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पेटीएम कर रहे हैं इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, हो सकता है आपका एकाउंट खाली

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नई दिल्ली। जब पीएम मोदी ने देश से कालाधन खत्म करने के नाम पर 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा की तो उसके बाद देश में कैश की समस्या खड़ी हो गई। इससे छुटकारा पाने के लिए सरकार ने पेटीएम जैसे ई-वॉलेट का इस्तेमाल करने की सलाह दे डाली। यहां तक की पेटीएम के विज्ञापनों में पीएम मोदी की फोटो का भी प्रयोग किया गया। लेकिन अब पेटीएम के इस्तेमाल पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

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दरअसल पेटीएम के इस्तेमाल में खामियां और एकाउंट से पैसे गायब होने की खबरें आने के बाद अब इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल पेटीएम का सिस्टम फुलप्रूफ नहीं है। इसके इस्तेमाल से आप अपने अकाउंट का पूरा पैसा गंवा सकते हैं। ये बात साबित भी हो चुकी है। 
 
सरकार ने सपना देखा था देश को अमेरिका की तर्ज पर कैशलैस बनाने का, जहां सारा लेनदेन प्लास्टिक मनी से हो, कैश के बजाए लोग महज़ कार्ड के इस्तेमाल से लेन-देन निपटा सकें। लेकिन अपराधियों ने सरकार के इस सपने में सेंध लगा दी और पेटीएम के इस्तेमाल को ही सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। 
 
नोटबंदी पर सरकार का समर्थन करने के चक्कर में दिल्ली का एक दुकानदार ये भूल गया कि पेटीएम इस्तेमाल करने के साथ बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी होती हैं। बैग बेचने वाले इस दुकानदार ने लोगों से जी भरके पेटीएम से भुगतान लिया लेकिन एक चूक से पेटीएम की पेटी से सारा माल गायब हो गया। और तो और उसके पेटीएम अकाउंट से पैसा कहां गया ये भी पता नहीं चल रहा। कंपनी चक्कर पर चक्कर लगवा रही है।
 
दुकानदार का नाम लोकेश जैन है। इन्हें पेटीएम का इस्तेमाल उस वक्त महंगा पड़ गया जब लोकेश पेटीएम से अपने बिजली के बिल का भुगतान कर रहे थे। इसी दौरान उनसे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) मांगा गया। ओटीपी देते ही उनके पेटीएम खाते से 17,560 रुपये गायब हो गए।
 
नोटबंदी के बाद से लोकेश पेटीएम इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके पेटीएम वॉलेट में 17,580 रुपये आ चुके थे। बृहस्पतिवार को लोकेश अपने पेटीएम वॉलेट से 10,460 रुपये के बिजली के बिल का भुगतान कर रहे थे। जिसके बाद पूरा अकाउंट ही खाली हो गया। लोकेश ने कंपनी से संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्हें मेल करने को कहा गया। फिलहाल लोकेश ने शहादरा थाने में मामले की शिकायत दर्ज करा दी है। और अब पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है।
 
 
ऐसी ही कहानी नेशनल टाइगर कंसरवेशन अथॉरिटी के फोटोग्राफर संजीव पटवाल ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर की उन्होंने लोगों को आगाह करते हुए इस सच से पर्दा उठाया है कि हर चमकती चीज पर भरोसा ना किया जाए। संजीव ने पोस्ट में लिखा है कि पेटीएम खाते में उनकी धनराशि काफी उल्टी-सीधी बताई गई हैं। उन्होंने जबसे पेटीएम अकाउंट खोला है तब से ही वो उसका प्रयोग नहीं कर पाए हैं। उन्होंने अपने अकाउंट में मात्र 2646 की रकम डाली थी लेकिन कभी उनका अकाउंट 980 रुपए, कभी 37,450 रुपए और कभी जीरो बैलेंस दिखाता है।

Courtesy: National Dastak

बाबा रामदेव की पतंजलि कर रही थी झूठा प्रचार, लगा 11 लाख जुर्माना

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देहरादून। बाबा रामदेव की कंपनी 'पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड' एक बार फिर से विवादों में फंसती नजर आ रही है। 'पतंजलि' को मिस ब्रैंडिंग एवं भ्रामक प्रचार के पांच मामलों में दोषी पाए जाने पर एडीएम हरिद्वार (न्याय निर्णायक अधिकारी) ने 'पतंजलि' आयुर्वेद की पांच उत्पादन यूनिटों पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है। 'पतंजलि', जिसका टर्नओवर फिलहाल 5 हजार करोड़ है, अगले वित्तीय वर्ष तक इसे 10 हजार करोड़ करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

Baba ramdev

बुधवार को हरिद्वार में एक स्थानीय अदालत ने रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद की पांच उत्पादन इकाइयों पर उसके उत्पादों के ‘‘गलत प्रचार एवं भ्रामक विज्ञापन'' के मामले में 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एडीएम ललित नारायण मिश्रा की अदालत ने कंपनी से एक माह के भीतर जुर्माना भरने को कहा।
 
आपको बता दें कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी योगेंद्र पांडे ने अगस्त 2012 में दिव्य योग मंदिर के पतंजलि स्टोर पर छापा मारकर कच्ची घानी सरसों तेल, नमक, बेसन, शहद और पाइनएप्पल जेम के चार-चार सैंपल भरे थे।
 
रुद्रपुर स्थित प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट के आधार पर नवंबर 2012 में अपर जिलाधिकारी न्यायालय में इस संबंध में वाद दायर किया गया। मंगलवार को एडीएम वित्त ललित नारायन मिश्र की न्यायालय ने इस पर फैसला सुनाया। न्यायालय ने सरसों के तेल की मिस ब्रांडिंग पर ढाई लाख, नमक पर ढाई लाख, पाइन एप्पल जैम पर ढाई लाख, बेसन पर डेढ़ लाख और शहद पर दो लाख यानी कुल 11 लाख का जुर्माना लगाया है।
 
अदायगी न करने पर इसकी भूराजस्व की तरह वसूली की जाएगी। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि इन उत्पादों को बनाने वाली कंपनी तीस दिन के भीतर इस मामले में खाद्य सरुक्षा प्राधिकरण में अपील करने का अधिकार होगा।
 
अदालत ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद को गलत प्रचार का दोषी पाया गया क्योंकि कंपनी ने दर्शाया है कि उसके उत्पादों का उत्पादन उसकी अपनी इकाइयां करती हैं जबकि उनका निर्माण कहीं और होता है।

Courtesy: National Dastak
 

देशभक्ति को लोगों के बेडरूम तक मत लेकर आइए: ट्विंकल खन्ना

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना ने सभी सिनेमा घरों में राष्ट्रगान को चलाये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की है। ट्विकंल ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया में लिखे ब्लॉग में कहा कि मैं यह बात समझ नहीं पा रही कि मेरे ऊपर उस वक्त भी जबरन देशभक्ति थोपने की कोशिश क्यों की जा रही है, जब मैं मनोरंजन के लिए थियेटर गई हूं।

Twinkle Khanna
 
उन्होंने आगे लिखा कि मैं खुद उन लोगों को मानती हूं जिनकी आंखों में राष्ट्रगान सुनते ही आंसू आ जाते है। साथ ही ट्विंकल ने लिखा कि मैं इतनी जोर से राष्ट्रगान गाती हूं कि बच्चे भी झेंप जाते है।
 
ट्विंकल आगे लिखती हैं कि ‘मैं अभी यह बात नहीं समझ पा रही हूं कि मुझ पर उस वक्त भी क्यों जबरन देशभक्ति थोपने की कोशिश की जा रही है। जब मैंने ‘बेफिक्रे’ जैसी फिल्म की टिकट खरीदी है और मैं रणवीर सिंह को टाइट रेड अंडरवियर में देखने जा रही हूं।
 
उन्होंने लिखा, हर चीज के लिए अपनी एक मुफीद जगह होती है। उन्होंने लिखा कि जह वाघा बॉर्डर पर परेड होती है, तो मुंह से ‘जय हिन्द’ खुद निकल जाता है, ट्विंकल ने लिखा है कि वाघा पर जब पाकिस्तानी लोग अपने नारे लगाते हैं, तो हमारे अंदर भी देशभक्ति उबाल मारती है। इसके लिए किसी को कहने की जरूरत नहीं पड़ती है।
 
आप को बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि देश के सभी सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाया जाए और जब राष्ट्रगान बजाया जाए तो परदे पर तिरंगा भी दिखना चाहिए। कोर्ट के इस आदेश पर कई मंचों पर बहस जारी है।

Courtesy: National Dastak

Education: Saffronisation and Nefarious Agenda of RSS

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The Union Government’s rhetoric on ‘Make in India” and ‘Skill India’, will remain on paper unless the government doesn't accord enough importance to the education sector. While, the ruling Bharatiya Janata Party (BJP) is busy working on these slogans, the budgetary allocation for primary and higher education by its government has been cut massively.

The Ministry of Human Resource Development (MHRD) is directing the central educational boards to make structural changes in the higher education. Students’ and teachers’ community alleges that this move was a planned agenda in line with the WTO guidelines and saffronisation push by the RSS. To discuss these issues, Newsclick interviewed Lalita Ramdas, one of the founding members of Greenpeace India.

Mrs Ramdas said, India is already at the lower rank in terms of expenditure in education sector in the world. “Students are the future citizens. Making them creative and allowing them to critically analyse is very essential. The idea of discussions and debates has to be extended from the universities like JNU and HCU to the schools. But the government is not in favour as the right-wing forces are against critical thinking. She criticised the mainstream media’s failure in spreading real information and proper knowledge.