नई दिल्ली। नोटबंदी की घोषणा के बाद अगले ही दिन पीएम मोदी जापान गए। यहां एक संबोधन में पीएम मोदी अपने इस कदम की तारीफ करते नजर आए। इसके बाद वे गोवा पहुंचे। यहां भी उन्होंने इस कदम की व्याख्या की। यहां उन्होंने कहा कि मुझे पचास दिन दीजिए आपकी सोच का भारत न दूं तो मुझे बीच चौराहे पर खड़ा कर देश जो सजा देगा मुझे मंजूर होगी। इससे पहले भी वे इस तरह की बातें कहते रहे हैं।
लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने कहा था कि सौ दिन में कालाधन न ला पाया तो मुझे फांसी पर लटका देना। इसके बाद ऊना कांड हुआ इस पर भारी आलोचनाओं के बाद उन्होंने केरल जाकर कहा कि मेरे दलित भाइयों को मत मारो मुझे मार लो। महोबा रैली में उन्होंने कहा था कि अगर में यूपी का विकास न कर पाया तो मुझे लात मारकर भगा देना। अब उन्होंने गोवा में भी इसी तरह की बात दोहराई।
अपने अभिभाषण के दौरान भावुक होकर उन्होंने कहा कि मेरे विरोधी मुझे मार डालेंगे। .' उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि 'मैं जानता हूं मैंने कैसी कैसी ताकतों से लड़ाई मोल ले ली है। जानता हूं कैसे लोग मेरे खिलाफ हो जाएंगे। मुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे, मुझे बर्बाद कर देंगे। लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा। आप सिर्फ 50 दिन मेरी मदद करें। मेरा साथ दें।' इसके बाद लोगों ने पीएम की इस तरह की भाषा पर सवाल खड़े किए। साथ ही उन्होंने पीएम को सोशल मीडिया पर सुझाव देने शुरू कर दिये।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने सुझाव देते हुए लिखा…
क्या अद्भुत संयोग है!
7 रेसकोर्स रोड यानी प्रधानमंत्री निवास के सबसे पास का थाना है – तुग़लक़ रोड।
नरेंद्र मोदी जी कह रहे हैं कि "वो मुझे मार डालेंगे."
यह गंभीर मामला है। अगर उन्हें किसी ने ऐसी धमकी दी है या उन्हें किसी से अपनी जान का ख़तरा है तो ऐसे मामलों में IPC की धारा 503 और 506 लगती है। ग़ैरज़मानती धाराएँ हैं। दोषी को सात साल क़ैद तक की सज़ा हो सकती है
उन्हें फ़ौरन तुग़लक़ रोड थाने में शिकायत दर्ज करनी चाहिए। अगर वे धमकी देने वालों को जानते हैं तो नामज़द वरना अज्ञात लोगों के खिलाफ।
दोषी बचने न पाए।
अगर देश का प्रधानमंत्री क़ानून पर भरोसा नहीं करेगा, तो यह ग़लत बात होगी।
अंजनी विशु ने लिखा है…
अगर सच में प्रधानमंत्री का दर्द आम जनता के लिए है तो वो सबसे पहले मंदिर, मस्जिद, चर्च व मठ की संपत्ति को कब्जा कर आमजनता के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य की ठोस गारंटी करें।
मोदी जी जब जनता शिक्षित व स्वस्थ्य रहेगा तब ही ना देश विकास करेगा।
आपको तो हिम्मत है नहीं क्योंकि आप टाटा, बिड़ला, अंबानी,अडानी और मंदिर,मस्जिद व मठों के मठाधीशों से डरते हैं।
क्या इसी के भरोसे आप अच्छे दिन लाने वाले हैं।
एक तरफ तो आम जनता की स्थिति तो फटेहाल होते जा रही है और दूसरी तरफ ये पूंजीपति व मठाधीश मालामाल होते जा रहे हैं। ऐसा क्यों मोदी जी ?
देश के आजादी के बाद सरकारी स्कूल व स्वास्थ्य व्यवस्था खत्म होते जा रही है वहीं दूसरी ओर मंदिर, मस्जिद, चर्च व मठाधीशों का विकास हो रहा है। इसके बारे में कुछ बताइयेगा मोदी जी !
अगर ये सब नहीं कर सकते हैं तो घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें। जनता अब आपका नौटंकी समझने लगा है।
2013 में उन्होंने ट्वीट किया था कि बच्चे बच्चे को पता है कालाधन कहां है… कालाधन स्विस बैंकों में है। इसके बाद लोग इसपर भी सवाल उठा रहे हैं कि अगर कालाधन स्विस बैंक में है तो देश की जनता लाइन में क्यों लगी है। स्विस बैंक से कालाधन लाने की बात कही थी परंतु गरीब जनता को ही लाइन में खड़ा कर दिया।
Courtesy: National Dastak