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एक्सिस बैंक के मैनेजर्स ने 40 लाख रिश्वत लेकर बदले 40 करोड़

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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद बैंकों में अब तक कई करोड़ रुपए जमा हो गए हैं। वहीं कई लोग रोज बैंक लाइनों में लग कर अपने नोट बदलवा रहे है। लेकिन नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में पुराने नोट जब्त किए जाने का अबतक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है।


 
आपको बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नई दिल्ली में एक्सिस बैंक की कश्मीरी गेट स्थित ब्रांच में करीब 40 करोड़ के पुराने नोट जमा कराए जाने के मामले का पर्दाफाश किया है। सूत्रों के मुताबिक, ब्रांच मैनेजर को 40 लाख रुपए की घूस देकर 500 और 1000 के नोटों की इतनी बड़ी रकम जमा कराई गई थी। 
 
इस मामले के उजागर होने के बाद इंटेलिजेंस एजेंसी को शक है कि राष्ट्रीय राजधानी में इसी तरह के मामलों में कई अन्य बैंक भी लिप्त हो सकते हैं। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि एक्सिस बैंक की इस ब्रांच के दो ब्रांच मैनेजर पिछले तीन दिन से जांच के घेरे में थे। विभाग ने कैश और कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं।
 

3.5 करोड़ रुपए एक्सचेंज का करने का था मामला
बता दें कि दिल्ली में हाल ही में 3.5 करोड़ की नकदी के साथ दो लोग पकड़े गए थे। जिसके बाद इसकी जानकारी आयकर विभाग को दी गई थी। इन लोगों से मिले इनपुट के आधार पर आयकर विभाग ने एक्सिस बैंक पर छापेमारी की थी। नोटों के साथ धरे गए 2 लोगों ने दावा किया था कि उन्होंने एक्सिस बैंक के कश्मीरी गेट ब्रांच में 2 मैनेजरों की मदद से पैसे एक्सचेंज करवाए थे। इन दोनों मैनेजर्स पर 40 लाख रुपए लेकर पैसे जमा कराने का आरोप है।
 
सूत्रों ने बताया, आरोप है कि एक्सिस बैंक की इस ब्रांच में हाल ही में खुले 3 अकाउंट में 11 नवंबर से 22 नवंबर के बीच पुराने नोटों को जमा कराया गया था। पुराने नोटों की यह रकम 39.26 करोड़ रुपए थी। इस रकम को बाद में इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर (RTGS) के जरिए किसी अन्य अकाउंट में भेज दिया गया। इस तरह यह बेहिसाब पैसा वैध राशि में बदल गया।

Courtesy: National Dastak

नोटबंदी : दवा मिली न कफन, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार – जागरण

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बेगूसराय [बलवंत चौधरी]। गरीबी, अशिक्षा, नोटबंदी और बेरहम तंत्र। अंजाम 22 वर्ष का युवक इलाज के अभाव में दम तोड़ गया। नजदीक का छौड़ाही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद और दूर इलाज को एंबुलेंस या अन्य वाहन के लिए बैंक से पैसे निकालना दूभर।

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बेगूसराय में एक युवक ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। बैंक से पैसा नहीं निकाल पाने की वजह से परिजनों ने चंदा इकट्ठा कर उसका अंतिम संस्कार किया।

परिजन, कई बार बीडीओ कार्यालय व बैंक गए, कोई सुनवाई नहीं हुई। हर दर पर मत्था रगडऩे के बावजूद परिजन 25 घंटे बाद तक कफन का इंतजाम नहीं कर सके। ग्रामीणों को सूचना मिली तो चंदा कर अंतिम संस्कार कराया। तंत्र की लापरवाही का शिकार हुए छौड़ाही प्रखंड के नारायणपीपर गांव के विपिन राम के परिजनों ने बीडीओ व सीओ पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।

तीन हफ्ते से पीएचसी बंद
परिजनों ने बताया कि एक सप्ताह से विपिन की तबीयत खराब चल रही थी। गरीब होने के बावजूद बीडीओ ने इलाज के लिए सहायता राशि नहीं दी और नोटबंदी के कारण छह दिन बैंक के चक्कर लगाने के बावजूद पैसे नहीं मिले। 22 दिन से पीएचसी बंद होने से निश्शुल्क इलाज नहीं हो सका।
अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इलाज व दवा के अभाव में शनिवार की देर शाम उसकी मौत हो गई। घर में 25 घंटे तक शव पड़ा रहा।

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आभार: जागरण

मोदी की कुशीनगर रैली में कुर्सियों की तोड़फोड़, फिर लौटेगा पिंजरे में रैली का दौर?

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यूपी के कुशीनगर में रैली की। पीएम की इस रैली को बसपा सुप्रीमो मायावती ने फ्लॉप बताया है। पीएम मोदी के जाते ही इस रैली में गुजरात और पंजाब में अमित शाह की रैली की तरह अफरा तफरी का माहौल दिखाई दिया। 

Modi Rally

भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी रविवार को परिवर्तन यात्रा को एड्रेस करने पहुंचे। अपने स्‍पीच के बाद जैसे ही मोदी ने मंच छोड़ा, रैली में आए लोगों ने मंच पर धावा बोल दिया। ये सभी लोग मंच पर पड़ी मोदी की माला को लूटने पहुंचे थे। साथ ही कई लोग स्‍टेज पर लगे सजावट के फूलों को भी तोड़ने में लगे थे। इस दौरान कई लोगों के बीच झड़प भी हुई। वहीं, स्‍टेज के पास रखी कुर्सियां भी तोड़ दी गईं। इस दौरान कई लोगों के बीच झड़प भी हुई, जिसकी वजह से अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

दरअसल अमित शाह ने सितंबर में गुजरात में रैली की थी। लेकिन लोगों के गुस्से के कारण इस रैली के लिए पिंजरेनुमा मंच तैयार किया गया। यहां पाटीदार समुदाय के लोगों के गुस्से से बचने के लिए बीजेपी को इस तरह की कवायद करनी पड़ी थी। क्योंकि इससे पहले एक रैली में तोड़फोड़ हो चुकी थी। इसके साथ ही बाद में बीजेपी की रैलियों में कुर्सियों को एक दूसरे से बांधा जाने लगा। 
 
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर में जनता बहुत खुश है। शायद इसी उम्मीद में यहां कुर्सियों को बांधा नहीं गया था। जिसका खामियाजा यहां के आयोजकों को भुगतना पड़ा। पीएम के जाते ही लोग उनकी माला पर झपट पड़े। साथ ही झड़प में कुर्सियों को भी जमकर तोड़ा गया।

Courtesy: National Dastak

 

अडाणी की कंपनियों को दिए गए कर्ज का खुलासा करने से केंद्रीय सूचना आयोग ने किया इनकार

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केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि उद्योगपति गौतम अडाणी द्वारा प्रवर्तित कंपनियों को दिए गए कर्ज से जुड़े रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया जा सकता है क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक ने संबंधित सूचनाओं को अमानत के तौर पर रखा है और इसमें वाणिज्यिक भरोसा जुड़ा है।

रमेश रणछोड़दास जोशी की याचिका पर आयोग ने यह आदेश दिया। जोशी यह जानना चाहते थे कि गौतम अडाणी समूह को किस आधार पर बड़ी मात्रा में कर्ज दिए गए. उन्होंने इस बारे में साक्ष्य भी मांगे थे कि क्या कर्ज ऑस्ट्रेलिया में कोयला खानों से संबंधित था।

अडाणी

 

सूचना आयुक्त मंजुला पराशर ने आदेश में कहा, “सीपीआईओ अपीलकर्ता को सूचित करता है कि मांगी गई सूचना वाणिज्यिक सूचना है और तीसरे पक्ष के भरोसे के आधार पर इसे रखा हुआ है।

इसीलिए इसे उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है और आरटीआई कानून की धारा आठ (1) (डी) (वाणिज्यिक विश्वास) और (ई) (अमानत के तौर पर पड़ी चीज संबंधी प्रावधान) के तहत सूचना देने से इनकार किया जाता है।”

भाषा की खबर के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक के केंद्रीय जन-सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने दावा किया कि जोशी ने अपने आरटीआई आवेदन में यह जिक्र नहीं किया कि यह मामला बड़े जन हित का है।

आरटीआई कानून के तहत वैसी सूचना जिसे खुलासे से छूट प्राप्त है, उसका खुलासा किया जा सकता है बशर्ते उसमें कोई बड़े पैमाने पर जनहित जुड़ा हो।

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

नोटबंदी के खिलाफ RSS नेता ने संघ से नाता तोड़कर CPI(M) से मिलाया हाथ

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े नेता पी पद्मकुमार ने संघ से अपने चार दशक पुराने सम्बधों को खत्म करते हुए CPI (M) से हाथ मिला लिया है। बताया जा रहा है कि वह केंद्र की बीजेपी सरकार के नोटबंदी फैसले से नाराज थे। इन दिनों पद्मकुमार संगठन के हिंदू एक्या वेदी में सचिव पद पर कार्य कर रहे थे।

RSS

 

केरल में संघ और अल्पसंख्यक वर्ग पर हिंसा की खबरें बहुतायात देखने को मिलती है। मीडिया रिर्पोटस् के अनुसार अपने चार दशक पुराने रिश्तों को संघ परिवार से तोड़ने के मुख्य कारणों में पी पद्मकुमार ने माना कि राजनैतिक हिंसा और बीजेपी व संघ के नोटबंदी के अमानवीय स्टैंड को लेकर उन्होंने मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़ने का मन बनाया। रविवार को पी पद्मकुमार ने CPI (M) से के साथ औपचारिक अपने सम्बधों का खुलासा कर दिया।

इस पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के जिला सचिव ने संघ से बाहर आने के कारणों पर बात करते हुए मीडिया को बताया कि,” बीजेपी और संघ के इस अमानवीय स्टैंड के चलते कितने परिवार अनाथ हो गए। संघ के राजनितिक हिंसा को लेकर अमानवीय रवैए और 1000 और 500 रुपए के नोट बंदी को फैसले के विरोध स्वरूप संघ परिवार से बाहर आने का निर्णय लिया।

Courtesy: Janta Ka Reporter