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आरटीआई के दायरे में आने से क्यों डरती है बीजेपी? ‘पार्टी का 70 प्रतिशत पैसा आता है अज्ञात स्रोत से’

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नई दिल्ली। 8 नवंबर की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर अंकुश लगाने की बात कहकर 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया। जनता को हुए कष्ट को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि देशहित में जनता को ये कष्ट उठाना ही पड़ेगा। पीएम मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार भविष्य में कालेधन पर और भी कड़ी कार्रवाइयां करेगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन कड़ी कार्रवाइयों की जद में सिर्फ जनता ही आएगी या कभी नेताओं पर भी पीएम मोदी कभी कड़ी कार्रवाइयां करेंगे? 

आपको बता दें कि पिछले साल आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष चंद्र अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने देश की सभी पार्टियों को सूचना के अधिकार के तहत लाने की बात की थी। लेकिन जब सर्वोच्च अदालत ने इस मसले पर नरेंद्र मोदी सरकार की राय जाननी चाहिए तो उसने कहा कि “अगर राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के तहत लाया गया तो इससे उनके सुचारू कामकाज में अड़चन आएगी।” 
 
आपको ये जानकार हैरत होगी कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के साल 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय का 69.3 प्रतिशत “अज्ञात स्रोत” से आया था। एडीआर के आंकड़ों के अनुसार साल 2013-14 में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के पास कुल 1518.50 करोड़ रुपये थे। राजनीतिक दलों में सबसे अधिक पैसा बीजेपी (44%) के पास था। वहीं कांग्रेस (39.4%), सीपीआई(एम) (8%), बीएसपी (4.4%) और सीपीआई (0.2%) का स्थान था। 
 
एडीआर के आंकड़े बताते हैं कि सभी राजनीतिक दलों की कुल आय का 69.30 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया था। गौरतलब है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने आयकर रिटर्न में 20 हजार रुपये से कम चंदे का स्रोत नहीं बताना होता है। पार्टी की बैठकों-मोर्चों से हुई आय भी इसी श्रेणी में आती है। साल 2013-14 तक सभी छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में 813.6 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों से मिले दान था। वहीं इन पार्टियों को पार्टी के कूपन बेचकर 485.8 करोड़ रुपये की आय हुई थी।
 
यह तब के आंकड़े हैं जब कांग्रेस सत्ता में थी और बीजेपी विपक्ष में और यही दोनों दल अज्ञात स्रोत से चंदे के मामले में भी बाकी पार्टियों से आगे थे। अब आप सोच सकते हैं कि बीजेपी सत्ता में है और पूंजीपतियों से भी बीजेपी के रिश्ते अच्छे हैं। साल 2013-14 में कांग्रेस की कुल आय 598.10 करोड़ थी जिसमें 482 करोड़ अज्ञात स्रोतों से आए थे। कांग्रेस को कुल आय का 80.6 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से मिला था। बीजेपी की कुल आय 673.8 करोड़ रुपये थी जिसमें 453.7 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से आए थे। बीजेपी को कुल आय का 67.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से मिला था।

Courtesy: National Dastak

नोटबंदी : नकदी के लिए लोगों को होगी अब और दिक्कत, जानिए सरकार के 7 नए ऐलान

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बंद किए गए 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को बदलने की सीमा को सरकार ने 4500 रुपये से घटाकर 2000 रुपये कर दिया है. यह व्यवस्था शुक्रवार से प्रभावी होगी. जाहिर है इससे लोगों को नकदी संबंधी और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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नोटबंदी- ये हैं 7 नई घोषणाएं- अन्य नियमों में सरकार ने शादियों के जारी मौसम को देखते हुए दूल्हा, दुल्हन या उनके माता-पिता को बैंक खाते से ढाई लाख रुपये तक नकदी निकासी की अनुमति दी है।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘ज्यादा लोगों को पुराने 1000 और 500 रुपये के नोट बदलने की सुविधा मिल सके इसलिए बैंकों के काउंटर से नोट बदलने की सीमा को 4500 रुपये से घटाकर 2000 रुपये किया गया है।’’ काउंटर से बड़े मूल्य के पुराने नोट बदले नयी मुद्रा लेने की सुविधा ‘30 दिसंबर तक एक व्यक्ति एक बार’ के आधार पर उपलब्ध रहेगी।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कृषि उत्पादन विपणन समितियों में पंजीकृत व्यापारी सामान्य उपज प्रक्रिया के लिए 50,000 रुपये प्रति सप्ताह तक की धनराशि बैंक खातों से निकाल सकते हैं।

 

दास ने कहा, “कृषि एक महत्वपूर्ण घटक है. अभी रबी फसल का सीजन शुरू हुआ है। हम किसानों के लिए उर्वरकों और अन्य सामानों की सहज आपूर्ति सुनिश्चित करना चाहते हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर की मध्यरात्रि से 500 और 1000 रपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर किए जाने की घोषणा की थी।

इसे उन्होंने कालेधन, आतंकवाद को वित्तपोषण और नकली नोटों के खिलाफ जंग बताया था. तब से अब तक प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को कई प्रतिनिधियों से शादी इत्यादि के लिए नकदी निकासी के नियमों को आसान बनाने की मनुहार की गई है।

भाषा की खबर के अनुसार, दास ने कहा कि इसलिए शादियों के लिए नकदी निकासी सीमा को आसान बनाया गया है, जिस बैंक खाते से उन्हें नकदी का आहरण करना है उसकी केवाईसी नियमों की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ढाई लाख रुपये केवल एक खाते से निकाले जा सकते हैं।

नए नियमों के मुताबिक, अब सब्जियों के थोक व्यापारी 50 हजार रुपये प्रति हफ्ता तक निकाल सकते हैं. जिन किसानों को माल की कीमत चेक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मिली है, वे उस पेमेंट से हफ्ते में 25 हजार रुपये निकाल सकते हैं. फसल बीमा की किश्त जमा कराने की समय सीमा 15 दिन बढ़ा दी गई है।

सरकार कर्मचारी (ग्रुप सी) दस हजार रुपये तक की सैलरी एडवांस निकाल सकते हैं. यह अगले महीने उनके खातों में मैनेज कर दी जाएगी।

बता दें कि 8 नवंबर की पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. उसके बाद से बैंकों और एटीएम के बाहर रुपयों के लिए लाइनें लगी हुई हैं।

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

“If you have courage, send us to jail or shoot us. But we will continue fighting”

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Delhi chief minister Arvind Kejriwal and his West Bengal counterpart, Mamata Banerjee, on Thursday demanded the Centre’s Narendra Modi government to withdraw demonetisation move within three days.

Both the chief ministers threatened to launch a mass movement if the decision to scrap Rs 500 and Rs 1,000 were not withdrawn within the next three days.

continue fighting

 

Addressing a rally in Delhi’s Azadpur market, Banerjee said, “If you have courage, send us to jail or shoot us…But we will continue fighting.”

According to Indian Express, Banerjee accused the government of trying to sell the country adding that the prevailing situation was worse than the 1975 emergency.

“They want to sell this country. They are trying to break the constitution. We cannot allow that,” the TMC chief said at the rally.

Both leaders then visited the RBI office in Delhi for an update on the existing situation with regards to printing of new notes.

Kejriwal tweeted, “How much currency needed? How much printed? What is capacity? How many more days will it take? Myself n Mamtadi at RBI to get this info.”


Courtesy: Janta Ka Reporter

ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी, नोटबंदी के ख़िलाफ़ बोलने से लोगों को डर लग रहा है : रवीश कुमार

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चांदनी चौक की तमाम गलियों में सन्नाटा पसरा है। ज़्यादातर दुकानें बंद हैं। जो खुली हैं उन पर इक्के-दुक्के ग्राहक हैं। सोना चांदी की भी कई दुकानें बंद नज़र आईं।

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रंग-रसायन और मसाले के बाज़ार में भी दुकानों के शटर गिरे मिले। सत्तर से नब्बे फीसदी दुकानें बंद हैं।

मैं आराम से तेज़ी से चलता हुआ, इस गली से उस गली होता हुआ खारी बावली पहुंच गया। वहां कुछ ठेले पर सामान लदे हैं मगर ज्यादातर ठेलों पर मज़दूर ख़ाली बैठे हैं। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि वो क्‍या कहें। इत्र से लेकर मसाले बेचने वालों की छोटी-छोटी दुकानें ख़ाली हैं। चाट-पकौड़ी की दुकाने भी बंद हैं। ऐसा लगता है कि आज कोई हड़ताल होगी लेकिन पता चला कि नगद की कमी और सेल्स टैक्स के छापे के डर से सबने बंद किया है। पैसा है नहीं तो ग्राहक नदारद हैं। खुदरा व्यापारी ने भी आना बंद कर दिया है। चांदनी चौक कुल मिलाकर ठप है।

मुझे देखते ही भीड़ साथ-साथ चलने लगती है। कई लोग करीब आकर बहुत कुछ कहना चाहते हैं मगर सबको एक दूसरे से डर लग रहा है। वो कहते-कहते चुप हो जाते हैं। यह बेहद भयावह है। इसमें न तो सरकार ठीक से जान सकती है कि समर्थन कितना है और न ही विपक्ष का विरोध कितना है। बात यह है कि कोई पूरी बात कहता ही नहीं। बहुत कम लोग साहस कर भावुक हो उठे कि चार दिन से कोई कमाई नहीं हुई है। खाने के पैसे नहीं है। जो पैसे हैं उसे बदलवाने के लिए बैंकों में पूरा दिन निकल गया। दो-दो बार लौट कर आया हूं। बनिया भी पैसे नहीं दे रहा है।

जैसे ही वो कहता है, बगल से आवाज़ आती है, मोदी ने जो किया, बहुत सही किया। सत्तर साल में किसी ने नहीं किया। सिर्फ एक आवाज़ पूरी भीड़ को डरा देती है। जो अपनी बात कह रहा होता है, वो फिर से टेप रिवाइंड करता है और उसी पंक्ति से शुरू करता है जिसे आप चैनलों पर बार-बार सुन चुके हैं। मोदी जी ने बहुत सही किया है। हम मानते हैं कि देश का भला होने वाला है लेकिन…. यही वो ‘लेकिन’ है जिसके सहारे वो अपने डर से आज़ाद होने की कोशिश करता है मगर हार जाता है। फिर वो पूरी तरह फैसले का स्वागत करने लगता है।

क्या जनता को जनता से ही डर लगने लगा है। क्या लोगों को यह लगता है कि कोई भेदिया आ जाएगा। ऐसी स्थिति मैंने कभी नहीं देखी। काला धन के ख़िलाफ़ कार्रवाई का कोई विरोध कैसे कर सकता है। वो अपने लिए मज़दूरी और कमाई की बात करना चाहता है। काला धन के निर्माण में उसका न तो कोई योगदान है न ही उसे तुरंत कोई फायदा होने वाला है। उसे क्यों इतनी तकलीफ हो रही है। चांदनी चौक में कारोबार ठप सा होने से बड़ी संख्या में मज़दूरों पर संकट आया है। वे असहाय हैं. सरकार और बीजेपी को समझना चाहिए कि ये परेशान लोग विपक्ष के नहीं हैं। उन्हीं के अपने हैं।

आखिर लोग इस बात के लिए किसे दोष दें, कि पैसे नहीं हैं। मज़दूरी नहीं मिल रही है। कब से मिलनी शुरू होगी, किसी को पता नहीं। उनका दर्द छलक नहीं पा रहा है क्योंकि जैसे ही छलकता है, कोई आकर कह देता है कि सरकार ने साहसिक फैसला लिया है। फिर वो भी कहने लगता है कि हम भी वही कह रहे हैं लेकिन….. अब इस लेकिन का इतना दबाव है कि कोई यह भी नहीं कह पाता कि भूखा है।

चांदनी चौक के व्यापारियों को सेल्स टैक्स और इनकम टैक्स के छापों ने डरा दिया है। कइयों ने कहा कि छापे के नाम पर हमें डरा दिया गया है ताकि खुलकर विरोध न कर सकें. व्यापारी कहते हैं कि हम तो बिल्कुल ही विरोध में नहीं हैं। लेकिन हम ये तो बोल सकते हैं न कि हमारा बिजनेस चौपट हो गया है। एक रुपये में एक पैसे का भी कारोबार नहीं बचा है। हमारे लिए कोई इंतज़ाम नहीं किया गया है। मज़दूर और व्यापारी दोनों बैंक की कतार में हैं। ग्राहक और खुदरा व्यापारी ने आना बंद कर दिया है। इसके बाद भी हम शादियों के मौसम में लोगों की मदद कर रहे हैं। उधार पर माल देकर हम भी योगदान कर रहे हैं।

नोटबंदी के फैसले के बाद मीडिया ने सदर बाज़ार की तरफ दौड़ लगाई थी। मैंने कई व्यापारी से पूछा कि आपकी छवि ऐसी क्यों हैं। आप सब की पहुंच सभी राजनीतिक दलों में है। फिर भी आप कब तक इस तरह की छवि को ढोते रहेंगे। प्रधानमंत्री ने भी ग़ाजीपुर में कहा था,” मेरा निर्णय ज़रा कड़क है। जब मैं छोटा था तो ग़रीब लोग होते थे वो मुझे खास कहते थे कि मोदी जी चाय ज़रा कड़क बनाना। ग़रीब को कड़क चाय ज़्यादा अच्छी लगती है। हमें तो बचपन से आदत है। तो निर्णय मैंने ज़रा कड़क लिया. अब ग़रीब को तो कड़क चाय ज़रा भाती है लेकिन अमीर का मूड बिगड़ जाता है।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ”इस फैसले से ग़रीब चैन से सो रहा है। अमीर नींद की गोली ख़रीदने के लिए बाज़ार के चक्कर लगा रहा है।

उनके इस बयान ने काले धन को लेकर समाज का एक तरह से बंटवारा कर दिया है। संदेश गया है कि ग़रीब चैन से है और अमीर चोर है। तमाम जनता के बीच अमीर तबका संदिग्ध हो गया है। व्यापारियों को भी अब अपनी इस छवि के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने अपनी कमाई से न जाने कितने दलों को सींचा है। अब वक्त आ गया है वे अपने धंधे को सींचे। उसे पहले से बेहतर करें और उस रास्ते पर चलें जिस पर कोई दल उनका आर्थिक और भावनात्मक दोहन करने के बाद उनका शोषण न करें। उन्हें लांछित न करे। आज़ादी के आंदोलन में व्यापारियों का योगदान ऐतिहासिक है। उन्हें राष्ट्रवादी मर्यादा के साथ देखा और सराहा गया। लेकिन इस बार के राष्ट्रवादी आंदोलन में उन्हें शक की निगाह से देखा जा रहा है। करोड़ों की कमाई हो और प्रतिष्ठा ऐसी, यह तो उसी वर्ग को तय करना है कि किस लिए और किसके लिए।

पूरे देश में तमाम वर्गों के साथ व्यापारी वर्ग भी शक के दायरे में है कि वही काले धन को सफेद करने में लगा है। चांदनी चौक के व्यापारी इस सवाल पर चुप हो जाते हैं। कहते हैं कि हमें बताइये कि हम कैसे अपना व्यापार करें। नगद हमारे कारोबार का हिस्सा रहा है। हम पक्के नोट का कारोबार करते हैं। सबके पास काला धन नहीं है। कितनी छोटी-छोटी दुकानें हैं। क्या सभी के पास काला धन है। क्या पांचों अंगुलियां बराबर हो सकती हैं। फिर भी हम तैयार हैं कि जो प्रक्रिया सरकार तय करे उस पर चलेंगे लेकिन क्या सरकारी विभाग हमसे रिश्वत लेना बंद कर देंगे। क्या कोई सरकार ये बंद करवा देगी।

बहरहाल चांदनी चौक के व्यापारी सरकारी डंडे से डरे हुए हैं। उन्हें सोचना चाहिए कि ऐसे वक्त में जब काला धन नष्ट करने का कथित रूप से राष्ट्रवादी अभियान चल रहा हो, उनका नाम सम्मानित स्वर में क्यों नहीं लिया जा रहा है। क्यों वे डरे-डरे से हैं. क्यों उनकी दुकानों के शटर गिरे हैं। क्या उन्होंने ईमानदार राजनीति का पोषण किया है। यह सवाल भी उन्हें अपने आप से पूछना चाहिए. जो कल की बात है वो कल की बात है। कल भी ये बात न रहे, चांदनी चौक के व्यापारियों को सोचना होगा. बताना होगा कि उनके धंधे का राज़ क्या है और उनके चंदे का राज़ क्या है। वर्ना जब भी यह बात सुनाई देगी कि अमीर नींद की गोलियां ख़रीदने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, मीडिया चांदनी चौक के चक्कर लगाने लगेगा।

Courtesy: teesrijungnews.com

BJP MLA का बड़ा खुलासा: PM मोदी ने अंबानी-अडानी को दे दी थी नोटबंदी की जानकारी

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कोटा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 और 1000 के नोटों को रात 12 बजे से बंद करने की घोषणा की थी। बड़े नोटों के बंद होने से आम जनता को नकद पैसे की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में बैंकों और एटीएम के सामने लोगों की लंबी कतारे देखी जा रही हैं। आम लोगों पैसे पाने के लिए को कई घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है। जिसके बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। 

Bhavani Singh BJP MLA

विपक्ष के बाद अब बीजेपी के नेता भी मोदी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। बयानों से चर्चा में रहने वाले राजस्थान के कोटा जिले के बीजेपी विधायक भवानी सिंह राजावत ने नोटबंदी पर अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। बुधवार को भवानी सिंह राजावत का एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वायरल हुए वीडियो में राजावत मोदी सरकार के नोटबंदी पर सवाल उठा रहे हैं। राजावत कह रहे हैं, "अंबानी-अडानी को नोटबंदी के बारे में पहले से ही पता था। इनको हिंट दे दी गई थी और इसके बाद उन्होंने अपना काम कर लिया।"
 
भवानी सिंह राजावत ने कथित तौर पर कहा है कि अंबानी और अडानी को 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के बारे में पहले से पता था। बुधवार को इंटरनेट पर रिलीज किए गए इस वीडियो में बीजेपी विधायक कथित तौर पर ऐसा कहते दिख रहे हैं। 
 
यही नहीं नए नोटों की क्वालिटी के बारे में अपनी राय रखते हुए वीडियो में राजावत कह रहे हैं, "नए नोट की क्वालिटी थर्ड क्लास है, छूते ही लगता है कि नकली है। देश की आबादी के अनुपात में करंसी प्रिंट कराते, उसके बाद में कुछ करते। एक साथ पेट्रोल पंप की कीमतों की तरह कह दिया कि आज रात 12 बजे से 500-1000 के नोट बंद कर दिए जाएंगे। इसको ठहरकर कर सकते थे, एक महीने बाद हो जाएगा, 15 दिन बाद हो जाएगा, पहले यह होगा, फिर यह होगा।" 
 
आपको बता दें यह वीडियो 33 सकेंड का है जिसमें विधायक बोलते नजर आ रहे हैं कि नए नोट की क्वालिटी थर्ड क्लास की है, लेते ही लगता है नोट नकली है। इसके बाद राजावत ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। वीडियो में कांट-छांट की गई है। यह सब एक षड्यंत्र के तहत किया गया है।

Courtesy: National Dastak

सबसे निचले स्तर पर पहुंचा नौकरियां पैदा करने का आंकड़ा, हालात देश में पैदा कर सकते हैं त्रासदी

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को आगाह किया कि नौकरियों के अवसर पैदा करने के विपरीत हालात देश में त्रासदी पैदा कर सकते हैं।

Pranab Mukherjee

शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि नौकरियां पैदा करने के आंकड़े पिछले सात वर्षों में सबसे निचले स्तर पर हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा करना प्राथमिकता है।

संस्थानों में छात्रों के विरोध की घटनाओं का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को उच्च स्तर की पढ़ाई करने के लिए सद्भावपूर्ण और शांतिपूर्ण माहौल की जरूरत है।

उन्होंने संबंधित सरकारी विभागों से कहा कि वे इन शैक्षणिक नेतृत्वकर्ताओं की मदद करें। मुखर्जी ने कहा कि देश के संस्थानों को प्रतिभाओं के सहायक के तौर पर काम करना चाहिए।

 

उन्होंने कहा, ‘भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। नौजवानों की सर्वाधिक आबादी होने से हमारे पास निम्न निर्भरता अनुपात का फायदा उठाने की पूरी गुंजाइश है। अगर देश में पर्याप्त नौकरियां होंगी जो संतुष्टि, दोहन और संपूर्णता होगी। इसके विपरीत का माहौल देश में त्रासदी ला सकता है।’

भाषा की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति ने कहा, ‘युवाओं की नाराजगी और परेशानी अशांति और उथल-पुथल के रूप में सामने आती है। ऐसे हालात हमारे यहां पैदा नहीं होने दीजिए।

हमें बड़ी आबादी को अपनी ताकत में तब्दील करना होगा। इसके लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाने को प्राथकिमता है। साल 2015 में नौकरियां पैदा होने का आंकड़ा 1.5 लाख था जो पिछले सात वर्षों में सबसे कम है।’ उन्होंने कहा कि मशीनों के तेजी से चलन में आने के साथ हमें व्यापक बदलाव की ओर से ध्यान देना होगा।

Courtesy: Janta Ka Reporter