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‘सियासत की कैद में बेगुनाह’ सम्मेलन में पीड़ितों ने खोली अखिलेश सरकार की पोल

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लखनऊ। कोलकाता के रहने वाले आफताब आलम अंसारी की मां आयशा बेगम ने ‘रिहाई मंच’ नेता मसीहुद्दीन संजरी द्वारा लिखित आतंकवाद के आरोपों से बरी 14 नौजवानों पर आधारित ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ किताब का विमोचन किया। यह किताब नहीं बल्कि 14 बेगुनाहों के उत्पीड़न-दमन का जीता जागता सबूत है कि किस तरह सियासत के वे शिकार बने। 

Rihai manch
 
यूपी प्रेस क्लब, लखनऊ में रिहाई मंच द्वारा आयोजित ‘सियासत की कैद में बेगुनाह’ सम्मेलन में ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ किताब का विमोचन करते हुए आयशा बेगम ने कहा कि जब वह पहली बार लखनऊ अपने बेटे आफताब की रिहाई के लिए आईं थीं उस मंजर को आज भी सोचकर सिहर जाती हैं और उसे याद नहीं करना चाहती हैं। उस वक्त शुऐब साहब मिले और उनसे मैंने कहा कि मेरा बेटा बेगुनाह है उसे रिहा करवा दीजिए। शुऐब साहब ने मुकदमा लेने में कोई ना-नुकुर नहीं की। उस दरम्यान बेटे से मिलने के लिए जेल के पास की चाय की दुकानों पर वक्त कटा और जब मैं वापस गई और मालूम चला कि बेटा रिहा होने वाला है और पुलिस के लोग कहने लगे की वो उनके बेटे को घर छोड़ देंगे तो मैंने शुऐब भाई से बात की कि भाई आप उसे अपने पास रख लीजिएगा नहीं तो वे किसी दूसरे केस में न उसे फंसा दें। 
 
पुस्तक के लेखक और रिहाई मंच नेता मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आतंकवाद के आरोपों से बरी अन्य नौजवानों के बारे में तथ्यों और दस्तावेजी आधार पर बहुत कुछ लिखे जाने की योजना है। क्योंकि इनकी कहानियां सिर्फ किसी व्यक्ति की नहीं बल्कि एक पूरे समाज, राज्य मशीनरी से लेकर न्यायपालिका तक में व्याप्त फासीवादी मानसिकता को कटघरे में खड़ा करती हैं।
 
आजमगढ़ का होने के कारण जिसे आंतकवाद की नर्सरी के बतौर खुफिया विभाग और मीडिया का एक हिस्सा प्रचारित करता रहा है, मैने इसे अपनी जिम्मेदारी समझा की इस निर्मित धारणा को तोड़ा जाए जिसका परिणाम यह पुस्तक है। उन्होंने कहा कि पुस्तक का नाम ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ इसलिए रखा कि राज्य ने इनपर दहशतगर्दी का जो ठप्पा लगाया वो उनके रिहा होने के बावजूद भी नहीं हटा और इसीलिए उनकी रिहाई के बाद जब उनको जमानतदारों की जरूरत होती है तो शुऐब साहब जैसे लोगों को अपनी पत्नी और साले को जमानतदार के बतौर खड़ा करना पड़ता है।
 
कोलकाता से आए आफताब ने 27 दिसंबर 2007 को कोलकाता से उठाए जाने की अपनी दास्तान को बताते हुए कहा कि आतंकवाद के आरोपों से घिरे वो 22 दिन इतने डरवाने रहे हैं कि उसे जिंदगी भर नहीं भूल सकता। जब मुझे एक लोन गारंटर की शिनाख्त के बहाने कोलकाता से सीआईडी ने उठाया और यूपी एसटीएफ के हाथों दिन रात मारा पीटा गया, मैं कहता रहा कि आतंकवाद से मेरा कोई संबन्ध नहीं है पर वे मानते नहीं थे। पर 23 नवंबर 2007 का एक मेडिकल सर्टीफिकेट मेरी बेगुनाही का प्रमाण बना जिसके बाद मैं रिहा हो सका। मैं उस दर्द को आज भी नहीं भूल सकता कि इस आतंक के कंलक की वजह से मेरी बहन की शादी टूट गई।
 
आतंकवाद के मामलों में फंसाए गए बेगुनाहों के वकील रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि पिछले 10 सालों में ऐसे मुकदमें देखने के तजुर्बे से मैं कह सकता हूं कि आतंकवाद के नाम पर न सिर्फ बेगुनाहों को फंसाया जाता है बल्कि आतंकी घटनाएं भी राज्य मशीनरी और साम्प्रदायिक तत्व ही मिलकर कराते हैं। जिनकी अगली मंशा यही होती है किसी भी तरह डरा-धमका कर वकीलों को इन मुकदमों की पैरवी से दूर रखा जाए। यह सब एक योजना का हिस्सा होता है। इसीलिए हम लोगों के ऊपर लखनऊ, फैजाबाद से लेकर बाराबंकी ही नहीं देश के दूसरे हिस्सों में हमले होते हैं। लिहाजा यह जरूरी हो जाता है कि ऐसे मुकदमों के साथ ही जनता के बीच भी आंदोलन हों ताकि हम वकीलों के पक्ष में भी समाज का जनमत बने। रिहाई मंच और मसीहुद्दीन संजरी ने ये काम बखूबी किया है। 
 
रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मो. शुऐब ने कहा कि इन 10 सालों में आतंकवाद के नाम पर गढ़े गए हिंदुत्ववादी धारणा को तोड़ने और उसका काउंटर नैरेटिव निर्मित करने की हमारी कोशिश रही है। इसमें हम कितना सफल हुए हम नहीं जानते ये तय करना आवाम का काम है। उन्होंने कहा कि हमने आवाम से जो वादे किए उनपर कायम रहे और आज भी इंसाफ के लिए लड़ रहे हैं लेकिन सरकार लगातार आवाम से वादाखिलाफी कर रही है। अखिलेश सरकार ने बेगुनाहों को छोड़ने का वादा तो नहीं निभाया उल्टे जो लोग अदालतों से बरी हुए उनके खिलाफ अपील में जाकर उन्हें फिर जेल भेजने की साजिश रच रही है। रिहाई मंच इस साजिश को एक बार फिर जनता के सहयोग से नाकाम करेगा। मो. शुऐब ने कहा कि आज इस पुस्तक का विमोचन करने के लिए हमने आफताब आलम अंसारी की मां आयशा बेगम को इसीलिए बुलाया है ताकि अपने बच्चों के इंसाफ के लिए लड़ने वाली मांओं का हम सम्मान करें और रोहित वेमुला जिनकी हत्या का भी कल एक साल होने जा रहा है उनकी मां और नजीब की संघर्षरत मां के साथ अपनी एकजुटता दर्शा सकें। इन्हीं मांओं का संघर्ष नए समाज और देश का निर्माण करेगा।

Courtesy: National Dastak

 

मोबाइल क्लिप में आर्मी जवान यज्ञ प्रताप ने किया बड़ा खुलासा, मुझे पागल घोषित किया जा सकता हैं

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मोबाइल क्लिप के जरिय आर्मी जवान यज्ञ प्रताप ने किया बड़ा खुलासा किया है। अपनी बीवी ऋचा से बात करते हुए जवान यज्ञ प्रताप ने बताया कि ये लोग मुझे पागल घोषित करने की तैयारी कर रहे है। तुम रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री से मदद के लिए कहो। मुझे यहां से कहीं ले जाया जा रहा है। जहां शाॅक देने की इन्होंने तैयारी की है।

सेना के अधिकारियों पर आर्मी जवान यज्ञ प्रताप की पत्नी ऋचा ने गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग उन्हें पागल कर देगें। लांसनायक यज्ञ प्रताप सिंह की पत्नी ऋचा सिंह न्याय की मांग करते हुए मध्य प्रदेश के रीवा में अनशन पर बैठी थी। उनके साथ उनका 7 साल का बेटा पार्थ भी अनशन पर बैठा था। ऋचा मध्य प्रदेश के रीवा जिले की बोदाबाग कॉलोनी में अपने बेटे के साथ किराए के मकान में रहती हैं।

 

जबकि यज्ञ प्रताप को इन दिनों राजपूत रेजीमेंट में हैं और फतेहगढ़ में तैनात होना बताया जा रहा है। फोन पर ऋचा की यज्ञ प्रताप से बातचीत हुई है जिसमें वह कह रहे है कि ये लोग मुझे पागल करने की तैयारी में है। तुम तुरन्त कुछ करो।यज्ञ प्रताप ने बताया कि उनको कहीं पर ले जाया जा रहा है और रास्ता बदल दिया गया है। आर्मी हास्पिटल में ले जाकर ये लोग मुझे शाॅक टिट्मेंट देगें।

न्यूज़ 18 की खबर के अनुसार, ऋचा का आरोप है कि उनके पति को पागल घोषित करने की साजिश रची जा रही है। इसके लिए उन्हें मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है, जबकि वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। साथ ही ऋचा ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

इस बातचीत में यज्ञ प्रताप अपनी बीबी ऋचा से बातचीत करते हुए कहते है कि लखनउ में काफी मीडिया और पब्लिक के जमा होने के कारण ये लोग मुझे बरेली ड्राइवर्ट कर रहे है। ऋचा कहती है कि रक्षा मंत्री ने आदेश दिया है ये लोग कुछ नहीं कर पाएगें। ऋचा आप रक्षा मंत्री से सपोर्ट मांगिए कि मुझे पागल घोेषित ना किया जाए। यहां सारे अफसर एकजुट हो गए है और मुझे काफी परेशान कर रहे है।

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

सिख सैनिक का गाना वायरल, गाने में कहा, नेता ताज होटल में लंच करते हैं सैनिक रोटी और अचार खाने को मजबूर

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सेना दिवस के मौके पर हाल ही में आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने चेतावनी देते हुए कहा था कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर शिकायत करने वो लोग सज़ा के हकदार हो सकते हैं। लगातार जवानों की वायरल हो रही वीडियो के बाद एक नई वीडियो वायरल हो रही है।

अब जो वीडियो सामने आया है वो एक सिख सैनिक के गाने का विडियो सामने आया है जिसमें गाने के ज़रिए सैनिक का दर्द झलक के आया है।

सैनिक ने गाना गाकर बॉर्डर पर सैनिक की जिंदगी बयां की है। गाने वो कहता है नेता जहां ताज होटल में लंच और डिनर करते हैं, वहीं सैनिक रोटी और अचार खाने को मजबूर हैं। सिख सैनिक का यह वीडियो वायरल हो गया है।

 

गाने के बोल कुछ इस तरह हैं ‘जवान 10-10 महीने तक बिना किसी छुट्टी के लगातार सीमा पर पहरा दे रहे हैं,नेता जहां ताज होटल में लंच और डिनर करते हैं, वहीं सैनिक रोटी और अचार खाने को मजबूर हैं’

‘रात भर सर्दी और गर्मी के मौसम में सरहद पर सीमा की रखवाली करते हैं और देश के नेता रातों में चैन की नींद सोते हैं। जिस युवती से उसकी शादी हुई है वो परेशान है, वह समझ नहीं पा रही है कि वो शादीशुदा है या बिना शादी के’

Courtesy: Janta Ka Reporter