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कैशलेस की घूंट पिलाने के लिए सरकार ने चलाए ऐड के बाण

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कैशलेस की घूंट पिलाने के लिए सरकार ने चलाए ऐड के बाण
 

नई दिल्ली। पीएम मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी का फरमान सुना दिया। नोटबंदी के बाद से ही देश की जनता परेशान है। जहां एक तरफ नोटबंदी को कालाधन और भ्रष्टाचार पर सर्जिकल स्ट्राइक बताकर इसे जबरन देश की जनता को सौंप दिया गया, वहीं अब कैशलेस इकॉनमी की बात कहकर सरकार जनता को और दर्द दे रही है। यही नहीं फाइनेंस मिनिस्ट्री कैशलेस के फायदे बताने के लिए बकायदा ऐड कैंपेन की सीरीज लॉन्च कर रही है। 
 
इसके शुरुआती ऐड को बनाने का काम ऑगिल्वी एंड मैथर (ओएंडएम) और क्रेयॉन्स ऐडवर्टाइजिंग को सौंपा गया था। ये वही ऐड कंपनियां हैं जिन्हें बीजेपी ने यूपी चुनाव के लिए भी ऐड कैंपेन का काम सौंपा है।
 

क्रेयॉन्स के प्रेसिडेंट रंजन बारगोत्रा ने कहा, 'नोटबंदी का पहला कैंपेन हमने ही किया था। इसमें बताया गया था कि 2.5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट के लिए जांच नहीं होगी।' उन्होंने बताया कि नोटबंदी पर हमारी एजेंसी ने सिर्फ यही ऐड कैंपेन किया था। इस पर एक शुरुआती ऐड कैंपेन ओएंडएम ने भी किया था। इसकी पुष्टि कंपनी के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन पीयूष पांडे ने की है।
 
 
एजेंसी के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'यह कैंपेन खासतौर पर होर्डिंग्स के जरिए किया गया था। इसमें आम लोगों की इस पर राय दी गई थी। इसमें हर मेसेज का अंत एक पंचलाइन के साथ होता था- मेरा पैसा सुरक्षित है।' कैंपेन इसलिए शुरू किया गया था ताकि आम लोगों के मन से यह डर दूर किया जा सके कि उनकी कैश की बचत का कोई मतलब नहीं रह गया है।
 
अब सरकार 'कैश हुआ पुराना, अब डिजिटल का है जमाना' और 'बिना नकद लेनदेन, सरल है, सुरक्षित है, समय की पुकार है' जैसे नारे लेकर आई है। कैशलेस ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने के लिए हालिया ऐड कैंपेन तैयार करने का काम स्पैन कम्युनिकेशंस को दिया गया है। यह दिल्ली बेस्ड मीडिया एजेंसी है, जिसने काफी सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स किए हैं। 
 

एजेंसी के चीफ नरेश खेत्रपाल ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'सायबर सिक्योरिटी अवेयरनेस को लेकर हमने देश भर में एक कैंपेन शुरू किया। इसके बाद नोटबंदी और कैशलेस इकनॉमी पर कैंपेन लाया गया। अभी यह कैंपेन चल रहा है और इसे इंडियन बैंक्स एसोसिएशन और फाइनेंस मिनिस्ट्री का सपोर्ट मिला हुआ है।'
 
 
स्पैन सोशल मीडिया पर इस मेसेज के वीडियो डाल चुकी है। इनमें से एक ऐड में एक्टर अजय देवगन भी दिखते हैं। स्पैन को सरकार ने मुद्रा योजना, स्टैंडअप इंडिया और दूसरी सोशल सिक्योरिटी स्कीम्स के लिए भी अगले साल भर का ऐड कैंपेन बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया हुआ है।

Courtesy: Nationaldastak

 

भाजपा सरकार ने किया सैकड़ों मुस्लिम परिवारों को बेघर

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भाजपा सरकार ने किया सैकड़ों मुस्लिम परिवारों को बेघर
 

मेवात। हरियाणा की बीजेपी शासित खट्टर सरकार ने हांड कंपा देने वाली सर्दी में सैकड़ों मुस्लिम परिवारों के घर तोड़कर उन्हे बेघर कर दिया है। मामला हरियाणा के मेवात जिले का है। जहां प्रशासन ने सीआरपीएफ कैंप के लिए टूंडलाका गांव में 80 घरों को तोड़ दिया।
 
घरों को तोड़े जाने की वजह से सभी मुस्लिम परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। हांड कंपा देने वाली सर्दी को देखते हुए कुछ परिवारों ने टेंट और तंबू लगा लिए हैं लेकिन कुछ परिवारों को यह भी नसीब नहीं है।
 
पीड़ित लोगों का कहना हैं कि वह इस जमीन पर पिछले 40 वर्षों से रहते आएं हैं। प्रशासन ने उन्हें मकानों को तोड़े जाने से पहले सूचित भी नहीं किया जिससे वह अपने सामान और रहने की दूसरी व्यवस्था भी नहीं कर पाए। पीड़ितों ने बताया कि इस ठंडी के आलम वह खेतों में खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं, छोटे-छोटे बच्चे रातभर ठंड से कांपते हैं। सर्दी की हर रात उनपर किसी आपदा से कम नहीं है।

मेवात विकास सभा के अध्यक्ष उमर मोहम्मद ने बताया कि प्रशासन ने गलत तरीके से करीब 40 वर्षों से बने हुए मकानों को तोडा है। उन्होंने कहा कि चकबंदी के दौरान जो रक्बा बचा था वह किसानों कि पट्टी, शामलात और जुमला मालकान का है। मगर ग्राम पंचायत ने 1965 में इस जमीन का इंतकाल गलत तरीके से अपने नाम करा लिया था। जिसके बाद यह मामला कोर्ट गया और अब भी यह मामला जिला न्यायलय के समक्ष विचाराधीन है।
 
आपको बता दें कि मेवात जिले में सीआरपीएफ कैंप प्रस्तावित है। इसके लिए गांव की जमीन ली जा रही है। इस क्रम में प्रशासन ने 80 मुस्लिम परिवारों के घरों को ढहा दिया है। इस जमीन पर ये परिवार पिछले 40 सालों से रह रहे थे। वही प्रशासन का कहना है कि ये जमीन ग्राम समाज की है जबकि लोगों का कहना है कि ये जमीन उनकी है जिसको धोखे से ग्राम समाज की बना दिया गया।

Courtesy: Nationaldastak
 

 

बदलता दौर: ‘मनुस्मृति दहन दिवस’ पर ओबीसी वर्ग के 5000 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म

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 बदलता दौर: 'मनुस्मृति दहन दिवस' पर ओबीसी वर्ग के 5000 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म 
 

नागपुर। महाराष्ट्र की दीक्षाभूमि में 14 अक्टूबर 1956 में हुई ऐतिहासिक धर्मांतरण की यादें उस समय ताजा हो गई जब रविवार, 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर राज्य और बाहर के सैकड़ों ओबीसी वर्ग के लोगों एंव 'वी लव बाबासाहेब' संगठन के युवाओं ने दीक्षाभूमि पर बौद्ध धर्म स्वीकार किया। बौद्ध धम्म का संदेश देने वाले ओबीसी नेता हनुमंत उपरे के निधन के बाद उनके पुत्र ने लाखों ओबीसी बंधुओं को मूल धर्म में लौटने का आह्वान किया। 
 
राज्य के सभी जिलों के ओबीसी समाज ने धर्मांतरण समारोह के लिए पंजीयन कराया था। राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्यों के भी ओबीसी व अनुसूचित जाति के लोगो ने दीक्षाभूमि पर धर्मांतरण किया। इसके पहले सुबह 12 बजे संविधान चौक से धम्म रैली निकाली गई। 
 
रैली में सबसे आगे भिक्षु, उनके पीछे धम्मदीक्षा लेने वाले ओबीसी समाज के लोग तथा उपासक-उपासिकाएं चले। रैली में बहुत हर्षोल्लास का वातवरण देखा गया। गौरतलब है कि 2006 में साहित्यकार लक्ष्मण माने ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था।
 
 

आपको बता दें कि धर्म ग्रहण करने का यह पहला चरण था। पहले चरण में ही हजारों लोगों बौद्ध धर्म में प्रवेश किया। इसके बाद चरणबद्ध ढंग से 3744 जातियों के 10 लाख ओबीसी समाज के लोग बौद्ध धर्म स्वीकार करेंगे। 
 
सत्यशेधक ओबीसी परिषद तथा सार्वजनिक धम्मदीक्षा परिषद दीक्षाभूमि द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई के हाथों दोपहर 3 बजे धम्मदीक्षा समारोह प्रारम्भ हुआ। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति के कार्यवाहक सदानंद फुलझेले प्रमुखता से उपस्थित रहें। 
 
धर्मांतरण करने वालों को बुद्ध एंड हीज धम्म, धम्मविधि पूजा-पाठ, 22 प्रतिज्ञा तथा बुद्ध की मूर्ति भेंट की गई। संदीप हनुमंतराव उपरे एंव उनके परिवारजनो के साथ ओबीसी बंधुओं ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

Courtesy: Nationaldastak

 

What Shivaji Statue, World’s Tallest, Can Do For Maharashtra–If Not Built

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It could pay for a micro-irrigation programme to bring water to thousands of farmers over two years; pay for new rural roads seven times over; electricity projects five times over; restore 300 medieval forts in Maharashtra.
 
But the Maharashtra government, on October 26, 2016, started work on the world’s tallest statue–of medieval Maratha monarch Shivaji–off Mumbai’s coast and intends to spend Rs 3,600 crore, at current estimates. Since it was first conceived 12 years ago, the budget for Shivaji’s statue has risen 35 times.
 
The state government bypassed legal procedure by getting an exemption on February 5, 2015, from conducting public hearings on the statue’s construction–local fishermen say it will affect their fishing grounds, and the island that will be its base–from the Union Ministry of Environment Forests and Climate Change.
 
The Municipal Corporation of Greater Mumbai and the electricity utility BEST recently expressed their inability to lay underwater cables to the statue site–3.5 km out to sea–citing “lack of expertise”.
 
Shivaji statue will surpass Patel statue by 8 metres to be tallest in the world
 
The idea for the Shivaji statue first emerged in 1980. In 2004, the budget was around Rs 100 crore, which jumped to Rs 700 crore in 2009, Rs 1,400 crore in 2013 and Rs 3,600 crore in 2016.
 
The Rs 3,600 crore to be spent on the statue will be equivalent to:
 
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The statue will be the world’s tallest at 190 metres, 8 metres taller than Sardar Vallabhbhai Patel’s ‘Statue of Unity’, now under construction in Gujarat and slated for completion in 2018.
 
Currently, the Veera Abhaya Anjaneya Hanuman Swami in Vijayawada, Andhra Pradesh, is the tallest statue (41 meters) in India, IndiaSpend reported in November 2015.

Courtesy: India Spends
 
 

क्या पारसमल लोढ़ा काले धन के खिलाफ जंग में मोदी सरकार की हिम्मत और नीयत की परीक्षा भी है?

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सुनी-सुनाई है कि पारसमल लोढ़ा के पास ऐसे राज हैं जिससे कई बड़े नेता, वकील, अफसर, बिल्डर बेपर्दा हो सकते हैं

क्या पारसमल लोढ़ा काले धन के खिलाफ जंग में मोदी सरकार की हिम्मत और नीयत की परीक्षा भी है?

दिल्ली से कोलकाता और चेन्नई से चंडीगढ़ तक एक कहावत है – पारसमल लोढ़ा ऐसा पारस पत्थर है, जिसके छूने भर से काला धन सफेद हो जाता है. पारसमल लोढ़ा का एक और नाम है – एक्स्ट्रा फ्लोर लोढ़ा. कहा जाता है कि कोलकाता में किसी भी इमारत की अगर ऊंचाई बढ़ानी है, उसमें एक्स्ट्रा फ्लोर जोड़ने हैं तो पारसमल यह काम चुटकियों में करवा सकता है. अब वही पारस पत्थर हवालात में है.

सुनी-सुनाई है कि पारसमल लोढ़ा के पास ऐसे राज़ हैं जिससे कई बड़े लोग बेपर्दा हो सकते हैं. मोदी सरकार की जांच एजेंसी के पास अब वह आदमी है जिसके पास बहुत सारे बड़े लोगों के भ्रष्टाचार की कुंजी है. ऐसे बड़े लोग जिनके बारे में मीडिया ज्यादा लिख नहीं सकता, पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने से डरती है, नेता बोलने से बचते हैं. अब मोदी सरकार की परीक्षा है कि वह इन फाइलों को बंद करेगी या फिर देश को इनमें छिपा सच बताएगी. जिस डिजिटल डायरी की बात मीडिया कर रही है वह बस एक अंश भर है, असली डायरी तो सरकार के पास है.

दिल्ली के एक वकील रोहित टंडन के साथ मिलकर कोलकाता का यह कारोबारी देश भर के ताकतवर लोगों का काला धन सफेद करता था. ये दोनों भी अकेले नहीं थे. सुनी-सुनाई है कि नेता से लेकर वकील, अफसर, बिल्डर सबका एक गिरोह काम करता था. दिल्ली वाले वकील साहब करोड़ों रुपया लोढ़ा के पास पहुंचाते थे और फिर देश भर में बेनामी जायदाद खरीदी जाती थीं. इस खेल में ये लोग बेहद एक्सपर्ट माने जाते थे.

मोदी सरकार की जांच एजेंसी इस गिरोह की सबसे पहली कड़ी को सुलझाने में कामयाब हुई है लेकिन, इस कड़ी के आखिरी सिरे तक पहुंचना बेहद मुश्किल काम है.

निजी तौर पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिम्मत और नीयत की परीक्षा होगी कि वे सच में इस एक केस के जरिए पूरे देश के बड़े लोगों का भ्रष्टाचार हमारे सामने लाते हैं या फिर इस मामले का भी वही हश्र होगा जो अब तक ऐसे मामलों का होता रहा है. रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तो शुरुआत है और इस जंग में पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता. देखना दिलचस्प होगा कि वे इस राह पर कितना आगे जाते हैं.

इस एक केस के बारे में जो खबरें और जो नाम मीडिया में अब तक आए हैं बताया जाता है कि वे असलियत का सौंवा हिस्सा भी नहीं है. और अगर सच में इस केस के ज्यादातर किरदार जेल चले जाएं तो नोटबंदी का पूरा अभियान सफल हो सकता है. देश की सियासत से लेकर, देश की अफसरशाही और इंसाफ के मंदिर तक शुद्ध हो सकते हैं. लेकिन क्या सच में प्रधानमंत्री ऐसा कर सकेंगे?

चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के पास एक मौका है. वे साबित कर सकते हैं कि वे न खाते हैं, न खाने देते हैं. लेकिन चुनाव से पहले ही एक जोखिम भी है. अगर इस फाइल से सरकार और भाजपा के लोग भी पकड़े गए तो प्रधानमंत्री क्या जवाब देंगे. प्रधानमंत्री ने वाराणसी में कहा था – जब सफाई होगी तो दुर्गंध तो फैलेगी ही. क्या वे और उऩकी पार्टी भी उस दुर्गंध को झेलने के लिए तैयार हैं!

Courtesy: Satyagraha.in