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मोदी के मंत्रियों के कामकाज की खुली पोल, संसद में एक तिहाई आश्वासनों पर ही कर पाए अमल

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में पिछले दो वर्षो में मंत्रियों द्वारा संसद में दिए गए आश्वासनों में से महज एक तिहाई ही अमल में लाए गए। जबकि लगभग 20 फीसद पर अमल नहीं किया गया। 

Modi Ministers

सरकार ने खुद संसद में स्वीकार किया कि विभिन्न मंत्रियों द्वारा संसद में दिए गये आश्वासनों में से एक तिहाई पर ही अमल हुआ। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, करीब 1/5 आश्‍वासनों को खारिज कर दिया गया। आंकड़ों के अनुसार, मंत्रियों ने दो साल (2015 और 2016) में सदन के भीतर 1,877 आश्‍वासन दिए, जिनमें से सिर्फ 552 ही लागू किए गए। जहां 392 आश्‍वासन खारिज कर दिए गए, बाकी 893 अभी भी लम्बित हैं। 
 
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संसद में मंत्रियों द्वारा पिछले साल 970 आश्वासन दिये गये जिनमें से 580 लंबित हैं। शेष 252 को छोड़ दिया गया है।
 
आपको बता दें कि हर आश्‍वासन के बारे में जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्रालय बताता है कि आश्‍वासन को तीन महीने के भीतर पूरा करना होगा, इस सीमा का पालन सख्‍ती से किया जाना चाहिए। इसके अलावा, संसद में सरकारी आश्‍वासनों को लेकर लोकसभा की स्‍टैंडिंग कमेटी भी है। यह संसदीय पैनल उन आश्‍वासनों पर नजर रखता है, जो पूरे नहीं किए गए हैं। यह उन्‍हें पूरा करवाने के लिए मंत्रालयों के अधिकारियों को तलब भी करता है।

आश्‍वासनों को लागू कराने की जिम्‍मेदारी प्रमुख रूप से मंत्रियों या आश्‍वासन से जुड़े विभागों की होती है। संसदीय मंत्रालय भी इन आश्वासनों को लागू करने के बारे में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के संबद्ध अधिकारियों के साथ समय समय पर विचार विमर्श करता है।

भाजपा प्रत्याशी ने ही स्मृति ईरानी को सभा करने से रोक दिया, कहा बिगड़ जायेगी बात

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दिल्ली। यूपी चुनाव में एक दिलचस्प मामला सामने आया है. भाजपा प्रत्याशी ने ही बात बिगड़ने की दुहाई देकरसदन के अंदर और बाहर अभिनय के लिए विख्यात रहीं  केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को सभा करने से रोक दिया है. मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी ने स्मृति ईरानी को प्रचार के लिए आने से मना कर दिया है। जनसभा को संबोधित करने का स्मृति ईरानी का कार्यक्रम तय था, पर भाजपा प्रत्याशी ने पार्टी से अनुरोध किया कि उन्हें स्टार प्रचारक नहीं चाहिए।

Smriiti Irani
 
दरअसल, इसके पीछे राजनीतिक कारण है। क्षेत्र में राजनीतिक स्थिति एकदम उलट हो गई है। भाजपा की स्टार प्रचारक स्मृति ईरानी के आने से स्थिति बिगड़ सकती थी, इसलिए भाजपा प्रत्याशी ने शीर्ष नेताओं को ये बात समझाई और खुद के ही प्रचार भरोसा रखने के लिए कहा।

रामवीर सिंह कुंदरकी विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी हैं। वो साल 2007 और 2012 में भी भाजपा की तरफ से प्रत्याशी रह चुके हैं। उन्हें दोनों चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 2007 में बसपा के प्रत्यशी हाजी अकबर और 2012 में सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान चुनाव जीते थे।
 
पांच साल की चुनावी तैयारी के बीच रामवीर ने मुस्लिम वोटरों पर अपनी अच्छी पकड़ बना रखी है। वो गांव गांव जा कर प्रचार कर रहे हैं। रामवीर कहना है कि उन्होंने अपनी विधानसभा में पिछले पांच साल में सभी धर्म और जातियों के लोगों के बीच भैंसें, सिलाई मशीन, पेंडल वाला ठेला, रेड़ी वाले ठेले, कम्बल आदि वितरित कर लोगों के लिए रोजगार के साधन दिए हैं। भाजपा को मुस्लिम वोट नहीं मिलता है इसलिये इस बार मुस्लिम वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत की है।
 
भाजपा की ओर से वीआईपी स्टार प्रचारक के रूप में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मूंढापांडे क्षेत्र में जनसभा होनी थी। शनिवार को रामवीर ने पार्टी को संदेश भेजा कि किसी भी स्टार प्रचारक की जरूरत नहीं है।

रामवीर सिंह का तो कहना है कि अब तक चुनाव में 18 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं और स्मृति ईरानी की जनसभा में 4 लाख का खर्च आ रहा है इसलिए जनसभा के लिए मना कर दिया।वहीं, सूत्र बताते हैं कि भाजपा के किसी भी प्रचारक के द्वारा दिए जाने वाला भाषण चुनावी माहौल खराब कर सकता है और मुस्लिम वोटरों को रामवीर से अलग कर सकता है।
 
चाहे परिवर्तन रथ यात्रा हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुरादाबाद में रैली हो हर प्रोग्राम में रामवीर के समर्थन में बहुत अधिक संख्या में मुस्लिम वोटर रामवीर के साथ खड़े दिखाई दिए, पर उनका मानना है कि अभी इस मौके पर फिज़ा बिगड़ सकती है।
 
रामवीर सिंह को भाजपा पार्टी की रणनीति और प्रचार की जगह अपनी रणनीति और प्रचार पर भरोसा है। इसलिए वो अपने समर्थकों के अलावा किसी भी भाजपा के प्रचारक के द्वारा अपनी विधानसभा में प्रचार नहीं चाहते हैं।

Courtesy: National Dastak