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चुनावी जुमलेाबाजी पर छिन जाएगा चुनाव चिन्ह- चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। पंजाब और उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग सतर्क हो गया है। चुनाव आयोग चनावी जुमलेबाजी पर लगाम लगाने जा रहा है। चुनाव के लिए जारी होने वाले राजनीतिक दलों के मैनिफेस्टो (घोषणापत्र) पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर रहेगी। इतना ही नहीं, चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि जो भी पार्टी चुनावी घोषणा पत्र में बढ़ा-चढ़ाकर वादे करेगी उसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयोग के अधिकारी जल्द ही यूपी और पंजाब के 2017 विधानसभा चुनावों के लिए तैयार किए गए घोषणापत्रों का निरीक्षण करेंगे। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अगर राजनीतिक पार्टियों ने आयोग को स्टांप पेपर पर हलफनामा दिए बिना बड़े-बड़े वादे किए तो उनपर सख्य कार्रवाई की जाएगी, यहां तक की चुनाव चिन्ह तक छीना जा सकता है।

Election commission

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने यह फैसला 23 सितंबर को हुई एक मीटिंग के बाद लिया है। मीटिंग से मिले एक आंतरिक पत्र में लिखा है, “यह माना जाता है कि मैनिफेस्टो ही चुनावी वादों का एक रूप है। जिन्हें पूरा करने के लिए उसी स्तर के धन की भी जरूरत होती है। वोटर्स का विश्वास चुनावी वादों पर ही टिका होता है इसलिए उन्हें पूरा किया जाना जरूरी है।” बता दें कि पंजाब में 2012 के चुनावों में शिरोमणि अकाली दल ने 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को लेपटॉप देने का वादा किया था, लेकिन बाद में 1.25 लाख करोड़ का कर्ज होने के कारण पार्टी इससे मुकर गई थी।

23 अक्टूबर को हुई मीटिंग के बाद भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ नसीम जैदी ने कहा था कि राजनीतिक दलों के चुनाव घोषणा पत्रों पर आयोग की नजर है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि घोषणा पत्र आचार संहिता लागू होने के बाद जारी होते हैं या पहले। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की बैठक के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त की अध्यक्षता में यहां आई निर्वाचन आयोग की टीम ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पंजाब में 20 हजार से अधिक भगोड़े होना चिंता की बात है। चुनाव शांतिपूर्वक और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए पुलिस प्रशासन को सबसे पहले इन्हें तलाशकर जल्द से जल्द सलाखों के पीछे करना होगा।

Courtesy: National Dastak
 

अब देश के अंदर ही अंजाम दी जा रही है सर्जिकल स्ट्राइक

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8 सिमी कार्यकर्ताओं को मारे जाने के तरीके पर अब तरह-तरह के सवाल उठने शुरू हो गए है। पुलिस ने ये एनकाउंटर किस प्रकार से किया इस पर पुलिस ने पूरी तरह से बयान जारी नहीं किए है।
 
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीन दुबे एनकाउंटर के वक्त मौके पर मौजूद थे। उन्होनें पुलिस के इस एनकाउंटर को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से कुछ वाजिब सवाल किए है। फेसबुक पर लिखी उनकी पोस्ट वायरल हो गयी है।
 

शिवराज जी इस सिमी के कथित आतंकवादियों के एनकाउंटर पर कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है। मैं खुद मौके पर मौजूद था। सबसे पहले 5 किलोमीटर पैदल चलकर उस पहाड़ी पर पहुंचा, जहां उनकी लाशें थीं। आपके वीर जवानों ने ऐसे मारा कि अस्पताल तक पहुँचने लायक भी नहीं छोड़ा। ना आपके भक्त मुझे देशद्रोही ठहराएं, उससे पहले मैं स्पष्ट कर दूँ, मैं उनका पक्ष नहीं ले रहा, उन्हें शहीद या निर्दोष भी नहीं मान रहा हूँ लेकिन सर इनको जिंदा क्यों नहीं पकड़ा गया..?

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मेरी एटीएस चीफ संजीव शर्मा से वहीं मौके पर बात हुई और मैंने पूछा कि क्यों सरेंडर कराने के बजाय सीधे मार दिया..? उनका जवाब था कि वे भागने की कोशिश कर रहे थे और काबू में नहीं आ रहे थे, जबकि पहाड़ी के जिस छोर पर उनकी बॉडी मिली, वहां से वो एक कदम भी आगे जाते तो सैकड़ों फीट नीचे गिरकर भी मर सकते थे। मैंने खुद अपनी एक जोड़ी नंगी आँखों से आपकी फोर्स को इनके मारे जाने के बाद हवाई फायर करते देखा, ताकि खाली कारतूस के खोखे कहानी के किरदार बन सकें।
 
उनको जिंदा पकड़ना तो आसान था फिर भी उन्हें सीधा मार दिया, और तो और जिसके शरीर में थोड़ी सी भी जुंबिश दिखी उसे फिर गोली मारी गई। एकाध को तो जिंदा पकड लेते। उनसे मोटिव तो पूछा जाना चाहिए कि वो जेल से कौन सी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए भागे थे? अब आपकी पुलिस कुछ भी कहानी गढ़ लेगी कि प्रधानमंत्री निवास में बड़े हमले के लिए निकले थे या ओबामा के प्लेन को हाइजैक करने वाले थे, तो हमें मानना ही पड़ेगा क्यूंकि आठों तो मर गए… शिवराज जी सर्जिकल स्ट्राइक यदि आंतरिक सुरक्षा का भी फैशन बन गया तो मुश्किल होगी।
 
फिर कहूँगा कि एकाध को जिंदा रखना था भले ही इत्तू सा। सिर्फ उसके बयान होने तक। चलिए कोई बात नहीं। मार दिया, मार दिया लेकिन इसके पीछे की कहानी जरूर अच्छी सुनाइयेगा, जब वक्त मिले, कसम से दादी के गुजरने के बाद कोई अच्छी कहानी सुने हुए सालों हो गए।
आपका भक्त

Courtesy: Janta ka Reporter

एनकाउंटर को लेकर पुलिस के दावों को झुठलाती ये 5 महत्वपूर्ण बातें कैसे नज़र अंदाज करें ?

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मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा 8 सिमी सदस्यों को मारे जाने को लेकर सरकार लामबंद नज़र आ रही है। जहां एक और मध्य प्रदेश की जेल मंत्री कह रही है कि सिमी के लोगों को मार गिराने के लिए हमारी तारीफ होनी चाहिए।

वहीं दूसरी और सरकार में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भोपाल जेल से भागे 8 सिमी कार्यकर्ताओं के कथित एनकाउंटर से देश का मनोबल बढ़ेगा और जनता में विश्वास बढ़ेगा कि ‘हम सुरक्षित हैं।’

सरकार सीमा सुरक्षा की तरह ही देश की आंतरिक सुरक्षा के अपने खुद के तरीके पर फर्क महसूस कर रही है। एनकाउंटर को लेकर जो मुख्य बिन्दु सामने आए है उनसे जाहिर होता है कि कहीं कुछ छिपाया जा रहा है। मध्य प्रदेश पुलिस की इस कार्यवाही को संदेह के घेरे में लाने वाले कुछ वाजिब सवाल।

Photo: Jansatta
Photo: Jansatta

ऊंची जेल की दीवार कैसे फांद ली गई?
पुलिस का दावा है उन लोगों ने ऊंची जेल की दीवार को फांदा जिसके लिए उन्होंने जेल से मिली अपनी चादरों सेे रस्सी को बनाया। एक कैदी को कितनी चादरें दी जाती होंगी? अगर एक भी दी जाती हो तो आठ होती हैं। चादर से बनी रस्सी को दीवार पर कहां अटकाया होगा? ऊंची दीवारों पर कैसे चादर को अटकाया गया होगा? चादरों को रस्सी बनाकर कैदी फरार हो गए।

 
बैरक कैसे तोड़ा होगा?
कैदियों ने बैरक भी तो तोड़ी होगी? कैसे तोड़ी? क्या वो कोठरी इतनी कमजोर बनी हुई थी कि वो तोड़कर आसानी से भागा जा सकता था। किसी तरह की कोई आवाज नहीं। क्या पूरी जेल में पुलिस इतनी लापरवाह हो रही थी कि उसको मालूम ही कि जेल की कोठरी में क्या चल रहा है। भोपाल की इस जेल को अति सुरक्षित माना जाता है। गुणवत्ता के लिए इस जेल को आईएसओ 9001-2015 प्रमाणपत्र हासिल है।
 
कैदियों के भागने के सीसीटीवी फुटेज कहां है?
जिस जेल को अपनी गुणवत्ता के लिए आईएसओ 9001-2015 प्रमाणपत्र हासिल हो वहां बिना सीसीटीवी कैमरों के काम हो ही नहीं सकता। अगर ये घटना हुई हो तो कैदियों के स्वभाविक भागने की फुटेज एक अहम सबूत बन सकता है। लेकिन इस पर अभी से मध्यप्रदेश की जेल मंत्री ने बयान देना शुरू कर दिया है कुसुम मेहदाले ने एनडीटीवी से बातचीत में यह भी कहा, मैं मानती हूं कि कुछ कमियां रह गईं… हो सकता है, जेल में लगे कुछ सीसीटीवी कैमरे काम न कर रहे हों… वे लोग जेल की दीवार पर चढ़ने में कैसे कामयाब हुए, मैं नहीं जानती?
 
पुलिस ने भागे गए कैदियों को जिन्दा क्यों नहीं पकड़ा
पुलिस कह रही है कि हमने अपनी आत्मरक्षा में उनको मारा वो हम पर फायरिंग कर रहे थे। ये बयान आईजी भोपाल का है।  इस बयान पर संदेह उत्पन करता है कि फरार हुए लोगों को आधुनिकतम हथियार कहाँ से और किससे प्राप्त हुए? क्या जेल से निकलते ही उनको हथियार सप्लाई कर दिए गए।
 
तस्वीरों में दिखा कैदियों के पहनावा जेल में नहीं दिया जाता है
एनकाउंटर के बाद जो तस्वीरें सामने आई उसमें घड़ी, जूते और बेल्ट दिखें। इस पर एआईएमआईएम के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए कहा, “डेड बॉडी देखकर पता लगता है कि जेल से भागे कैदियों ने जूते, घड़ी और बेल्ट जैसी चीजें पहनी हुई हैं। वहीं, जब किसी भी आरोपी का ट्रायल होता है तो उसे जेल में ऐसी चीजें पहनने की इजाजत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि जेल से फरार हुए इन लोगों ने ऐसे सामान पहने हुए थे जो उन्हें जेल में नहीं मिलते।”
 
अभी सरकार की तरफ से इस कार्यवाही के पुख्ता साक्ष्य पेश नहीं किए गए है लेकिन अगर सरकार की तरफ से कुछ आया है तो देश का मनोबल बढ़ाने और जनता में विश्वास बढ़ेगा कि ‘हम सुरक्षित हैं जैसी बातों का प्रचार।

Courtesy: Janta ka Reporter