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पानी की तरह पैसे बहा रही बीजेपी, बाइकों के बाद खरीदे करोड़ों के प्रचार वाहन

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद पूरा देश पैसों के लिए तरस रहा है। लोग पाई-पाई के लिए बैंक के सामने लगने को मजबूर हो रहे हैं। नोटबंदी के बाद जहां पूरा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है वहीं बीजेपी यूपी चुनाव जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है। 

BJP UP election expenses

बीजेपी को सत्ता का इतना मोह है कि नोटबंदी के बाद लगभग 100 लोगों की मौत का उसे कोई अफसोस नहीं है वह बस जीत दर्ज करना चाहती है। एक तरफ लोगों को कैश की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, वहीं नोटबंदी से कालेधन और भ्रष्टाचार को खत्म करने का राग अलापने वाली बीजेपी करोड़ों रुपए सिर्फ प्रचार के नाम पर खर्च कर रही है। एक तरफ आम जनता के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है, बाजार में मंदी का दौर वापस लौट रहा है। उद्योग धंधे ठप पड़ गए हैं। लेकिन बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
 
बीजेपी ने पहले चुनाव प्रचार के लिए सैकड़ों बाइकें खरीदी, अब उसी तादाद में सैकड़ों प्रचार वैन की खरीदारी कर ली है। यह प्रचार वैन विधानसभाओं में घूमेगा। बीजेपी सरकार की उपलब्धियां गिनाएगा, पीएम मोदी के मन की बात सुनाएगा। बनारस में भी ऐसे 465 प्रचार वैन की खेप पहुंच गई है।
 
सूत्रों के अनुसार बनारस में 465 प्राचर वाहनों की खेप पहुंची है। एक वाहन की कीमत करीब 10 लाख रुपये है। इस तरह अगर जोड़ा जाए तो इन सभी 465 वैन की कीमत 46 करोड़, 50 लाख रुपये आती है। अब सवाल ये कि नोटबंदी के दौर में इतनी बड़ी रकम कहां से आई? 

Courtesy: National Dastak
 

बीजेपी के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं हर विधानसभा चार-चार प्रचार वैन घूमेगा। इसमें एलसीडी लगी होगी। टेप होगा, टीवी लगातार चलती रहेगी। एलसीडी के माध्यम से पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियां लोगों को बताई जाएंगी। टेप रिकार्डर के माध्यम से प्रधानमंत्री के मन की बात का प्रसारण होता रहेगा। 
 
इतना ही नहीं इसमें टेप रिकार्डर भी है जिसके माध्यम से लोगों से उनके मुद्दे रिकार्ड किए जाएंगे। लोगों से प्राप्त इन मुद्दों को बीजेपी अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी। बतादें कि पहले ही पत्रिका ने यह सूचना अपने पाठकों को दी थी कि भाजपा जन-जन तक पहुंच कर उनकी राय जानेगी फिर उसके अनुसार अपना घोषणा पत्र तैयार करेगी।

बीजेपी के एक पदाधिकारी ने इस बाबत सफाई देते हुआ कहा कि ये प्रचार वाहन प्रधानमंत्री के नोटबंदी के फैसले से पहले खरीदे गए हैं। उन्होंने ये भी बताया कि इन वाहनों की खरीदारी से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। 
 
दरअसल पार्टी ने एक निजी कंपनी को हायर किया है जिसके जिम्मे प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी है। उसी ने ये प्रचार वाहन की खरीदारी की है। ये प्रचार वाहन लखनऊ में खरीदे गए हैं और वहां से हर संसदीय क्षेत्र में भेजे जा रहे हैं। इनका इस्तेमाल कब से शुरू होगा इस सवाल का जवाब वह नहीं दे सके। लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि ये वाहन ठीक उसी तरह से इस्तेमाल होंगे जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव में रथ के रूप में किए गए थे।
 

ठंड से हो गई पति की मौत, अंतिम संस्कार के लिए पत्नी ने शव को ठेले पर रखकर सड़कों पे मांगी भीख

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दरभंगा जिले के लहेरियासराय में एक बेबस पत्नी को ठंड के कारण प्राण त्यागने वाले पति के अंतिम संस्कार के लिए शव को ठेले पर रखकर सड़कों पर भीख मांगनी पड़ी। इस महिला का पति एक ठेला चालक था और घर में इतने पैसे भी नहीं थे कि अंतिम संस्कार किया जा सके। तब वहीं की स्थानीय पार्षद ने तीन हजार रूपये देकर महिला के पति का अंतिम संस्कार कराया।

दरभंगा
Photo courtesy: Prabhat Khabar

तार-तार होती मानवीयता की दुहाई देता झकझोर कर रख देने वाला एक मामला बिहार के दरभंगा में देखने को मिला। लहेरिया सराय थाना क्षेत्र के नाका नंबर छह निवासी ठेला चालक जीतू मंडल (55) की मौत मंगलवार की सुबह ठंड लगने से हो गयी। घर में अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे।

 

प्रभात खबर के अनुसार, अंतिम संस्कार के लिए जब कोई सामने नहीं आया तब जीतू मंडल की पत्नी खुद ही शव को ठेले पर रखकर लोगों से मदद मांगने के लिए निकल पड़ी। वह दरभंगा-लहेरियासराय मुख्य मार्ग के नाका छह पर पहुंची जहां बीच सड़क पर शव लदा ठेला लगा रो-रोकर लोगों से भीख मांगने लगी।

मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गयी। कुछ लोगों का दिल पसीजा, तो पैसा दिया। बाकी लोग मजमा देख कर निकल गये। इस कारण करीब आधे घंटे तक सड़क पर जाम की स्थिति बनी रही।

घटना की सूचना मिलने पर स्थानीय पार्षद अनामिका देवी नाका छह पर पहुंचीं। उन्होंने कबीर अंत्येष्टि के तहत मृतक की पत्नी को तीन हजार रुपये दिये।

पैसा जमा होने के बाद शव का अंतिम संस्कार किया जा सका. बताया जाता है कि जीतू पत्नी के साथ नाका नंबर छह के समीप किराये के मकान में रहता था।

Courtesy: Janta Ka Reporter

प्रधानमंत्री के दावे की खुली पोल, 90 पर्सेंट पुराने नोट बैंकों में हुए जमा

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नई दिल्ली। आज नोटबंदी का 50वा दिन है, प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया था कि 50 दिन बाद नोटबंदी से तकलीफें दूर हो जाएंगी। मगर आज भी बैंकों व एटीएम में कैश की किल्लत बरकरार है।

Modi
 
नोटबंदी की घोषणा के वक्त देश में 15.4 लाख करोड़ रूपयों के 500 व 1000 रुपये के नोट प्रचलन में थे। इस राशि में से अब तक 14 लाख करोड़ की राशि के नोट बैंकों में जमा किए जा चुके हैं। तो ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी के फैसले पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। 
 
सरकार का अनुमान था कि तीन लाख करोड़ रूपए तक के नोट काले धन के तौर पर बैंकों में जमा नहीं हो सकेंगे। मगर अब तक बैकों में जमा की गई राशि सरकार के अनुमान से कहीं ज़्यादा है। नोट वापसी अभी एक महीना और चलेगी। संभावना है कि प्रचलन में जितने भी पुराने नोट हैं वे सारे वापस आ जाएंगे।

इसका सीधा सा मतलब यह होगा कि या तो काले धन का आकलन ही गलत था या फिर नोट बंदी के बाद काला धन रखने वालों ने अलग अलग माध्यम से इसे सफेद बना दिया। वजह जो हो, ऐसा हुआ तो राजनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चो पर सरकार को जवाब देना पड़ेगा। विपक्षी दलों भी सरकार पर हमला तेज करने के फिराक में है वहीं वित्तीय स्तर पर भी सरकार कुछ फैसलों से चूक सकती है।
 
इस मुद्दे पर जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि उन्हें 11 लाख करोड़ रुपये की राशि के वापस सिस्टम में लौटने से कोई आश्चर्य नहीं हुआ है। काले धन को लेकर सरकार का आकलन हमेशा से गलत रहा है। उन्होंने कहा- 'मेरा अध्ययन कहता है कि भारत में जितना काला धन संचित होता है उसका बमुश्किल 1-2 फीसद ही नकदी में संचित रखा जाता है। जिसके पास काले धन के तौर पर नकदी थी उन्होंने जन धन खाते, चालू खाते, सोना व मकान खरीदने में लगा दिया है। इसके सबूत भी मिल रहे हैं।

Courtesy: National Dastak