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डिजिटल इंडिया की बात करने वाली सरकार ने अर्धसैनिक बलों के लिए सोशल मीडिया बैन, स्मार्टफोन पर भी लगी रोक

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नोएडा, डिजिटल इंडिया की बात करने वाली मोदी सरकार सेना के जवानों द्वारा उनके ऊपर हो रहे अत्याचार के वीडियो वायरल होने से बैकपुट पर आ गयी है। एक के बाद एक वायरल हो रहे शिकायत वाले वीडियो से सरकार हिल गई और गृह मंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों के जवानों के सोशल मीडिया पर वीडियो और निजी तस्वीरें डालने पर रोक लगा दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना की कई यूनिट में भी स्मार्टफोन पर रोक लगा दी गई है।

Smartphone ban for Army

दरअसल जवानों को सोशल मीडिया जवानों द्वारा आवाज उठाने से घबराई सरकार ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल में रोक लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किया है। ताकि सरकार की किरकिरी ना हो सके। गृह मंत्रालय ने कहा है कि अर्धसैनिक बलों के जवानों को सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से पहले डीजी से इजाजत लेनी होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना में भी कई यूनिट्स में स्मार्ट फोन पर पाबंदी लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि जवानों को इसका कड़ाई से पालन करना होगा। इस आदेश के बाद जवान तस्वीरें खींचकर ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप्प, यूट्यूब या इंस्टाग्राम पर नहीं डाल सकते। हालांकि यह नियम पहले से था कि ड्यूटी के समय आप मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते। अब इस नियम के तहत ड्यूटी और ड्यूटी के बाद भी सेना के जवान स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इस फैसले को कड़ाई के साथ लागू किया जाएगा।

बता दें कि पिछले कई दिनों से सेना की जवानों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर अधिकारियों और सुविधाओं को लेकर शिकायत की है। इनमें सबसे पहले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने खराब खाना मिलने, सीआरपीएफ के जवान जीत सिंह ने सुविधाएं न मिलने, एसएसबी के एक जवान ने अधिकारियों पर तेल और राशन बेचने और सेना के जवान युग प्रताप सिंह ने घरों में अफसरों की तरफ से निजी कार्य कराने जैसे आरोप लगाए हैं। जवानों द्वारा आवाज उठाने से सेना द्वारा पकिस्तान के ऊपर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक का ढिंढोरा पीटने वाली मोदी सरकार बैकपुट पर आ गयी है।

Courtesy: Dainik Aaj

भाजपा विधायक से दलित युवक ने पूछ लिया सवाल, समर्थकों ने कर दी पिटाई

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मेरठ। भाजपा विधायक संगीत सोम की चुनावी रैली में आलोचना करने पर एक दलित की पिटाई का मामला सामने आया है। दलित की शिकायत पर पुलिस ने भाजपा विधायक के दो समर्थकों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

Sangeet som
 
सरधना विधानसभा क्षेत्र के पेशावली गांव के सत्यपाल का आरोप है कि मंगलवार को जब भाजपा विधायक संगीत सोम चुनाव प्रचार के लिए उसके गांव आए थे। एक युवक ने भाजपा विधायक पर पांच साल विधानसभा क्षेत्र से दूर रहने की बात कहते हुए आलोचना की तो उसकी इस बात से विधायक के समर्थक नाराज हो गए। उन्होंने युवक की बेदर्दी से पिटाई की और जाति सूचक शब्द भी कहे। जिसके बाद दलित ने इस संबंध में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।
 
पढ़ें-वाम संगठन के छात्रों ने की दलित छात्र की पिटाई
 
सरधना के थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि सत्यपाल की शिकायत के आधार पर दो लोगों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। हालांकि शिकायत में भाजपा विधायक संगीत सोम का जिक्र नहीं है। हम इस मामले की जांच कर रहे है और जांच के बाद ही हम इस बारे में बयान जारी करेंगे।
 
वहीं, भाजपा विधायक संगीत सोम ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि ये उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश है, वो मंगलवार को पेशावली गए ही नहीं थे, और उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।

Courtesy: National Dastak

वीडियो बनाने वाले जवान यज्ञ प्रताप भूख हड़ताल पर, पत्नी का दावा, कहा अगर कुछ हो गया तो सरकार होगी जिम्मेदार

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लांस नायक यज्ञ प्रताप की पत्नी ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए बताया कि यज्ञ प्रताप भूख हड़ताल पर बैठे हुए है तथा उनका मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है। उन्होंने किसी दूसरे का फोन मांगकर मुझसे बात की और इस बात की जानकारी दी। अगर इस अवस्था में उन्हें कुछ हो गया तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी।

यज्ञ प्रताप

लांस नायक यज्ञ प्रताप की पत्नी ऋचा सिंह का कहना है, ‘’वह फोन पर बात करते हुए रो रहे थे और कह रहे थे कि मेरी अब तुमसे कभी बात नहीं हो पाएगी। मेरा फोन जब्त कर लिया गया है। मैंने खाना-पीना छोड़ दिया है।’’

लगातार एक के बाद एक सेना के जवानों वीडियो सामने आने से उन परेशानियों का पता चल रहा है जिन्हे देश की सेना के बहादुर जवान झेलते है। अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए ये सभी जवान पीएम मोदी से गुहार लगाते नज़र आ रहे है कि इनकी समस्याओं पर भी देश की सरकार ध्यान दे।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देहरादून में तैनात सेना के जवान यज्ञ प्रताप सिंह के अनुसार उन्होंने पिछले वर्ष 15 जून को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए ध्यान दिलाया था कि अधिकारियों द्वारा जवानों का किस प्रकार से शोषण किया जाता है।
इस पत्र के लिखे जाने की बात बाद में जब सेना के अधिकारियों को पता चली तो जवान यज्ञ प्रताप सिंह को काफी डांटा-फटकारा गया। इसके बाद जवान यज्ञ प्रताप सिंह को लग रहा है कि अब उनका इस मामले पर कोर्ट मार्शल भी हो सकता है। यज्ञ प्रताप के अनुसार सेना में कई जगहों पर एक सैनिक से कपड़े धुलवानाए बूट पॉलिश करवानाए कुत्ते घुमवाना जैसे काम करवाना गलत है।  यज्ञ प्रताप ने सीधे प्रधानमंत्री से अनुनोध करते हुए कहा है कि वे इस मामले में दखल दें क्योंकि उसने पत्र लिखकर कोई गलत काम नहीं किया है।

जबकि सैन्य बलों के जवानों की और से लगातार सोशल मीडिया पर शिकायत वाले वीडियो आने से सरकार हरकत में आ गई है। अब इस पर पाबंदी की तैयारियां कर ली गई है।

सोशल मीडिया पर जवानो के वीडियो आने के बाद काफी हंगाम हुआ और उसके बाद गृह मंत्रालय ने एक्शन लेते हुए नई गाइडलाइन जारी करके अर्धसैनिक बलों के लिए सोशल मीडिया को प्रतिबंध करने की खबर आई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए निर्देश के मुताबकि पैरामिलिटरी का कोई भी जवान बिना अधिकारिक निर्देश के कोई भी फोटो या वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर नहीं कर सकता।

Courtesy: Janta ka Reporter
 

नोटबंदी के बाद शर्मिंदगी महसूस कर रहे आरबीआई कर्मचारी

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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद देश में बने हालात से भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारी अपमानित महसूस कर रहे हैं। इस सदर्भ में कर्मचारियों ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को चिट्ठी लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया हैं। आरबीआई कर्मचारियों की इस चिट्ठी में नोटबंदी की प्रक्रिया के परिचालन में कुप्रबंधन और सरकार की तरफ से करंसी को-ऑर्डिनेशन के लिए एक अफसर को अप्वाइंट करने का विरोध किया गया है।

RBI
 
आरबीआई कर्मचारियों की इस चिट्ठी में कहा गया है कि नोटबंदी की प्रक्रिया में हुए कुप्रबंधन से आरबीआई की छवि और स्वायत्तता को इतना नुकसान पहुंचा है कि इसे दुरूस्त करना काफी मुश्किल है। इसके अलावा कर्मचारियों ने मुद्रा प्रबंधन के लिए वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति को आरबीआई में अतिक्रमण बताया है। यूनाइटेड फोरम ऑफ रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एंड इम्पलाइज की इस चिट्ठी में कहा गया कि, रिजर्व बैंक की दक्षता और स्वतंत्रता वाली छवि उसके कर्मचारियों के दशकों की मेहनत से बनी थी, लेकिन इसे एक झटके में ही खत्म कर दिया गया।
 
आरबीआई गवर्नर को लिखी गई इस चिट्ठी में ऑल इंडिया रिजर्व बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के समीर घोष, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन के सूर्यकांत महादिक, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के सीएम पॉलसिल और आरबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन के आरएन वत्स के हस्ताक्षर हैं। वहीं ऑल इंडिया रिजर्व बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के समीर घोष ने चिट्ठी लिखने की पुष्टि करते हुए कहा है कि हमने उर्जित पटेल से अपील की है कि वह आरबीआई की स्वायत्तता को सुरक्षित रखें और आरबीआई में वित्त मंत्रालय के दखल को खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाए।

Courtesy: National Dastak
 

नोटबंदी की मार झेल रहे किसानों ने बीजेपी से बनाई दूरी, किसान सम्मेलन में खाली पड़ी रहीं कुर्सियां

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लखनऊ, यूपी चुनाव भाजपा के लिए टेढ़ी खीर बनती जा रही है एकतरफ भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक रही है यूपी चुनाव को जीतने के लिए तो दूसरी तरफ प्रदेश की जनता का साथ भाजपा को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा का यूपी की सत्ता से वनवास अभी खत्म नहीं हो पायेगा।

Kisan Sammelan

2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी ने 73 सांसद दिए भाजपा को इसके बावजूद 2 साल तक भाजपा का कोई भी सांसद प्रदेश में अपना चेहरा तक दिखाने नहीं आया। किसानों की फसलें नष्ट हो गयी सूखे से और बेमौसम बारिश से जिसका केंद्र सरकार से उन्हें कोई अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया। अब जब यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो भाजपा को यूपी के किसानों की याद आई है।

यूपी में चुनावी नैय्या पार लगाने के लिए भाजपा पिछले 6 महीने से तमाम बैठकें और कार्यक्रमों के जरिये प्रदेश में अपने जनाधार को बढाने की कोशिश कर रही है पर भाजपा के उम्मीदों को बल मिलता नहीं दिख रहा है जहाँ उसके द्वारा निकाली गयी तमाम परिवर्तन यात्रएं फ्लॉप हो गई तो भाजपा नेता पिछड़ा वर्ग सम्मलेन मैं भी जनता का आकर्षण नहीं खींच पाई।

अब भाजपा यूपी के सबसे बड़े वोटबैंक समझे जाने वाले किसान वर्ग को रिझाने के लिए माटी तिलक कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। जहाँ किसानों द्वारा सम्मलेन में नहीं पहुँचने से भाजपा नेतृत्व में बेचैनी बढ़ने लगी है।

दरअसल भाजपा ने यूपी चुनाव को देखते हुए किसानों को अपने पाले में करने के लिए माटी तिलक कार्यक्रम का आयोजन किया है। भाजपा को लग रहा है कि बाह्मण और क्षत्रियो समेत अगर भाजपा का मूल वोट बैंक न खिसका तब भी भाजपा को कुछ वोट की खास जरूरत होगी जिसमें किसानों की अहम भूमिका होगी। ऐसे में पूर्वांचल के वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने भदोही से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को भाजपा किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया है। ताकि किसानों के सहारे यूपी की बैतरिणी को पार किया जा सके।

भाजपा ने किसानों को अपने साथ जोड़ने के लिए कहा है कि भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों के मुद्दे सबसे पहले होगें औऱ किसानों की समस्या को निपटाने के लिए भाजपा किसी भी तरह से पीछे नहीं हटेगी उसके बाद भी भाजपा के इस कार्यक्रम से किसानों की नामौजूदगी ये बता रही कि भाजपा को अपने प्लान में जमीनी हकीकतों को जानने की कोशिश करनी चाहिये।

जानकारों की माने तो सोनभद्र में भाजपा के इस कार्यक्रम में इतनी कम भीड़ भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। इस मसले पर लोगों से पूछने पर लोगों ने इसे नोटबंदी के बाद भाजपा से किसानों की नाराजगी बताया।

लोगों की मानें तो नोटबंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों ने अपने फसलों की समय से बुआई नहीं की। जो पैदावार हुई उसका लाभ भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। सब्जियों का भाव लगातार गिरता जा रहा । जिससे किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है। ऐसे में भाजपा से किसान नाखुश दिख रहा है जिसका नतीजा उसे यूपी चुनाव में देखने को मिल सकता है।

Courtesy: Dainik Aaj