ऑपरेशन ‘दंगा’: जांच समिति के समक्ष एक-दूसरे को टोपी पहनाते रहे सुप्रिय प्रसाद और उनके मातहत

​मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष टीवी टुडे चैनल समूह के संपादकीय व प्रबंधकीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैंं, उससे टी वी चैनलों के न्यूज रूम के भीतर के कामकाज की संस्कृति जाहिर होती है। दिनांक 17 सितम्बर 2013 को "आज तक" एवं "हेड लाइन्स टुडे" चैनलों पर मुजफ्फरनगर दंगों के विषय में प्रसारित किये गये स्टिंग ऑपरेशन में सदन के एक वरिष्ठ सदस्य/मंत्री मोहम्मद आजम खां के विरुद्ध लगाये गये आरोपों के परिप्रेक्ष्य में यह जांच समिति गठित की गई थी। जन मीडिया के सौजन्‍य से मीडियाविजिल जांच समिति के प्रतिवेदन के उस संपादित अंश को प्रस्तुत कर रहा है जिसमें न्यूज रूम के भीतर के कामकाज की संस्कृति उजागर होती है। पहली किस्‍त में स्टिंग ऑपरेशन के पीछे की राजनीति पर पोस्‍टके बाद दूसरी किस्‍त में हमने दीपक शर्मा और दो रिपोर्टरों के बयानात प्रस्‍तुत किए। अब पढ़ें कि चैनल के संपादक और इनपुट/आउटपुट प्रमुख ने जांच समिति के समक्ष क्‍या बयान दिए हैं।


 
"आज तक " चैनल के प्रबन्ध सम्पादक/चैनल हेड सुप्रिय प्रसाद 

टी.वी. टुडे नेटवर्क के "आज तक " चैनल के प्रबन्ध सम्पादक/चैनल हेड सुप्रिय प्रसाद ने यह स्वीकार किया कि स्टिंग ऑपरेशन करने की अनुमति वह देते हैं। उन्होंने इस स्टिंग ऑपरेशन की स्क्रिप्ट देखी थी। उनके अनुसार स्टिंग ऑपरेशन को तथ्यों के आधार पर रखा गया था। उनसे पूछे जाने पर यह कहा गया कि उन्होंने मोहम्मद आजम खां का पक्ष प्राप्त करने की कोशिश की, परन्तु वह उसमें सफल नहीं हुए। वे इस संबंध में कोई प्रामाणिक आधार नहीं बता पाये कि इस प्रकार का प्रसारण क्यों किया गया कि अभियुक्तों को राजनैतिक दबाव के कारण रिहा किया गया था। उन्होंने यह स्वीकार किया कि रिपोर्टर को उस प्रकार से मोहम्मद आजम खां के विषय में प्रश्न नहीं पूछना चाहिए था, जिस तरह से पूछा गया था। "मेरे ख्याल से आजम खां का फोन आया" नहीं पूछना चाहिए था तथा यह कि इसमें "मेरे ख्याल" से शब्द नहीं होना चाहिए था। सुप्रिय प्रसाद ने कहा कि जिस तरह से पुलिस वाले बोल रहे थे, उससे लगा कि ऊपर से फोन आया था, परन्तु वे इस तथ्य का कोई ठोस एवं प्रामाणिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके। उल्लेखनीय है कि सुप्रिय प्रसाद "आज तक" चैनल के प्रबन्धक सम्पादक के स्तर से ही स्टिंग ऑपरेशन सम्पादित करने की अनुमति दी गई थी एवं प्रसारण से पूर्व यह अपेक्षित था कि उनके स्तर से ही प्रसारण को भली-भांति देख लिया जाता। उन्होंने यह स्वीकार किया है कि सदन के एक वरिष्ठ सदस्य एवं मंत्री माननीय श्री मोहम्मद आजम खां के विषय में प्रसारण किये जाने से पूर्व और पुख्ता साक्ष्य होते तो अच्छा होता।

आउटपुट हेड मनीष कुमार
"आज तक" चैनल के आउटपुट हेड मनीष कुमार ने यह स्वीकार किया कि प्रसारण के लिए जो विषय तय किये जाते हैं वह आउटपुट हेड के माध्यम से ही निर्गत होते हैं। "आज तक" चैनल के स्टिंग ऑपरेशन की प्रक्रिया में एस.आई.टी टीम के सीनियर एडिटर हेड होते हैं तथा स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी निर्णय एस.आई.टी हेड द्वारा ही लिये जाते हैं तथा इसकी जवाबदेही भी एस.आई.टी हेड की होती है। उन्होंने इस पर बल दिया कि यह भी एस.आई.टी हेड द्वारा तय किया जाता है कि स्टिंग ऑपरेशन में क्या प्रसारित किया जाय एवं क्या न प्रसारित किया जाय। उनके अनुसार एस.आई.टी की भूमिका स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में एक एडिटर की भी होती है। यद्धपि अऩ्य विषयों में प्रसारण की योजना में उनकी भूमिका होती है, परन्तु स्टिंग ऑपरेशन के विशेष कार्यक्रमों में उनकी भूमिका उस प्रकार से नहीं होती। उन्होंने इस स्टिंग ऑपरेशन को प्रसारण से पूर्व नहीं देखा था, क्योंकि यह एस.आई.टी हेड से फाइनल होकर आया था। 
उन्होंने यह स्वीकार किया कि मोहम्मद आजम खां के विषय में जो प्रश्न रिपोर्टर द्वारा पूछा गया था, वह बेहतर तरीके से पूछा जा सकता था। उन्होंने प्रश्नगत स्टिंग ऑपरेशन के पैकेज को देखा था, परन्तु चूंकि इस संबंध में उच्च स्तर से निर्णय हो चुका था, अतः उसको प्रसारित किया जाना उनकी बाध्यता थी। उन्होंने यह भी बताया कि "लखनऊ से फोन आया था" यह पैकेज में नहीं था तथा यदि एंकर ने ऐसा कहा है तो एंकर पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा है कि हर पैकेज के बाद एंकर को क्या बोलना होता है, उसमें उनकी कोई भूमिका नहीं होती है तथा जब एंकर बोल रहा होता है। स्टिंग ऑपरेशन की विषयवस्तु एस.आई.टी एडिटर ही तय करते हैं।

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मोहम्मद आजम खां के नाम का जो सुझाव स्टिंग ऑपरेशन में आया है वह नैतिक रूप से गलत है। किसी भी व्यक्ति ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान यह नहीं कहा है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट से राजनैतिक दबाव के कारण नाम हटाये गये हैं, तो फिर ऐसा प्रसारण करना गलत है। उनके अऩुसार प्रसारण का अंतिम निर्णय प्रबन्ध संपादक का होता है। उन्होंने तत्समय यह कहा था कि मोहम्मद आजम खां का पक्ष भी लिया जाना चाहिए, परन्तु उन्हें बताया गया था कि वह उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। उनके अनुसार चूंकि एंकर उनके नियंत्रण में नहीं रहते हैं, अतः उनके द्वारा विभिन्न विषयों के संबंध में कैसी अवधारणा व्यक्त की गई, वह इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते।

मैनेजिंग एडिटर (इनपुट हेड) रिफत जावेद 

रिफत जावेद, तत्कालीन मैनेजिंग एडिटर (इनपुट हेड), टी.वी. टुडे नेटवर्क ने कहा कि उन्होंने टी.वी. टुडे नेटवर्क में 16 सितम्बर को कार्यभार ग्रहण किया था, अतः प्रश्नगत स्टिंग ऑपरेशन के अनुमोदन आदि में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। 17 सितम्बर को प्रातः दीपक शर्मा द्वारा उनको यह बताया गया कि आज कुछ धमाका होने वाला है। दीपक शर्मा द्वारा यह भी बताया गया कि वह एक "ऑपरेशन दंगा" कर रहे हैं, जिसमें कि प्रशासनिक शिथिलताओं पर फोकस कर रहे हैं। चूंकि वह बी.बी.सी से उस समय आये थे, अतः स्टिंग ऑपरेशन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस प्रकार के स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित करने से पूर्व बहुत सावधानी बरती जानी चाहिए। इस प्रकार की खबर तभी प्रसारित की जानी चाहिए थी जब वह पूर्ण रूप से देख ली जाय तथा यदि इस संबंध में दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया नहीं मिलती है अथवा पुख्ता साक्ष्य नहीं मिलते हैं तो ऐसी स्टिंग ऑपरेशन की योजना नहीं दिखाई जानी चाहिए कि यह राजनैतिक है। स्टिंग ऑपरेशन में यद्यपि प्रशासनिक शिथिलताओं की बात कही गई थी, परन्तु ऐसा नहीं किया गया। जब उन्होंने उस रात स्टिंग ऑपरेशन पर यह देखा कि उसमें मोहम्मद आजम खां का संदर्भ आया है तो वह स्तब्ध (शॉक्ड) रह गये। बी.बी.सी में ऐसा हरगिज नहीं किया जाता। वहां किसी भी व्यक्ति का नाम लेने से पूर्व उसका पक्ष लिया जाता है। उन्होंने दीपक शर्मा से जब यह कहा कि आप तो यह स्टिंग ऑपरेशन एडमिनिस्ट्रेशन फेल्योर पर कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि यह मैनेजिंग एडिटर का डिसीजन था। इस तरह के विषयों के लिए बी.बी.सी में अपने मार्गदर्शी सिद्धान्त हैं तथा जब तक उनका अऩुपालन नहीं किया जाता तब तक उनको प्रसारित नहीं किया जाता है। चूंकि प्रश्नगत स्टिंग ऑपरेशन को बैलेंस नहीं किया गया, अतः उसे ड्रॉप कर दिया जाना चाहिए था। यदि उनका निर्णय होता तो वह यही करते।

यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्टर्स स्टिंग ऑपरेशन के दौरान तमाम चीजें रिकार्ड करते हैं, परन्तु अधिकारियों को यह देखना चाहिए कि इसमें से कौन-कौन सी चीजें गाइडलाइन्स के अनुसार प्रसारित की जानी चाहिए। जब उनकी बात हुई थी, तब प्रश्नगत स्टिंग ऑपरेशन की एडिटिंग हो चुकी थी, परन्तु यदि गलती से ऐसा कोई तथ्य आ गया था, तो उसको हटाया जाना चाहिए था, क्योंकि यह एडिटोरियल नार्म्स के खिलाफ था।

लेकिन भारत में खबर पर कम और सेंसेशन पर ज्यादा जोर दिया जाता है। मैनेजिंग एडिटर को यह सोचना चाहिए था, क्योंकि इसकी वजह से दंगा और भड़क सकता था तथा ज्यादा लोग मारे जा सकते थे। उनका यह अऩुभव रहा है कि टी.वी. टुडे ग्रुप में यह सावधानी नहीं बरती जाती। "आज तक" चैनल पर जो कुछ भी चलता है, उसका पब्लिक में इम्पैक्ट होता है। उन्होंने इस आशय का एक ट्वीट भी किया था कि इस प्रकार के प्रसारण से दंगा भड़क सकता था तथा उत्तर प्रदेश की राजनीति में ध्रुवीकरण का जो खेल खेला जा रहा था, इस प्रसारण के बाद उसको और बल मिलेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए था तथा स्टिंग ऑपरेशन को प्रसारित करने से पहले उनकी अनुमति नहीं ली गई थी। यदि उनसे अनुमति ली जाती तो वह इसकी अनुमति नहीं देते। दंगे आदि के मामले में प्रसारण में अत्यंत एहतियात बरतना चाहिए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि एस.आई.टी एडिटर, मैनेजिंग एडिटर, "आज तक", मैनेजिंग एडिटर, हेड लाइन्स टुडे द्वारा अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया गया।

उन्होंने यह स्पष्ट कहा कि उनको यह बताया गया था कि यह स्टिंग ऑपरेशन पॉलिटिकल नहीं है, वरन् प्रशासनिक शिथिलताओं पर है और इसको मैनजिंग एडिटर द्वारा देख लिया गया है। अतः उनके पास शक करने का कोई कारण नहीं था। यदि उन्हें इसके बारे में निर्णय लेने के लिए कहा जाता तो वह इसको पॉलिटिकल एंगिल से नहीं देखते, क्योंकि वह इस बात को समझते हैं कि पॉलिटिकल एंगिल से स्थितियां कितनी खतरनाक हो सकती हैं तथा दंगों की स्थिति में तो परिस्थितियां और बिगड़ सकती है।

उन्होंने बताया कि यू.के में "वाच डॉग" होता है, जो चैनल में प्रसारित होने वाले इस तरह के तमाम विषयों को रेगुलेट करता है तथा यदि किसी चैनल ने गैर जिम्मेदाराना तरीके से इस तरह की कोई खबर प्रसारित करता है, तो वह ऐसे चैनल पर कार्रवाई कर सकता है। हमारे यहां दिक्कत यह हो रही है कि हमारे यहां चैनल बहुत शक्तिशाली हैं, लेकिन उनको रेगुलेट करने वाला कोई नहीं है। यह स्थिति बहुत खतरनाक है। वे इस समूह में उसी समय आये थे तथा "आज तक" के मैनेजिंग एडिटर (आउटपुट) सुप्रिय प्रसाद तथा "हेड लाइन्स" के राहुल कंवल थे।

वाइस प्रेसीडेंस ऑपरेशन रेहान किदवई 
रेहान किदवई, वाइस प्रेसीडेंस ऑपरेशन, टी.वी. टुडे नेटवर्क ने यह स्पष्ट किया कि स्टिंग ऑपरेशन की शूटिंग नार्मल कैमरे से अलग होती है। स्टिंग ऑपरेशन में शूटिंग कई बार होती है तथा उनको जोड़कर इकट्ठा किया जाता है। जोड़ने पर कट प्वाइंट होना स्वाभाविक है। राहुल कंवल को "हेड लाइन्स टुडे" के चैनल हेड के रूप में प्रतिपरीक्षित करने के दौरान उन्होंने यह बताया कि चैनल पर क्या खबर चलानी है, किस रूप में चलानी है एवं कितने बजे चलानी है, यह सब कार्य उनके कार्य एवं दायित्वों में निहित होता है।

Courtesy: mediavigil.com
 

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