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तीन मुस्लिम बहनों के जज्बे की कहानी, पांच साल में गांव को बनाया शिक्षित

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वाराणसी। वाराणसी के लोहता के सजोई गांव की तीन मुस्लिम बहनों ने गरीबी और लाचारी को बहुत करीब से देखा है। एक ही किताब से तीनों पढाई कर आज गांव के 150 से ऊपर बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैं। मुस्लिम होने के नाते गांव में उनके इस अभियान का विरोध भी जमकर हुआ। तीनों बहनों ने बीस हजार की आबादी वाले गांवों में साक्षरता की ऐसी अलख जगायी कि 90 प्रतिशत अनपढ़ पांच सालों में साक्षर हो गए है। इनके जज्बे की कहानी इतनी बुलंद है कि इन तीनों बहनों को फिल्म स्टार आमिर खान और टीना अंबानी ने भी सलाम किया है। 

 तीन मुस्लिम बहनों के जज्बे की कहानी, पांच साल में गांव को बनाया शिक्षित
वाराणसी शहर से 18 किलोमीटर दूर सजोई गांव में बुनकर परिवार की तीन मुस्लिम लड़कियों ने 2010 में एक बंद पड़े मदरसे में गांव के गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बड़ी बहन तरनुम बताती हैं कि शुरू में काफी विरोध हुआ। उन्होंने कहा, 'धीरे-धीरे क्लास फाइव तक के बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, मैथ के साथ उर्दू भी पढ़ाना शुरू किया गया पर गांव की लड़कियों को उनके माता-पिता ने पढ़ने की इजाजत नहीं दी। हमने हिम्मत नहीं हारी और सिलाई-कढ़ाई के बहाने लड़कियों को घर से बाहर निकालकर मदरसे में पढ़ाई के लिए लेकर आए। फिर धीरे- धीरे लडकियां जुड़ती चली गयीं और आज इस गांव के 200 बच्चे इस छोटे से मदरसे से पढ़कर निकल चुके हैं।
 

 
तरन्नुम बानो बताती हैं, 'हमारे इस इलाके में लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता है लेकिन हमारे माता-पिता ने हमें शिक्षा दी। हम जब पढने जाते तो अपने उम्र की लड़कियों को घर में काम करते देखकर हमें अच्छा नहीं लगता था इसलिए हमने सोचा कि हम अपनी शिक्षा के साथ इन्हें भी शिक्षा दें, तबसे हम लोगों ने इन्हें पढ़ाना शुरू किया।

वन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मदरसे में बच्चों को मैथ पढ़ाती तबस्सुम बताती हैं कि जब इनलोगों ने मदरसा शुरू किया तो सभी लोग उन पर हंसते थे। उनका मजाक उड़ाया करते थे पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने माता-पिता की सहायता से अपने काम को जारी रखा। तब्बसुम ने कहा, 'हमारा गांव बिलकुल साक्षर नहीं था, किसी तरह गांव में हम बहनों ने ही इंटर तक की पढ़ाई की थी इसलिए हमने तय किया की गांव में मदरसा खोलकर हम गांव के बच्चों को जरूर पढ़ना-लिखना सिखाएंगे पर ये काम इतना आसान नहीं था। हमें बहुत विरोध का सामना करना पड़ा, लोगो के ताने सुनने पड़े। दीनी तालीम और दुनियावी तालीम, दोनों की शिक्षा यहां हम देते है हिंदी, उर्दू, अरबी, मैथ, अंग्रेजी सभी की पढ़ाई हम कराते हैं। 
 

 
इन तीन बहनों ने पूरे गांव में एक मिसाल कायम किया है। तीसरी बहन रुबीना का कहना है कि आज हम इस मदरसे को भले ही अच्छी तरह से चला रहे है पर शुरू में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा था पर आज हम लोग बेहद खुश है की हमारी मेहनत रंग लायी है। इन तीन लड़कियों की लगन और हिम्मत का ही नतीजा है कि आज गांव के सभी लोग इन्हें आदर्श मानते हैं।
 
गांव के ग्राम प्रधान राजेंद्र प्रसाद शर्मा खुद इन लड़कियों का हौसला बढ़ाते हैं। इनके इस प्रयास के लिए इन्हें बधाई भी देते हैं और कहते हैं कि आज इन लड़कियों की वजह से हमारे गांव के बच्चे पढ़ना-लिखना सिख रहे हैं। गांव के वरिष्ठ लोग भी बताते हैं कि जबसे ये मदरसा खुला तबसे बच्चे खेलते कम है, पढ़ते ज्यादा हैं इसलिए हम इन लड़कियों का एहसान मानते हैं। मदरसे में बच्चों को पढ़ाने के अलावा ये लडकियां अपनी खुद की भी पढ़ाई जारी रखी हुई हैं। 
 

 
ग्रेजुएशन करने के बाद अब ये आई.टी.आई. की पढ़ाई कर रही हैं। अपने खाली समय में ये पढ़ाई करती हैं तो वहीं घर के कामों में भी अपनी मां का हाथ बटाती हैं। खाना बनाने से लेकर हर काम ये करती हैं। इनके माता पिता भी इन लड़कियों पर गर्व करते हैं।

Courtesy: National Dastak

Gruesome: Girl’s Ears Chopped Off for Resisting Rape, Repeatedly

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Four Men reportedly chopped off a girl's ears in Baghpat, UP reportedly for repeatedly resisting their attempts to rape her, reports ANI

Baghpat Rape victim
A TV Grab of the Victim with her mother   Image: News18

In a shocking incident, as many as four persons in Uttar Pradesh's Baghpat allegedly attempting to rape a girl chopped off her ears as she repeatedly resisted against it.

The incident reportedly took place on January 4, when four men reportedly barged into the girl's house and attempted to gang-rape her. Strangely, a former policeman and member of parliament of the Bharatiya Janata Party (BJP) Baghpat MP Satyapal Singh while reacting to the incident told ANI that there was no rape attempt made and there is no truth in the complaint.

"I have personally talked to the SP regarding this matter. He told me that the incident took place on 31st December morning. The incident is between the two neighbours and if they are complaining after so many days than I think it is an afterthought and there is no truth in it," he added.
 

Shiv Sena sharpens attack on Centre, says BJP Govt “worst in 10,000 years”

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In a stinging attack on the NDA Government over demonetisation, key ally Shiv Sena on Friday described it as the “worst regime in 10,000 years” and said the BJP leaders are living in fool’s paradise to think that the exercise would eradicate black money after putting even women to great difficulty.

NDA Government

Referring to the report of a woman removing her top clothes in angst in front of the RBI regional office in Delhi after failing to get a few junked notes exchanged, Sena said the plight of the hapless mother looked like a “government sponsored Nirbhaya tragedy.”

 

“We want to ask the Chief Minister (of Maharashtra), whose side are you on; demonetisation or this helpless woman …If the government cannot see and understand the suffering of this woman, then such a ruthless and deaf regime would not have been in existence in the last 10,000 years,” the Sena said in an editorial in party mouthpiece Saamana .

“When a woman in distress sits on a street in Delhi and condemns the government, it is like government sponsored Nirbhaya tragedy,” it said.

The Sena said the victim has brought out the stifled sufferings and anger of women on the streets.

“If you term the act of this woman as nationalism, you need a Talibani doctor to treat your brains. Such atrocities against women happen only in Talibani regimes,” the Sena said.

Training its guns on chief minister Devendra Fadnavis for supporting the demonetisation, the ally said if the CM s stomach does not churn on seeing the plight of this woman, then he is a “helpless person.”

The Sena said the BJP is living in a fool s paradise thinking that demonetisation has ended the menace of black money while the truth is that the decision has caused distress to middle class, poor and jobless people.

Two days ago, a woman, who was carrying her son along, removed her top clothes in angst in front of the RBI regional office in Delhi after she was unable to get a few junked currency notes exchanged.

(With inputs from PTI)
 

ग्रामीण इलाके के बैंक अब भी कैशलेस – अमर उजाला

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इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक में नहीं है कैश

नोटबंदी के 57 दिन बीतने के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। ग्रामीण इलाके की बैंकों में अब भी कैश की किल्लत बनी हुई है। शहर में स्थिति करीबकरीब सामान्य हो चली है। यहां 24 हजार रुपये तक का भुगतान किया जा रहा है। शहर के अधिकतर एटीएम बंद पड़े हैं जो चल रहे हैं उन पर अब भी लंबीलंबी कतार लग रही हैं। एटीएम से पैसा निकालने की सीमा 4500 रुपये हो जाने से लोगों ने राहत की सांस ली है लेकिन ज्यादातर एटीएम बंद होने से लोग परेशान हैं। 

Uttar Pradesh Banks
Image: Amar Ujala

गोला गोकर्णनाथ। बैंकों और एटीएम पर अब भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कैश की कमी के कारण कुछ बैंकों के ही एटीएम चल पा रहे हैं। जहां रुपया निकालने को लोग लाइन में लग रहे हैं। घंटों इंतजार के बाद बमुश्किल राशि निकाल पा रहे हैं वहीं मिल परिसर की इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक में कैश संकट बना हुआ है जिससे खातेदारों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। बैंक के बाहर खड़े कोर्रैया के केशवराम ने बताया कि उन्हें बंदी के बाद दो बार हजारहजार रुपये मिले हैं। वहीं टिहुलिया के रवींद्र कुमार ने बताया कि वह बमुश्किल बैंक खाते से एक बार में दो हजार रुपये निकाल पाए उसके बाद जब भी वह बैंक आते हैं तो उन्हें कैश न होना बताकर टरका दिया जाता है। दौलतगंज के पुत्तूलाल और लक्ष्मनयती के रामकुमार भी बैंक से भुगतान न मिलने पर मायूस घर लौट गए।

मैलानी। नोटबंदी के बाद से बैंकों में नकदी का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बृहस्पतिवार को इलाहाबाद बैंक में अपराह्न दो बजे ही कैश खत्म हो गया। बैंककर्मियों ने चैनल पर नोकैश का बोर्ड लगा दिया। इससे पैसा न मिलने के कारण तमाम ग्राहक मायूस हो गए और कुछ तो काफी देर तक पैसे आने की उम्मीद में बैंक के बाहर ही धूप में बैठ गए। उधर स्टेट बैंक में भी सिर्फ चार हजार रुपये की निकासी ही हो सकी।

बिजुआ। लखीमपुर से पलिया के बीच एटीएम न चलने की खबर लगने के साथ ही गुलरिया चीनी मिल पर लगा एटीएम बुधवार को दो घंटे के लिए चलाया गया। बाद में एटीएम में कैश न होने से वह बंद हो गया। दूसरे दिन ही गुरुवार को एटीएम केबिल फाल्ट के चलते बंद रहा। 

अमर उजाला ने राज्यमार्ग पर 75 किलोमीटर की दूरी पर पड़ने वाले पांचों एटीएम की खबर को प्रमुखता से लगाया था। बुधवार देर शाम को चार बजे एटीएम चल सका लेकिन छह बजे तक कैश न रहने से एटीएम बंद हो गया। गुरुवार को सुबह से एटीएम के सामने लोग लाइन में लगे रहे। बाद में केबिल फाल्ट के चलते कनेक्टिविटी नहीं रही। बाद में कैश न डाले जाने से एटीएम नही चल सका। शाम चार बजे तक लोग एटीएम के सामने लाइन लगाए बैठे रहे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जूते सुरक्षाकर्मी ने उठाए, वीडियो हुआ वायरल

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर अपने सुरक्षाकर्मियों की ‘सेवा’ को लेकर सुर्खियों में हैं। बुधवार को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मी ने उनके जूते उठाए। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

शिवराज सिंह चौहान

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उज्जैन में बुधवार को भाजपा का प्रशिक्षण वर्ग चल रहा था। इसमें हिस्सा लेने से पहले मुख्यमंत्री ने जैन मुनि प्रज्ञा सागर से आशीर्वाद लिया और जूते बाहर ही उतार दिए।

इसके बाद मुख्यमंत्री बिना जूते पहने प्रशिक्षण स्थल की ओर जाने लगे तो सुरक्षाकर्मी ने उनका जूता उठा लिया। वहां मौजूद कुछ लोगों ने जूते उठाकर चलने वाली इस घटना को अपने मोबाइल से शूट कर लिया। जिसके बाद ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

 

Courtesy: Janta Ka Reporter