7 नवंबर 2016 को असम में जब मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बाबा रामदेव के 1000 करोड़ के पतंजलि हर्बल और मेगा फूड पार्क की नींव रखी थी तो बाबा रामदेव ने कहा था, इसमें लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
किसानों को उनकी हर्बल फसल के लिए कंपनी उचित मूल्य उपलब्ध कराएगी। इस तरह लाखों किसान और कृषि मजदूर लाभांवित होंगे। लेकिन इस बात का लोगों को अंदाज़ा नहीं होगा की पार्क के इस क्षेत्र में आने से जंगली जानवरों का जीना मुहाल हो जाएगा।
अभी दो सप्ताह की गुज़रे हैं पार्क की आधारशिला रखे हुए और 23 नवंबर को रामदेव के निर्माणधीन फूड पार्क के गड्ढे में एक हाथी, हथिनी और उनके एक बच्चे के गिरकर घायल होने के बाद हथिनी की मौत हो गई है।
असम के सोनितपुर जिले में स्थित परियोजना स्थल घोरामारी क्षेत्र में पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, एक जानवर गलियारा है और औद्योगिक उद्देशय के उपयोग के लिए जंगली जानवरों के लिए हानिकारक होगा।
असम के तेजपुर जिले में रामदेव की कपंनी पतंजलि के लिए हर्बल फूड पार्क का निर्माण हो रहा है। इसके लिए बड़े-बड़े गड्ढे खोदे गए हैं। इन्ही में एक गड्ढे में बुधवार को एक हाथी, हथिनी और उनका बच्चा गिर गया था।
इन तीनों को काफी कोशिशों के बाद निकाला गया था। गड्ढे में गिरी हाथिनी ने बुधवार शाम को दम तोड़ दिया था, जबकि दो महीने के उसके बच्चे को काजीरंगा नेशनल पार्क में भेजा गया है।
जनता का रिपोर्टर को तेजपुर वन संरक्षक, सिवकुमार ने विशेष रुप से बात करते हुए बताया, जिस जगह पतंजलि पार्क का निर्माण हो रहा है ये एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हाथीयों का झुंड के नियमित आता है।
सिवकुमार ने बाद में बताया कि प्राधिकारी इस घटना की एफआईआर पतंजलि के खिलाफ कभी भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हाथी का बच्चा काजीरंगा में स्थित पशु बचाव केंद्र पर उचित देखभाल में रखा गया था।
असम की फॉरेस्ट मिनिस्टर प्रमिला रानी ब्रह्मा ने कहा कि जो नहीं होना चाहिए था वो हुआ है। प्रमिला ने कहा कि मैंने अपने विभाग के पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को कहा है।
प्रमिला ने कहा कि ये जंगली जानवरों का इलाका है। अगर यहां फूड पार्क की अनुमति दी गई तो ये दुखद है। साथ ही उन्होंने निर्माण क्षेत्र के आसपास जानवरों की सुरक्षा को लेकर कोई एहतियात ना होने पर भी नाराजगी जताई।
तेजपुर के घोरमारी में 150 एकड़ में पंतजलि अपना फूड पार्क बना रहा है। इसके आसपास जंगली जानवर बड़ी संख्या में रहते हैं। असम में 6000 हाथी हैं। घने जंगलों में लागातर कई तरह की मशानों का जाना और लगातार वहां निर्माण कार्य के चलते हाथियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
Courtesy: Janta Ka Reporter