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देवरिया में महिलाओं ने कहा मोदी जी हमारे बुरे दिन ही लौटा दीजिए

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देवरिया: शहर में आज महिलाओं ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी अब हमें हमारे बुरे दिन ही लौटा दीजिए। हमें आपके आज के दिन नहीं चाहिए, यह दिन रात्रि से भी बदतर हो गया है।आज यहां महिला एकता शक्ति दल की हजारों महिलाओं ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मन्नू तिवारी के नेतृत्व में शहर में प्रदर्शन कर परिसर में जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर कहा कि नोटबन्दी के कारण गरीबों की मौत हो रही है।

Deori Women

मन्नू तिवारी ने आरोप लगाते हुये कि जबसे मोदी जी प्रधान मंत्री हुये हैं, तब से देश में सूखा, ओला, भूकम्प, महंगाई, नोटबंदी और खाद बीज की परेशानी जनता झेल रही है।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी से महिला व बहनें मजबूर और असहाय हैं। गरीब महिलाओं के घर एक वक्त ही चूल्हा जल रहा है। इस नोटबंदी के कारण गरीबों की मौत हो रही है।

 

महिला एकता शक्ति ने प्रधान मंत्री को सम्बोधित अपना पांच सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी अनीता श्रीवास्तव को सौंप कर मांग किया कि जिले के समस्त गांवों महिला समूह का जो कर्ज है, उसको तत्काल माफ किया जाय।

देवरिया में स्वंय सहायता समूह कम्पनियों के द्वारा हो रहे उत्पीड़न की जांच हो। समूह के अधिकारी कर्मचारी गांवों में जाकर कर्ज अदायगी के लिये कर रहे उत्पीड़न के मामले में मुकदमा लिखा जाय। इस नोटबंदी में और कमरतो महंगाई में गरीब महिलाएं समूह के कर्जें एवं बिजली के बिल का कर्ज माफ कर सहायता किया जाय।

Courtesy: gorakhpur.finalreport.in

पीएम मोदी मैं तो फकीर हूँ, फकीर की भव्य रैली का खर्च 4 करोड़ से ज्यादा

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नोएडा, मुरादाबाद में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली का भव्य आयोजन किया रैली की भव्यता पर कितना खर्च हुआ जब उनसे पूछा गया तो ज्यादातर नेता इस सवाल पर चुप हैं खुल कर नहीं बता रहे कि कितना खर्च हुआ ये भी बताने में असमर्थ हैं कि रैली का खर्च कैश से हुआ या कैशलेस।

Narendra Modi Fakeer
 

वेस्ट यूपी के क्षेत्रीय अध्क्ष्य और एमएलसी भूप्रेन्द्र सिंह ने कहा कि पूरे मंडल के कार्यकर्ताओं से चन्दा एकत्र कराकर रैली के खर्च का इंतजाम पार्टी द्वारा किया गया है। आंकड़ों में तो किसी ने जवाब नहीं दिया लेकिन रैली का खर्चा करीब 4 करोड़ से ऊपर का बताया जा रहा है।

पीएम मोदी ने मुरादाबाद में रैली के दौरान अपने भाषण में खुद को भिखारी बताया था सवाल ये उठता है कि खुद को भिखारी कहने वाले पीएम मोदी की रैली में इतना खर्च किसलिए किया गया ? किसी भिखारी और उसकी पार्टी के पास इतना पैसा कहा से आया क्या ये सारा पैसा वाइट मनी है।

दरअसल ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है की जब खुद पीएम् मोदी देशवासियों से कैशलेस होने की बात कर रहे हैं तो देशवासियों के लिए ये भी जानना जरुरी है की इतनी बड़ी रैली में कितना खर्चा हुआ और कैसे भुगतान हुआ।

स्थानीय भाजपाई खर्च को बताने में संकोच कर रहे हैं सिर्फ यही बताया की ज्यादातर भुगतान चेक से हुआ है लेकिन कितना और किस तरह ये नहीं बताया गया। जबकि रैली की भव्यता को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है की इसमें 4 करोड़ से ज्यादा खप गए होंगे।

वहीं इसमें कई बड़े नेताओं की विजिट भी लगातार शामिल है। भीड़ की संख्या और उनके लाने ले जाने के वाहनों का इंतजाम देखे तो आंकड़ा और बढ़ जाता है। फिलहाल स्थानीय भाजपा इकाई के कुछ नेताओं ने कहा कि अभी खर्च का आंकड़ा बढ़ सकता है और हम जरुर बताएंगे की कुल कितना खर्चा हुआ, लेकिन अभी बहुत जल्दबाजी होगा और लगभग सभी भुगतान चेक से किये गए हैं।
 

मोदी के संसदीय क्षेत्र में नोटबंदी के खिलाफ राजस्व कर्मी सड़क पर

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वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के निर्णय से परेशान प्रदेश के राजस्वकर्मी आंदोलित हो गए हैं। महीने भर से पैसे की किल्लत झेल रहे राजस्व कर्मचारियों को महीने के वेतन का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन बैंक द्वारा वेतन भुगतान से हाथ खड़े करने के बाद कर्मचारी बैंक के सामने ही धरने पर बैठ गए और चक्का जाम कर दिया।

Demonetisation
 
बैंक से नहीं निकल रहा था वेतन का पैसा
इन राजस्व कर्मियों का समूह सोमवार को संग्रह अमीन संघ के अध्यक्ष अशोक सिंहके नेतृत्व में पहुंचा काशी ग्रामीण बैंक। सर्किट हाउस के समीप इसी बैंक में इन कर्मचारियों के वेतन का पैसा जमा होता है। लेकिन जब वे पहुंचे बैंक तो बैंक प्रबंधन ने वेतन भुगतान से इंकार कर दिया। इससे बिफरे कर्मचारी नारेबाजी करते हुए बैंक परिसर से बाहर निकले और धरने पर बैठ गए। राजस्व कर्मियों (संग्रह अमीन) के धरने के चलते जाम लग गया। इसकी सूचना मिलते ही सीओ कैंट राजकुमार यादव मौके पर पहुंचे और उन्हें समझा कर किसी तरह शांत किया। फिर उन्होंने खुद ही बैंक प्रबंधक से वार्ता की लेकिन प्रबंधक ने कैश न होने की बात कह कर हाथ खड़ा कर दिया। उसके बाद सीओ कैंट उन्हें लेकर अपर जिलाधिकारी प्रशासन के पास गए। एडीएम प्रशासन समस्या निवारण का आश्वसन दिया। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द वेतन भुगतान की व्यवस्था करेंगे। इसके बाद संग्रह अमीन वापस गए।

Courtesy: Patrika.com

नोटबंदी के बाद सभी राज्यों को हो रहा हजारों करोड़ का घाटा

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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से लगातार परेशानी झेल रही आम जनता के बाद अब राज्य सरकारों की परेशानीयाँ भी सामने आने लगी है। हाल ही में तेलंगाना के सीएम केसीआर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। 25 मिनट के लिए हुई यह मुलाकात मुद्दे पर आने के बाद डेढ़ घंटे तक चली। इसमें मुख्यमंत्री ने पीएम से कहा कि उन्हें राजस्व का भारी घाटा हो रहा है। इसके बाद पीएम ने भी उनके सामने नोटबंदी के परिणामों से हो रही परेशानियों को स्वीकार कर लिया।

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सिर्फ तेलंगाना ही राजस्व घाटे से नहीं जूझ रहा बल्कि देश के सभी राज्यों की सरकारों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है। यहां हमने विभिन्न समाचार पत्रों की रिपोर्टों से आंकड़े आपके सामने रखने की कोशिश की है। पढ़िए दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के राजस्व घाटे की हकीकत…
 
हाल ही में सामने आई विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार नोटबंदी के बाद राज्यों के राजस्वों में भारी कमी आयी है। उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक सभी राज्यों की माली हालत खस्ताहाल है।
 
ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली सरकार को आबकारी से मिलने वाले राजस्व में सालाना के हिसाब से तकरीबन 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वैट की वसूली में यह राशि बढ़कर 12,000 करोड़ हो गयी, यही नहीं वाहनों के रजिस्ट्रेशन में भी 950 करोड़ का घाटा हो रहा है।
 
कृषि प्रदेश कहे जाने वाले पंजाब में भी नुकसान के आंकड़े भी भयावह हैं। स्टांप डयूटी के रुप में सरकार को रोज मिलने वाला 200 से 250 करोड़ का राजस्व लगभग शून्य हो गया। वहीं वैट में भी 15 करोड़ से ज्यादा का रोज नुकसान हो रहा है। इसके अलावा आबकारी कर में भी 5 करोड़ से अधिक की कमी आयी है।
 
तेलंगाना जैसे औद्योगिक प्रदेश को भी नोटबंदी से 6000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है, तो आंध्र प्रदेश के राजस्व में भी 4000 करोड़ से ज्यादा की कमी आयेगी। तो ऐसे में सवाल उठने लगे है की अगर राज्यों के राजस्व में ही इतनी गिरावट हुई है तो राज्य केन्द्र को राजस्व वसूली कहां से देंगे और जनता के जरुरी खर्चों को कैसे पूरे करेगे।

Courtesy: National Dastak

जयललिता ने दिखाया था शंकराचार्य को गिरफ्तार कराने का दम

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नई दिल्ली। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने 5 नवंबर रात लगभग 11.30 बजे चेन्नई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। 68 वर्षीय जयललिता के जीवन के कई रूप थे। जहां राज्‍य के ज्‍यादातर लोग उन्‍हें गरीब-कमजोर वर्ग की हितैषी के रूप में जानते थे तो कुछ सख्‍त और एक हद तक निरंकुश प्रशासक के तौर पर। निरंकुश प्रशासक के तौर पर उन्हें इसलिए जाना जाता है क्योंकि उन्होंने कई फैसले एक खास वर्ग को चुभने वाले लिए। 

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जयललिता ने नवंबर 2004 को वो कर दिखाया जो शायद कोई और सोच भी नहीं सकता था। कांचीपुरम मठ के मैनेजर की हत्या कर दी गई थी। इसकी जांच में पता चला कि कांची की शंकराचार्य हत्या में शामिल थे। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों में से एक काँची के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती और 23 संतों को जयललिता की पुलिस ने पकड़कर वेल्लौर सेंट्रल जेल भेज दिया। 
 
किसी शंकराचार्य की गिरफ़्तारी का यह पहला और अकेला मामला है। हिंदू धर्म में शंकराचार्य की अपनी एक महत्वता है और ऐसे में एक शंकराचार्य को गिरफ्तार करना न केवल पुलिस बल्कि सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती थी। जहां बड़े-बड़े राजनेता शंकराचार्यों के सामने घुटने टेकते हों वहां जयललिता ने उन्हें गिरफ्तार कराने का अदम्य साहस दिखाया। 
 
कराचार्य की गिरफ्तारी के बाद न केवल प्रदेश में बल्कि समूचे देश में विरोध प्रदर्शन हुए। मगर सरकार ने कोई समझौता न करते हुए जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार कर कानून के कठघरे में खडा किया और इसके बाद जयललिता न केवल सेक्युलर बल्कि लोकतात्रिक नेता के रुप में सामने आयीं।
 
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल लिख रहे हैं…
वह नारी थी। तुलसीदास के हिसाब से पशु और शूद्रों की ही तरह "ताड़न की अधिकारी" थी। लेकिन जब क़ानून का राज लागू करने की बारी आई तो जयललिता ने मनुस्मृति के नियम तोड़ दिए।

भारत के इतिहास में पहली बार एक शंकराचार्य गिरफ़्तार हुआ। पुलिस पकड़कर ले गई। 23 चेलों के साथ जेल में ठूँस दिया।

भारतीय जातिवादी मीडिया जयललिता के प्रति, अपने अंतिम निष्कर्ष में, निर्मम साबित होगा।

देखते रहिए।

Courtesy: National Dastak