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From a Mother, Rupabehn Mody to her son, Azhar

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From a Mother, Rupabehn Modi to her son, Azhar, lost to Bini, Rupa and Dara Mody on February 28, 2002 as the fires of hatred engulfed Gulberg Society, Ahmedabad

तू है तो मैं हूं, तू है तो मैं हूं
तू है तो फ़लक, तू है तो ज़मीन
कुछ तो बता जिंदगी
अपना पता जिंदगी
कुछ तो बता जिंदगी
अपना पता जिंदगी…
तारों भरी एक रात में
तेरे ख़त पढ़ेंगे साथ में
कोरा जो पन्ना रह गया
एक कांपते से हाथ में
थोड़ी शिक़ायत करना तू
थोड़ी शिक़ायत मैं करूं
नाराज़ बस ना होना तू जिंदगी…
कुछ तो बता जिंदगी
अपना पता जिंदगी
कुछ तो बता जिंदगी
अपना पता जिंदगी…
तू है तो मैं हूं, तू है तो मैं हूं
तू है तो फ़लक, तू है तो ज़मीन
 

 

समझ, संकल्प और इक्छाशक्ति का अकाल – योगेन्द्र यादव

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– जल-हल-पद यात्रा के समापन पर  योगेन्द्र यादव ने कहा: बुंदेलखंड में पशुओ के लिए चारा , पानी का संकट सरकार उदासीन ।

– तमाम  गुनजाईशो के बाबजूद बुन्देखंड में राशन व्यवस्था ठप , भषटाचार के चुंगल में जकड़ी ।

– 21 मई को मराठवाड़ा के लातूर से चली जल-हल पदयात्रा का समापन आज बुंदेलखंड के महोबा में।

मराठवाड़ा और बुंदेलखण्ड के सूखा प्रभावित गाँवों में पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे योगेन्द्र यादव ने रखी रिपोर्ट, कहा बुंदेलखंड में चल रहा सुखा जानवरों के लिए अकाल में बदल चूका है। हर रोज़ हजारो  जानवर भूख और प्यास से दम तोड़ रहे हैं। चारे की भारी किल्लत से जंगली जानवर भी पानी और भोजन के आभाव में दम तोड़ रहे हैं।  सरकार की चारा वितरण की योजना कागजो तक सीमीत है। इस त्रासदी को और विकराल रूप धारण करने से रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को आपात कदम युद्ध स्तर  पर उठाने होंगे। यह निष्कर्ष जल-हल-पद यात्रा का नेतृतव कर रहे योगेन्द्र यादव ने महोबा में इस यात्रा के समापन समारोह में  व्यक्त किया। इस अवसर पर जाने माने किसान नेता और जनआन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वयक के संयोजक डॉ सुनीलम और एकता परिषद् के पी . वी .राजगोपाल भी उपस्थित थे ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अबहेलना करने पर सरकार को आड़े हात लेते हुए  डॉ सुनीलम ने कहा किसान के कर्ज माफ़ी और बिजली का बिल माफ़ी की मांग की । गांधीवादी कार्यकार्ता श्री पी . वी .राजगोपाल ने कहा सिर्फ सरकार तक निर्भर रहने के बजाय लोकशक्ति के निर्माण पर भी बल दिया जाये। इस जन सभा में पहुँच कर जिलाधिकारी श्री सुरेश कुमार  ने सरकार का पक्ष रखा 
। सूखा राहत की सरकारी प्रयासों को गिनाते हुए उन्होंने माना  की खाद वितरण व्यवस्था में सुधार की गुन्जाइश है और बड़ी जोत  के किसानो को मुआवजा राशी देने के लिए राज्य सरकार से फण्ड नहीं मिले हैं।

पिछले 5 दिनों से मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश में रही पद- यात्रा से सूखे को भयावहा स्तिथि उजागर हुई। अधिकांश गाँव में पानी की भारी किल्लत है। टीकमगढ़ और छत्तरपुर में यह कमी अब संकट का रूप धारण कर चुकी है। दोनों राज्यों में फासले बर्बाद होने के कारण खद्यान की भीषण कमी है। म.प्र. में खाद्य सुरक्षा कानून पहले लागू होने के बाबजूद बड़ी संख्या में लोग राशन के अंनाज से वंचित हैं। उत्तर प्रदेश में लोग पूरी खाद्यान्न वितरण व्यवस्था चौपट है। ताकतवर और भ्रष्ट अफसरो और नेताओ की मिली भगत के चलते ज्यादर कोटा गरीबो तक पहुचने से पहले ही बेच दिया जाता है।  यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश की राशन व्यवस्था में हर प्रकार की खामी –उजागर हुई। 

कई  लोगो के पास किसी भी तरह का राशन कार्ड नहीं है। अगर हैं  तो परिवार के सभी लोगो का नाम नहीं हैं ,राशन कई महीनो तक मिलता  नहीं है, जब मिलता है तो पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है।  यात्रा के दौरान कई गांवों में खाद्य सुरक्षा पर्ची बनाने के नाम पर लोगो से 50 रुपया वसूल करने का भांडा फोड़ हुआ और रिश्वत का पैसा लोगो को वापस  दिलाया गया। 

हालाँकि मनरेगा के अंतर्गत रोज़गार देने में उत्तर प्रदेश का रिकॉर्ड मध्य प्रदेश से कही बेहतर है, फिर भी कई लोगो की पेमेंट में देरी की शिकायत सुनी गई।  महोबा जिले में सरकारी अधिकारियों ने पद – यात्रा के साथ जा कर लोगो की शिकायते सुनी और उनका निवारण करने का असवाशन दिया। याद रहे की जल-हल-यात्रा का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के इतिहासिक निर्णय के सन्दर्भ में हुआ था।
सूखे की भयावह स्थिति और सरकार की उदासीनता को देखते हुए स्वराज अभियान ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने सूखा को आपदा घोषित करते हुए ऐतिहासिक फैसला दिया और केंद्र एवं राज्य की सरकारों को सूखा राहत के लिए काम करने का निर्देश दिया। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सबको राशन मिले, मनरेगा के तहत रोजगार मिले, बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में भी मिड-डे मील मिले और सप्ताह में कम से कम तीन दिन दूध या अंडा मिले। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला जमीन पर उतरे और प्रभावी ढंग से लागू हो, यही सुनिश्चित करने के लिए स्वराज अभियान ने जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, जल बिरादरी और एकता परिषद के साथ मिलकर योगेन्द्र यादव के नेतृत्व में जल हल पदयात्रा शुरू की। 

21 मई को मराठवाड़ा में लातूर जिला के सोनवती गाँव से जल-हल पदयात्रा की शुरुआत हुई जिसमें जलपुरुष के रूप में प्रसिद्ध जल बिरादरी के राजेंद्र सिंह शामिल हुए। पदयात्रा महाराष्ट्र के तीन जिलों लातूर, उस्मानाबाद और बीड के गाँवों में 5 दिनों तक चली। 26 मई को भोपाल में एक राज्य स्तरीय जल-हल सम्मेलन हुआ जिसमें मेधा पाटकर ने भाग लिया। जनांदोलनों का राष्ट्रीय  के समन्वय के  राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुनीलम भी लगातार पदयात्रा के साथ चल रहे हैं। 

27 मई से पदयात्रा अपने दूसरे चरण में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पहुँची। बुंदेलखंड के गाँवों में 5 दिनों की पदयात्रा के बाद आज 31 मई को जल हल पदयात्रा का समापन एक जनसभा के रूप में बुंदेलखण्ड के महोबा में हुआ। इस जनसभा में जल हल पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक और स्वराज अभियान के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव ने 10 दिनों की पदयात्रा का रिपोर्ट पेश किया। इस जनसभा को एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक पी. वी. राजगोपाल ने भी संबोधित किया। 

सूखे के गंभीर संकट से जूझ रहे देशवासियों को राहत दिलाने के लिए योगेंद्र यादव के नेतृत्व में स्वराज अभियान की टीम लगातार काम कर रही है। इस यात्रा के दौरान भी स्वराज अभियान के वॉलंटियर्स ने समस्या का समाधान निकालने और राहत पहुंचाने की भरपूर कोशिश की। जल-हल यात्रा से उजागर हुई सच्चाइयों को देश के सामने रखने के लिए योगेंद्र यादव बुधवार 1 जून को दिल्ली में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करेंगे। 

योगेन्द्र यादव / अविक शाह-  स्वाराज अभियान
श्री राजेंद्र सिंह / संजय सिंह- जल बिरादरी
पी. वी .राजगोपाल- एकता परिषद
डॉ सुनीलम-   जनआन्दोलन का राष्ट्रीय समन्वय