजपा किसी भी तरह से पीछे नहीं हटेगी उसके बाद भी भाजपा के इस कार्यक्रम से किसानों की नामौजूदगी ये बता रही कि भाजपा को अपने प्लान में जमीनी हकीकतों को जानने की कोशिश करनी चाहिये।

जानकारों की माने तो सोनभद्र में भाजपा के इस कार्यक्रम में इतनी कम भीड़ भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। इस मसले पर लोगों से पूछने पर लोगों ने इसे नोटबंदी के बाद भाजपा से किसानों की नाराजगी बताया।

लोगों की मानें तो नोटबंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों ने अपने फसलों की समय से बुआई नहीं की। जो पैदावार हुई उसका लाभ भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। सब्जियों का भाव लगातार गिरता जा रहा । जिससे किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है। ऐसे में भाजपा से किसान नाखुश दिख रहा है जिसका नतीजा उसे यूपी चुनाव में देखने को मिल सकता है।

Courtesy: Dainik Aaj

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