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Black Money – Not so Black and White

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All black money is not held as hoarded cash and at best constitutes 6% of the black money.

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After the revolutionary decision taken by Prime Minister Modi to demonetize 86% of India’s total currency, the country is going on a downward spiral. But this seems to be only a “small inconvenience” as all of India’s black money is supposedly being flushed out. Even though all black money is not held as hoarded cash and at best it constitutes 6% of the black money, the government is trying hard to convince the people otherwise. Bulk of it is spirited away in tax free havens like Switzerland and other names revealed in Panama papers. From there it is invested through mail box corporations in equity, real estate and bullion all over the world. It is a matter of utmost irony that a number of the celebrities who endorsed the demonetization scheme figure in the list of names of people who used the illegal offshore accounts in places like Panama.

Courtesy: Newsclick.in

पीएम मोदी के विज्ञापन में हुए खर्चे से बन जाते दो मंगलयान

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नई दिल्ली। जहां एक तरफ केंद्र की सरकार ने कालाधन और भ्रष्टाचार की बात कहकर एकाएक देश से 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए। जहां एक तरफ सरकार ई-वॉलेट के जरिए लोगों के खर्चों में लगाम लगाना चाहती है। वहीं केंद्र सरकार के खर्चे का एक नया खुलासा हुआ है। आरटीआई से पता चला है कि केंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रूपए खर्च कर दिए। 

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आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में इसका खुलासा हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह के सवालों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। यह खर्च एक जून 2014 से 31 अगस्त 2016 के बीच किया गया।
 
हिसाब लगाया जाए तो इसका मतलब है कि सिर्फ विज्ञापनों पर सरकार ने 1.4 करोड़ रूपए रोज़ाना खर्च किए हैं। देखा जाए तो यह भारत के मंगल अभियान मंगलयान के खर्च से दोगुना है। आपको बता दें कि मंगलयान पर हुए खर्च की कीमत सिर्फ 450 करोड़ रुपए है।
 
एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं। कुछ महीने पहले इसी तरह का आरोप आम आदमी पार्टी पर भी लगा था, तब भाजपा ने तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि आप सिर्फ़ अपने प्रचार में लगी हुई है।
 
विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रचार विभाग ने विज्ञापनों पर किए गए इस खर्च को विभिन्न मदों के तहत दिखाया है। इसमें टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, इंटरनेट और एसएमएस तक को शामिल किया गया है। सबसे ज्यादा खर्च प्रसारण में किया गया, जो कि पिछले ढाई साल में करीब 200 करोड़ रुपए है। यहां तक कि सिर्फ एसएमएस पर ही डीएवीपी ने 17 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिया, जो कि अंदाजन 2 लाख रुपए प्रतिदिन है।
 
यह ख़र्च सिर्फ़ प्रसारण/टेलीविजन, इंटरनेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है. इसमें प्रिंट विज्ञापन, होर्डिंग्स, पोस्टर, बुकलेट और कैलेंडर शामिल नहीं हैं। अगर ये खर्च भी जोड़ लिए जाएं तो कुल खर्च की राशि काफी अधिक हो सकती है।

Courtesy: National Dastak