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Does Demonetisation Tackle Black Money?

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At the stroke of midnight on November 8, 86% of the value of Indian currency in circulation ceased to be a legal tender. Many different adjectives are being used to qualify the action – surgical strike, master stroke, third freedom (after freedom from British and license raj), 'Massive swachh abhiyan' and so on.

Though the government and even the RBI vehemently defend demonetization, its implementation is continuously taking a toll on the common masses. Citizens are put into extreme hardships. The past few days are witnessing a total lack of preparedness by banks and post offices. They lack the institutional capacity to deal with such a huge magnitude of workload. Hoards of people began to throng banks and ATMs leading to chaos and aggression. People are starting to break open shops for food as cash is not available to buy essential things.

Prof. Prabhat Patnaik was speaking at a public meeting organised by Center for Financial Accountability and Public Finance and Public Accountability Collective.

Courtesy: Newsclick.in
 

सरकार के दावे की खुली पोल, आतंकियों के पास मिले नए नोट

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जम्मू। केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को देश में 500 और 1000 के नोटबंद करने की घोषणा की थी। सरकार की तरफ से इसे आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए जरूरी बताया गया था। सरकार के लोगों ने दावा किया था कि नए नोट लागू करने से आतंकियों के पास पुराने नोट की वैल्यू खत्म हो जाएगी। जिससे आतंकवाद पर लगाम लगाने पर मदद मिलेगी। लेकिन नोटबंदी के सिर्फ चौदह दिनों के भीतर ही मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के पास से नए 2000 के नोट मिलने से सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

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जम्मू कश्मीर के बांदीपोर इलाके में मंगलवार सुबह सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए दो आतंकियों के पास से 2000 रुपए के नए नोट बरामद हुए हैं। इसके अलावा उनसे करीब 15 हजार रुपए की नकदी और गोला-बारूद भी मिला है। 
 
आतंकियों के पास 2000 के नोट मिलने से सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। अब इस बात पर सवाल उठने लगे हैं कि हाल ही जारी की गई नई करेंसी इन आतंकियों के पास कैसे और कहां से आई?

मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले में सुरक्षाबलों और आतंकवादियो के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ मंगलवार सुबह बांदीपोर इलाके में हुई। करीब 2 घंटे तक चली मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया गया।
 
इस मुठभेड़ के बाद पूरे इलाके में तनाव पैदा हो गया। स्थानीय लोगों ने नारेबाजी करते हुए सुरक्षाबलों पर पथराव शुरु कर दिया। हिंसक भीड पर काबू पाने के लिए पुलस को भी बल प्रयोग करना पडा। प्रशासन ने एहतियातन पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी है।
 
सवाल ये है कि ये नए नोट आतंकवादियों के पास कहां से आए? इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में बैंक लूटे जाने की वारदात पर रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि नोटबंदी के बाद से जम्मू कश्मीर में बैंक लूटने की अभी तक तीन वारदात हो चुकी हैं।

Courtesy: National Dastak
 

Man trampled to death outside ATM in Uttar Pradesh

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65-year-old man was trampled to death outside a bank while standing in a queue to withdraw cash, police said on Tuesday.

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Ramnath Kushwaha, a resident of Gulriha village, was caught in a stampede outside the State Bank of India branch on Monday. He was trampled by a crowd who had gathered to withdraw cash, SP Mohd Imran said.

He had gone to withdraw money to make payments to a hospital where his pregnant daughter-in-law has been admitted, the officer said.

Kushwaha was rushed to a hospital where he was declared brought dead, the SP said.

(With inputs from PTI)
 

अमेरिका में भारतीय मूल की मुस्लिम महिला ने स्थानीय चुनाव में दर्ज की जीत

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अमेरिका में एक मुस्लिम अमेरिकी महिला ने स्थानीय चुनाव में जीत दर्ज की है। महिला के माता-पिता भारत और पाकिस्तान से हैं।

महिला ने अमेरिकी राज्य मेरीलैंड में जीत दर्ज की है, जहां प्रवासी-विरोधी और मुस्लिम विरोधी बयानबाजी का बोलबाला था। राहीला अहमद (23 साल) ने लंबे समय से प्रशासन संभाल रहे व्यक्ति को 15 फीसदी वोटों के अंतर से हराते हुए मेरीलैंड के प्रिंस जॉर्ज काउंटी में स्कूल बोर्ड की दौड़ जीत ली है।

 

अमेरिका
Photo courtesy: ndtv.com

वह इसी पद पर चार साल पहले 2012 में चुनाव हार गईं थी। राहीला के पिता भारत के हैं और उनकी मां पाकिस्तान से हैं। इनकी जीत को इसलिए भी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि इस जिले की 80 फीसदी आबादी अफ्रीकी-अमेरिकी है।

भाषा की खबर के अनुसार, अहमद को रिपब्ल्किन राष्ट्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष माइकल स्टील ने समर्थन दिया था। अहमद ने कहा, ‘‘यह दिलचस्प बात है कि जिस दिन डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गए, उसी दिन मैं, एक हिजाबी युवा महिला भी, एक सावर्जनिक कार्यालय में सेवा के लिए चुनी गई। यही अमेरिका के लोगों के विचारों की विविधता के बारे में बताता है और यह भी कहता है कि अमेरिकन स्वप्न अभी भी अच्छी स्थिति में है और जिंदा है।

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

ये है एमपी की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल, कचरे के रिक्शे में पोस्टमार्टम के लिए ले जानी पड़ी लाश

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नई दिल्ली। कब तक गरीब लोग प्रशासन की लापरवाही को झेलते रहेंगे। कुछ दिन पहले दाना मांझी जैसे केस में भी प्रशासन की लापरवाही देखी गई थी। उस खबर के बाद ना जाने कितनी ही ऐसी खबरे सामने आ चुकी है जो प्रशासन की पोल खोलती दिखती है।
 
ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर में सामने आया है। जिसमें प्रशासन की अनदेखी का मामला दिखा है। बता दें कि एम्बुलेंस न मिलने पर एक युवक को अपने भाई का शव कचरा और कबाड़ ढोने वाले रिक्शे में रखकर पोस्टमार्टम कराने ले जाना पड़ा। इसके साथ ही वह वापस घर भी शव को उसी रिक्शे में लाया।


 
क्या है मामला
बता दें कि छतरपुर शहर के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के बसारी दरवाजा संकटमोचन मार्ग पर देर रात 25 वर्षीय गफ्फार S/O बहादुर खान की मौत हो गई थी। लेकिन जब सोमवार सुबह सफाईकर्मी सफाई कर रहे थे, तो तिराहे पर दुकान के चबूतरे पर मृतक का शव पड़ा मिला। 
 

 
इस मामले कि जानकारी लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। हालांकि पुलिस मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन उसे पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिली। बता दें कि पुलिस की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है युवक शराब पीने का आदी था। शायद किसी वाहन की टक्कर के बाद वो चबूतरे पर बैठ गया होगा। गहरी चोट और ठंड के कारण उसकी मौत हो गई।
 

 
मृतक के भाई के मुताबिक
मृतके के भाई का कहना है कि, हम सुबह 6 बजे से 11 बजे तक एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। तब हम रिक्शे में भाई का शव पोस्टमार्टम के लिए ले गए। वापस भी रिक्शे पर लाए।
 

 
मामले पर CMHO का कहना 
पूरे मामले पर CMHO वीके गुप्ता ने एम्बुलेंस न मिलने के सवाल पर दो टूक कहा कि, शहर क्षेत्र में यह व्यवस्था नगरपालिका की है। जिला अस्पताल का इसमें कोई रोल नहीं है। उनके पास शव वाहन नहीं है।

Courtesy: National Dastak
 

6 दिन से नहीं मिल पाए थे पैसे, बच्चे भूखे थे, बेबस मां ने खुद को लगाई आग

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नई दिल्ली। नोटबंदी का फैसला लगातार कुर्बानियां ले रहा है। लोग अपनी मर्जी से नहीं मर रहे लेकिन पैसों की पहुंच से दूर होकर वे जान देने की कोशिश कर रहे हैं या पैसे हासिल करने की जद्दोजहद में लाइन में लगे दम तोड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ में नोटबंदी के चलते कई दिनों तक कतारों में लगने से एक मां इतनी परेशान हो गई कि उसने आत्महत्या करने की कोशिश की। मामला मेरठ के देहली गेट का है जहां बच्चों को भूख से बिलखते देख एक मां ने यह आत्मघाती कदम उठाया है। महिला ने खुद पर किरोसिन छिड़ककर आग लगाने की कोशिश की। 

गंभीर रूप से झुलसी महिला का इलाज नजदीक के अस्पताल में किया जा रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस को बयान देते हुए महिला ने बताया कि बच्चों को भूख से बिलखते वह न देख सकी और उसने खुद को खत्म करने का फैसला ले लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला का नाम रजिया है और वह मजदूरी करके अपना घर चलाती है। 


 
रजिया ने बताया कि वह पिछले एक हफ्ते से इलाके के बैंक में रुपये बदलने के लिए चक्कर लगा रही थी। पूरा दिन लाइन में खड़े होकर गुजर जाता था और शाम को बैंक से जवाब मिलता था कि बैंक में नकदी खत्म हो गई। इस वजह से परिवार के लोग काफी परेशान थे। 
 
हालात ये तक हो गए थे कि बच्चों के खाने-पीने तक के लाले पड़ गए। इसी से आहात होकर महिला ने रविवार रात घर में खुद पर किरोसिन उड़ेल कर आग लगा ली। इस बीच चीख-पुकार सुनकर आस-पास के लोग मौके पर पहुंचे और गंभीर हालत में रजिया को अस्पताल में भर्ती कराया। इससे पहले अन्य जगहों से भी आत्महत्या की खबरें आ चुकी हैं।

Courtesy: National Dastak