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सरकार का एक और इमोशनल अत्याचार, आम जनता से रेल सब्सिडी छोड़ने की अपील

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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से आम जनता की तकलीफें अभी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, इसके बाद सरकार आम जनता पर एक और इमोशनल अत्याचार करने जा रही है। गैस सब्सिडी के बाद केंद्र सरकार की नजर अब रेल टिकट सब्सिडी पर है।

Suresh Prabhu
 
भारतीय रेलवे की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लोगों से रेलवे किराए में मिलने वाली छूट, जैसे- कुछ ट्रेनों में सप्ताहांत में मिलने वाली छूट, आखिरी वक्त में खाली बर्थ पर मिलने वाली छूट, आदि को अपनी मर्जी से छोड़ने की अपील की है। 
 
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस संबंध में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रलवे बोर्ड को 24 नबंवर को एक सूचना जारी की थी। सुत्रों के मुताबिक रेलवे बोर्ड इस योजना को जल्द ही जारी कर सकती है। हालांकि अधिकारियों का कहना है यह काफी मुश्किल लगता है कि लोग उनके किराए में मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने को तैयार होंगे।
 
रेलवे लोगों को यह बताने का प्रयास भी करेगा कि वो कितनी सब्सिडी दे रहा है। कुछ समय के लिए अब हर टिकट पर लिखा होगा कि भारतीय रेलवे आपसे कुल लागत का औसतन 57 फीसदी किराया वसूल रहा है। ऐसा करने से लोगों को पता लगेगा कि प्रत्येक टिकट पर 43 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। लोकल ट्रेन में तो मुसाफिर से 36 फीसदी ही किराया लिया जाता है बाकी 67 फीसदी रेलवे खुद खर्च करती है।
 
आपको बता दें कि पेट्रोलियम मंत्रालय के मामले में ग्राहकों के बैंक अकाउंट उनके एलपीजी कनेक्शन से लिंक थे। इसलिए लोगों से घरेलू गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील करना आसान था। हालांकि रेलवे के लिए यही प्रक्रिया काम नहीं करेगी इसलिए सरकार फिलहाल सिर्फ ई-टिकट पर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। रेलवे यात्रियों को छूट पाने के लिए अपने आधारकार्ड लिंक कराने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।

Courtesy: National Dastak
 

सरकार के दावों की पोल खोल रहे पार्लियामेंट के खाली एटीएम

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नई दिल्ली। नोटबंदी को आज एक महीना पूरा हो चुका है। 30 दिन के अंतराल में सरकार ने कई तरह के वादे किए। सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे अपनी रैलियों में सराहते नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री शायद इस मुद्दे पर किसी भी तरह की क्रॉस क्वश्चनिंग की जरूरत नहीं समझते इसीलिए संसद में जाने से बच रहे हैं। प्रधानमंत्री की मौजूदगी को लेकर विपक्ष हंगामा कर रहा है, जिसके कारण संसद लगातार 17 दिन दिन से बाधित हो रही है। इससे देश का करोड़ों रुपया जाया हो रहा है। आरबीआई गवर्नर और सरकार नोटबंदी से हो रही परेशानी को शीघ्र ही खत्म होने का हवाला दे रहे हैं। वहीं खुद पार्लियामेंट में एटीएम में कैश की उपलब्धता की बातें झूठा साबित हो रही हैं। एटीएम में कैश की उपलब्धता की हकीकत को वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए बताने की कोशिश की है। पढ़िए….

ATM
 
हमारे मित्र, वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर साहनी ने अपनी पोस्ट में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के 90 फीसदी बैंक एटीएम में नकदी होने संबंधी बयान की पड़ताल अपने इलाके के एटीएम्स में नकदी की उपलब्धता से की है। मेरा मानना है कि जब वित्त मंत्री इस तरह की बात बोलते हैं तो रिजर्व बैंक के गवर्नर पीछे क्यों रहें। पता नहीं ये लोग किस दुनिया में रहते हैं। संसद भवन के अधिकतर एटीएम खाली रहते हैं। जब किसी में पैसा आता है, लंबी कतार लग जाती है। 
 
रिजर्व बैंक के चारों ओर एक दो किमी के दायरे में दर्जनों एटीएम हैं, मेरा दावा नहीं अनुभव है कि दो तिहाई या तो बंद रहते हैं या उनमें पैसा नहीं होता। किसी एटीएम में पैसा होने की सूचना मिलते ही लोग दौड़ते भागते वहां पहुंच कर कतारबद्ध हो जाते हैं। बैंकों के अंदर भी नकदी का कमोबेस यही हाल है। अपना पैसा निकालने के लिए घंटों कतार में खड़े रहने और नंबर आ जाने के बाद भी गारंटी नहीं कि पैसा मिल जाएगा। टका सा जवाब मिलता है, कैश समाप्त हो गया है।

हम जहां रहते हैं, पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में, वहां पंजाब नेशनल बैंक की शाखा है, और उसका एटीएम भी। एटीएम प्राय: बंद रहता है। बैंक के दरवाजे के पास सुबह छह बजे से ही 30-40 स्त्री पुरुषों की कतार लग जाती है जो दिन चढ़ने के साथ और लंबी होती जाती है। यह नजारा हमें रोजाना सुबह की सैर के समय देखने को मिलता है। अफसोस है कि अरुण जेटली और उर्जित पटेल को यह सब नहीं दिख रहा। जेटली को जब संसद भवन के एटीएम का हाल नहीं दिखता तो, दिल्ली, एनसीआर और देश के अन्य हिस्सों का हाल कैसे दिखेगा। बहुत व्यस्त रहते हैं। संसद भवन में अपने चहेते पत्रकारों के साथ दुनिया जहान की बातें करने की व्यस्तता उन्हें चंद कदम दूर एटीएम का हाल जानने की फुरसत भी नहीं देती। खुदा खैर करे!
 
नोट बंदी के बाद घर में हजार, पांच सौ के नोटों की शक्ल में जमा गाढ़ी कमाई को सरकारी आदेश निर्देशों के तहत बैंक मे जमा करवाने, पुराने नोट बदलने तथा बैंक में जमा रकम का सरकार द्वारा निर्धारित हिस्सा निकालने के लिए बैंक के सामने लगी लम्बी कतारों में घंटों खड़े रहे और खड़े खड़े ही जान गंवा देनेवाले सत्तर अस्सी लोगों की मौत का जिम्मेदार-गुनहगार कौन है, जवाब में पक्ष-प्रतिपक्ष और इस देश की संसद मौन है।

Courtesy: National Dastak

राजनैतिक दल कर सकते हैं कालाधन सफेद करने का गोरखधंधा, EC ने शुरू की छंटाई

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नई दिल्ली। भारत में रजिस्टर्ड राजनैतिक दल कालेधन को सफेद कर नोटबंदी की हवा निकाल सकते हैं। इस मामले को लेकर केंद्रीय निर्वाचन आयोग सख्त हो गया है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मुताबिक भारत में रिकॉर्ड 1,900 राजनैतिक दल रजिस्टर्ड हैं। जिनमें से 400 से ज़्यादा ने तो कभी चुनाव लड़ा ही नहीं है। इसलिए मुमकिन है कि इन दलों का इस्तेमाल काले धन को सफेद बनाने के लिए किया जा रहा हो।

राजनैतिक दल कर सकते हैं कालाधन सफेद करने का गोरखधंधा, EC ने शुरू की छंटाई
 
अंग्रेज़ी दैनिक 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त नसीम ज़ैदी ने बताया है कि दुनियाभर में सबसे ज़्यादा रजिस्टर्ड राजनैतिक दलों वाले देश में काले धन को छिपाने के लिए ऐसी पार्टियों के इस्तेमाल की आशंका को खत्म करने की खातिर चुनाव आयोग ने ऐसी पार्टियों का नाम अपनी सूची से काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
 
नसीम ज़ैदी ने कहा, "इन पार्टियों के नाम सूची में से काट दिए जाने पर वे उस आयकर छूट पाने के अयोग्य हो जाएंगी, जो उन्हें राजनैतिक पार्टी होने के नाते मिलती है।"

उन्होंने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों से कहा गया है कि वे अपने पास रजिस्टर्ड उन सभी राजनैतिक पार्टियों की सूची भेजें, जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा है। राज्य आयोगों से इन पार्टियों द्वारा हासिल किए गए चंदे की जानकारी भी मांगी गई है। समाचारपत्र के मुताबिक, नसीम ज़ैदी ने कहा कि रजिस्टर्ड पार्टियों की इस तरह छंटाई का काम हर साल किया जाएगा।

Courtesy: National Dastak