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बिहार पुलिस की बर्बरता देखकर कांप जाएगी रूह, महिलाओं को लातों से मारा

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भागलपुर। बिहार के भागलपुर का डीएम ऑफिस परिसर गुरुवार को दहशत का रणक्षेत्र बन गया। डीएम ऑफिस परिसर में गुरुवार को पुलिस का बर्बरात्मक चेहरा देखने को मिला, जिसने भी यह मंजर देखा उसकी रूह कांप गई। पुलिस ने अनशन कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस दौरान महिलाओं को बेरहमी से पीटा गया। लाठीचार्ज के दौरान महिलाओं के कपड़े फट गए। पुलिस की मार से कई महिलाएं बेहोश हो गईं, उन्हें बुरी तरह घसीटा गया।
 
खबर के अनुसार, चार दिनों से वासगीत का पर्चा दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे भूमिहीनों की जब किसी से नहीं सुनी तो उनका धैर्य टूट गया। वे उग्र हो गए। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज करने के साथ कई प्रदर्शनकारियों को लातों से मारा। लाठीचार्ज में महिलाएं बेहोश हो गई। उनके कपड़े तक फट गए।

डीएम ऑफिस परिसर में लाठीचार्ज होते ही भगदड़ मच गई। इस दौरान महिलाएं निर्वस्त्र भी हो गईं। कई महिलाएं जमीन पर गिर गईं। कुछ महिलाओं के गोद में बच्चे थे। वे जमीन पर गिर गए। बच्चों को भी चोटें आई। पुलिस ने घसीटते हुए सभी महिलाओं को वहां से बाहर निकाला। लाठीचार्ज और पत्थरबाजी में आधा दर्जन से अधिक महिलाओं को चोटें आईं।

पुलिस की बर्बरता इतनी भयावह थी कि देखने वालों की रूह कांप गई। पुलिस ने अनशन पर बैठे जन संसद के सदस्यों को भी खदेड़ा और उनका टेंट- शामियाना उखाड़ कर कब्जे में ले लिया।
 

 
आपको बता दें कि कलेक्ट्रेट परिसर में चार दिन से भूमिहीनों को जमीन का पर्चा दिलाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे जब चार दिन तक प्रशासन नहीं चेता तो लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा। करीब 250 से 300 की संख्या में महिला पुरुष जब डीएम के चैंबर में घुसने का प्रयास करने लगे। 
 

 
इसकी जानकारी मिलते ही तिलकामांझी पुलिस मौके पर पहुंची और लाठी भांज कर खदेड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद सदर एसडीओ कुमार अनुज, डीएसपी सिटी शहरयार अख्तर आदि पुलिस बल के साथ पहुंचे और लाठीचार्ज का आदेश दिया। लोग इधर-उधर भागने लगे। कई लोगों के चप्पल-जूते और शॉल डीएम ऑफिस परिसर में पड़े मिले। 
 

Courtesy: National Dastak
 

कर्नाटक के बागलकोट में बुज़ुर्ग पूर्व सेनिक को थप्पड़ मारने वाला सिपाही निलंबित

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कर्नाटक के बागलकोट में एक पूर्व सैनिक को बैंक की लाइन में खड़े होने के दौरान थप्पड़ मारने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल देवराज को ससपेंड कर दिया गया है।

देवराज गोदर को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी प्रसाद द्वारा पूर्व सैनिक नंनदाप्पा भदरशैट्टी की शिकायत के बाद निलंबित किया गया।

कर्नाटक
Photo courtesy: ndtv

पुलिस कांस्टेबल जो कतार को नियंत्रित करने के लिए सिंडिकेट बैंक में ड्यूटी पर तैनात किया गया था । लाइन काफी लंबी थी नंदप्पा लाइन से बाहर हो गए और उन्होने जब दोबारा लाइन में आने की कोशिश की तो कान्सटेबल ने उन्हे एक के बाद एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिए।

 

इस फुटेज में आप देख सकते हैं पुलिस वाले की हिंसक हरकत, पुलिसवाले ने नंनदाप्पा को दूर तक खींचा और मारता गया, पूर्व सैनिक को मारने की ये वीडियो फैसबुक,ट्विटर पर वायरल हो गया है।
 

 

Courtesy: Janta Ka Reporter

Supreme Court wants Modi govt to explain Rakesh Asthana’s appointment as CBI director

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Supreme Court on Friday sought explanation from the Centre’s Narendra Modi government, CBI by 16 December on the appointment of Rakesh Asthana as acting CBI director.The apex court also asked the central government how it had moved the CBI Special Director R K Dutta out of the federal agency prematurely without the consent of the CVC and other relevant agencies.

 

Rakesh Asthana

According to existing rules, the government is dutifully bound to get the CVC’s approval to reduce the tenure of any CBI officer.

Curiously, Dutta was a part of the team that investigated the 2G and coal block allocation scams. The apex court had asked the Centre to seek its permission before transferring the officers associated with these two cases. But this has not been followed in Dutta’s case.

The petition, filed by the NGO, had alleged that the Centre took a series of steps in a “completely mala fide, arbitrary and illegal manner to ensure that Asthana was given the charge of CBI director”.

It has claimed that the government did not convene a meeting of the selection committee comprising the Prime Minister, the leader of the largest opposition party and the Chief Justice of India, even though it was fully aware that Anil Sinha was going to demit the office of CBI director on 2 December.
Supreme Court lawyer Prashant Bhushan had filed a PIL against the “mala fide non-appointment” and giving additional charge to Rakesh Asthana”.

Asthana, an IPS officer of 1984-batch, was elevated as the Additional Director in the agency on 2 December when CBI Special Director R K Dutta, who was reportedly among the frontrunners for the top post, was shifted to the Ministry of Home Affairs (MHA) as a Special Secretary.

(With additional inputs from India Today)

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

तिरुपति मंदिर का ट्रस्टी 170 करोड़ के नोट और 130 किलो सोने के साथ गिरफ्तार

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चेन्नई। मंदिरों को आस्था का प्रतीक माना जाता है और मंदिरों में मोह और लोभ त्यागने की बात कही जाती है। उसी मंदिर का एक सदस्य अपने दोस्तों के साथ करोड़ों रुपए के नए नोट और लगभग 130 किलो सोने के साथ गिरफ्तार हुआ है। जांच टीम ने शेखर रेड्डी नाम के एक व्यक्ति, कुछ कारोबारियों और एक शीर्ष अधिकारी के पास से करोड़ों की नकदी के अलावा करीब 130 किग्रा सोना भी बरामद किया है। शेखर रेड्डी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड का सदस्य बताया जा रहा है।

Tirupati mandir trustee arrested

खबर के मुताबिक आयकर विभाग ने छापेमारी के दौरान नई और पुरानी करेंसी में 170 करोड़ की नकदी और 130 किलोग्राम सोना जब्त किया है। विभाग ने छापे मारी की कार्रवाई तीन जगह की थी। आयकर विभाग ने बृहस्पतिवार छापेमारी की थी हालांकि छापे के दौरान कुल जब्ती की जानकारी शुक्रवार को दी गई। बताया गया कि तीन अभियुक्तों में से पहली कार्रवाई तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम बोर्ड मेंमर शेखर रेड्डी के घर की गई। 
 
शेखर को आंध्र, तमिलनाडु और तेलंगाना में राजनीतिक लोगों और अधिकारियों का काफी करीबी माना जाता है। रैकेट में शामिल दो अन्य लोगों श्रीनिवास रेड्डी और प्रेम के यहां भी छापेमारी की गई। जांच में पाया गया है कि ये नोट एक्सचेंज रैकेट में शामिल थे। बताया गया कि छापे मारी के दौरान आरोपियों के घर और दुकानों से ये नकदी और सोना बरामद हुआ है। 
 
आंध्र प्रदेश सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी कि अगर रैकेट में शेखर रेड्डी की संलिप्तता सामने आती है तो उन्हें तिरुपति मंदिर बोर्ड से निकाल दिया जाएगा। इस मामले की शुरूआती जांच में यह बात सामने आई थी कि छापे मारी के 90 करोड़ कैश जब्त किए गए। इन नोटों में 70 करोड़ रुपए के नए नोट हैं। साथ में 100 किलो सोना भी बरामद किया गया। हालांकि अब आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।

Courtesy: National Dastak

A Month of Demonetisation Disaster – Why Blame the Banks

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When there isn’t enough cash in the economy, are the banks at fault?

A month has passed since the implementation of Demonetisation. There are too many conspiracy theories involving banks which are making rounds. People are blaming the banks for being unfair in cash distribution and even for not having enough cash. But the numbers don’t add up. According to data, around 15 Lakh Crores had been demonetized. Out of that, almost 12 lakh crores have already been put back in banks, (more is expected to be deposited by the end of this month). The new notes that have been printed consist of around 3 Lakh crore rupees which is only one-fifth of the demonetised currency. When there isn’t enough cash in the economy, are the banks at fault?

Courtesy: newsclick.in

आखिर लोकपाल क्यों नही ला रही सरकार: सुप्रीम कोर्ट

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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि, आखिर लोकपाल बिल लाने में सरकार इतनी देरी क्यों लगा रही है। ऐसी क्या दिक्कत आ रही है जो सरकार लोकपाल बिल लाने में असमर्थ नजर आ रही है।

Jan Lokpal
 
इस पर सरकार की और से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने संसद में विपक्ष का नेता न होने का हवाला दिया और इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार ने ऑर्डिनेंस लाने से भी इंकार कर दिया।
 
आपके को बता दें कि लोकपाल की चयन समिति में विपक्ष के नेता होने का प्रावधान है, लेकिन मौजूदा समय में संसद में विपक्ष का कोई नेता नहीं है। सरकार इसी बात का फायदा उठाते हुए लोकपाल बिल को टालती आ रही है।
 
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि पार्लियामेंट की एक सेलेक्ट कमेटी ने कानून को और मजबूत बनाने के लिए उसमें कई बदलाव करने की सिफारिश दी है और इन पर सरकार काम कर रही है। तो अब सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल लाने में आ रही सभी रुकावटें के बारे में जवाब देने के लिए सरकार को 14 दिसंबर तक का समय दिया है।  

वहीं कुछ दिन पहले प्रसिद्ध एनजीओ कॉमन कॉज के प्रशांत भूषण ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाते हुए सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को चयन समिति में शामिल कराने की मांग की थी। उनकी इस दलील से चीफ जस्टिस शुरुआती नजर में सहमत भी थे और कहा भी कि यह हैरान करने वाली बात है कि सरकार इस बात को क्यों नही मान रही है। मगर सरकार ने इस सुझाव के मानने से इंकार कर दिया।

Courtesy: National Dastak