योगी बोले सवाल अच्छा है तो अजीत अंजुम ने कहा मुसलमान हैं !

यूट्यूब पर अजीत अंजुम और गोरखपुर के माफिया आदित्यनाथ का यूपी चुनाव पर एक शो देख रहा था। जनता के सवालों की बारी आई तो महिला अधिकारीवादी कार्यकर्ता शाइस्ता अंबर ने माफिया आदित्यनाथ से कहा आप तीन तलाक का मुद्दा छोड़िए।

आपसे नहीं होगा। वह आपका मुद्दा नहीं है। वो चुनाव में कोई मुद्दा ही नहीं है। ठीक यही बात एक और महिला ने कही जिन्हें मैं पहचान नहीं सका। बाद उनके ताहिरा हसन जी ने कहा,’आप सबको देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटते फिरते हो, हम वो मुसलमान हैं जो 1947 में पाकिस्तान को अपना मुल्क मानने के बजाय हिंदुस्तान के डेमोक्रेटिक सेटअप में रहना मंज़ूर किया।’ माफिया योगी कहता है ,’बहन जी आपने बहुत अच्छी बात कही।’ इस बीच में अजीत अंजुम के मुंह से आवाज़ आती है ,’और मुस्लिम हैं।’

शायद अजीत यह बताना चाह रहे थे कि ताहिरा हसन मुसलमान हैं, लेकिन इसके साथ जो वह बताने का प्रयास कर रहे थे वह था कि आमतौर पर मुसलमान इतनी अच्छी बातें नहीं करता आदित्यनाथ जी। पूरा देश जी। इंडिया टीवी के दर्शक जी।

Yogi Adityanath
 

अजीत अंजुम जी आप शो के दौरान पूरे वक्त तक प्रदेश को प्रदेस कहते रहे, हमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन आप अपनी सोच और समझ अब थोड़ा बदल लें। भारत का मुसलमान और भी अच्छी बातें करना जानता है। आपका चैनल, आप जहां जहां भी रहे वहां वहां भारत के मुसलमानों को उन्हीं दकियानूसी दायरे में रख कर दिखाया गया, उन्हीं बेकार के मुद्दों को मुद्दा बनाते देखा गया जिसका लाभ माफिया सरगना आदित्यनाथ उठाते हैं। मुसलमानों की प्रगतिशीलता देखनी है तो केरल से लेकर कर्नाटका तक का रूख कर सकते हैं आप। बिहार यूपी उड़ीसा राजस्थान मध्यप्रदेश भर ही देश नहीं है। और यदि देश बस यही इतना है तो कौन सा धर्म और कौन सा वर्ग बहुत अच्छे से रह पा रहा है। जी पा रहा है। कोई भी समाज गंदा नहीं होता, सरकारें गंदी होती हैं। व्यवस्था में जमे लोग बुरे होते हैं जिनको, उनके घरों से यह ज्ञान दिया जाता है कि बेटा,’मुसलमान बुरे होते हैं।’ और फिर वही बेटा आगे चल कर मीडिया में, ब्योरोक्रेसी में दूसरे क्षेत्रों में कार्य करते समय भेदभाव और पूर्वाग्रह भरी सोच लेकर चलता है।
 
बुराई हर एक समाज में है। मुसलमानों में भी है। परंतु जब कोई मुसलमान अच्छी बात करे तो उसके बाद यह मत कहा कीजिए कि ,’मुसलमान हो कर इतनी अच्छी बात कर लेते हो’ यह बिल्कुल वैसा ही है कि ,’महिला होने के बावजूद मायावती में बड़ी हिम्मत है।’ थोड़ा पढ़ा लिखा कीजिए, सेमीनार वगैरह में पीछे वाली कुर्सी पर जाकर चुपचाप बैठा कीजिए ताकि कुछ सीख मिल सके।
 
(लेखक युवा पत्रकार हैं।)

Courtesy: Media Vigil

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