‘फ़क़ीर साहेब’ मस्त और जनता त्रस्त’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने मुरादाबाद रैली में कहा था कि कुछ लोग मुझे गुनाहगार साबित करने पर तुले हैं, क्या मेरा गुनाह यही है कि मैंने भ्रष्टाचार और कालेधन की समस्या ख़त्म करने का बीड़ा उठाया है, क्या कालाधन अपने आप ख़त्म हो जाएगा, क्या मोदी एक डर से भ्रष्टाचार अपने आप ख़त्म हो जाएगा, कानून का डंडा चलाना पड़ेगा या नहीं, कालेधन वालों को ठिकाने लगाना पड़ेगा कि नहीं, भ्रष्टाचारियों को ठिकाने लगाना पड़ेगा कि नहीं। 


 
मोदी ने कहा कि ये लोग मेरा ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेंगे क्या कर लेंगे, मै तो फ़कीर हूँ झोला लेकर कहीं भी चल पडूंगा। ये फकीरी है जिसने मुझे गरीबो के लिए लड़ने की ताकत दी है। प्रधानमत्री के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है। लोग अलग अलग तरह की तस्वीरें और बैठकों को कैप्शन के साथ शेयर कर रहे हैं।
 
कुछ लोग सीधे सीधे तो कुछ तंज और कहानियों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को गलत बता रहे हैं। 
 
पढ़िए सोशल मीडिया पर लोग प्रधानमंत्री के इस बयान पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं- 
 
आशुतोष उज्जवल 
एक लड़का अपनी नौकरी से खुश नहीं था. छोटा ओहदा, कम पैसा और ज्यादा काम. लेकिन उसके शौक हाई फाई थे. ट्रैवेल और कपड़ों से इश्क था उसको. ऑनलाइन का जमाना नहीं आया था. उसने नई जॉब के लिए अप्लाई किया. इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया.
 
वो ' 10 things you should not do in interview' वाले तमाम आर्टिकल पढ़कर गया था. जाते ही झंडे गाड़ दिए. दोनों हाथ नचा नचा कर इंटरव्यू दिया. इंटरव्यू लेने वाले ने पूछा 'किस पोस्ट के लिए आए हो भई? वो कहिस कि 'क्वालिटी ते हमए अंदर यहां का CEO बनने की है. लेकिन फिलहाल चौकीदार बनने आया हूं.'

अगला उसकी बतकही से इतना इंप्रेस हो गया कि मैनेजर ही बना डाला. जॉइनिंग के पहले दिन उसे किसी ने बुलाया 'मैनेजर साब.' वो कहिस 'डोंट कॉल मी मैनेजर. मैं तो प्रधान सेवक हूं.'
 
खैर बात आई गई हो गई. लेकिन सारा दफ्तर उनके नखरों से आजिज आ गया था. सबके कोई न कोई बत्ती दिए रहता था. कभी किसी की बाइक की हवा निकाल देता. जब खुद की हवा टाइट की जाती तो कहता 'मैं दलित मां का बेटा हूं इसलिए तुम लोग मेरे साथ ये कर रहे हो.' सेफ गेम खेलने में तो वो कुतुबुद्दीन ऐबक था.

काम में टाल मटोल करने की ऐसी बुरी आदत थी कि उससे बातों में कोई जा नहीं सकता था. एक दिन मालिक ने उससे हिसाब मंगाया. तो कहिस कि कहां हिसाब पेसाब के चक्कर में पड़े हो. अपना व्हाट्सऐप खोलो. पूरा वीडियो भेज देता हूं देख लो.
 
मालिक बोला 'अबे तुम मैनेजर हो कि चार सौ बीस? यहां किसलिए रखा है तुमको?'

फिर वो जो बोला है न, अगर व्हाट्सऐप की भाषा में कहें तो मालिक अभी कोमा में है. बोला 'मैं तो फकीर आदमी हूं. कहां इन सब चक्करों में फंसा रहे हो?'

सुभाष विक्रम
पता नही क्यों सारे फकीरों की दाढ़ियां पकी हुई ही होती हैं 
 
वसीम अकरम त्यागी 
कल साहेब ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में खुद को फकीर बताया है, जरा इस माडर्न फकीर के लिबास तो देखिये। काश की पूरा देश साहेब जैसा ही फकीर हो जाये। इस स्टेट्स के साथ वसीम ने अलग अलग समय पर प्रधानमंत्री द्वारा पहने गए सूट को निशाना बनाया है। 
 
'फ़क़ीर साहेब' मस्त और जनता त्रस्त: ……. रतन लाल
साथियों, दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किया गया ताज़ा पत्र, गौर से पढ़ लीजिए। कर्मचारियों की नियुक्ति बंद कर दी गई है और आदेश जारी किया गया है कि ग्रुप B नॉन गजटेड नियुक्ति भी बंद। सनद रहे, शिक्षक का पद भी नॉन गजटेड है। अर्थात तार्किक परिणति शिक्षकों की नियुक्ति भी बंद, सिर्फ समय का इंतज़ार कीजिए। कब तक शांत रहेंगे? कौन कौन से साहब को और कब तक खुश रखने का भगीरथ प्रयास करते रहेंगे? लगता है एक लंबी और प्रभावी संघर्ष का वक्त का चुका है।

Courtesy: National Dastak
 

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