Home Blog Page 2397

मराठवाड़ा में नहीं थम रहा आत्‍महत्‍या का सिलसिला, उलझन में अधिकारी

0

मराठवाड़ा में इस मानसून ने इतनी अधिक बारिश करा दी कि खरीफ व सोयाबीन की फसलों को काफी नुकसान हुआ शायद इस वजह से इस बार भी किसानों ने आत्‍महत्‍या का रास्‍ता चुना

Marathwada farmers
Image: indiatimes.com

औरंगाबाद (जेएनएन)। मराठवाड़ा में जुलाई से अक्टूबर तक की अवधि के दौरान करीब 342 किसानों ने आत्महत्या की घटना ने सरकारी अधिकारियों को उलझन में डाल दिया है क्योंकि इस साल मानसून के दौरान क्षेत्र में काफी अच्छी बारिश हुई है।

इस साल के आरंभ से अक्टूबर के पहले हफ्ते तक करीब 838 मराठवाड़ा किसानों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली जो कि पिछले साल (778) की तुलना में काफी अधिक है। मराठवाड़ा के आठ जिलों में बीड में 93, नांदेड़ और ओस्मानाबाद में 58-58 किसानों ने आत्महत्या की है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि पहले आत्महत्या होने के पीछे खेती में संकट, खराब आर्थिक स्थिति और बैंक के कर्जे को चुकाने में असफलता मुख्य कारण थे। राजस्व विभाग अब इन मामलों की जांच कर रहा है ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि इनके परिवार वालों को हर्जाना दिया जाए या नहीं। बीड निवासी डिप्टी कलेक्टर चंद्रकांत सूर्यवंशी ने यह स्वीकार किया कि अच्छे मानसून के बावजूद इस स्थिति को देख सरकार उलझन में है। उन्होंने बताया,’2014 की तुलना में 2015 में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा बढ़ गया है। इसके पीछे जलसंकट ही मुख्य कारण था। हालांकि हम उम्मीद कर रहे थे कि इस साल आत्महत्या की संख्या में कमी आएगी।‘

औरंगाबाद जिले को छोड़ मराठवाड़ा के बाकी सात जिले में काफी अच्छी बारिश हुई है। औरंगाबाद में चार महीने में 89.8फीसद बारिश हुई। लातूर (1,100mm) व नांदेड़ (1,094mm) में काफी अच्छी बारिश होने के बावजूद किसानों की आत्महत्या के आंकड़े में कोई कमी नहीं है। किसानों के लिए सामाजिक कार्यकर्ता जयाजी सूर्यवंशी ने बताया कि मराठवाड़ा के सोयाबीन बेल्ट में काफी अधिक आत्महत्या के मामले देखे गए हैं। उन्होंने बताया कि मराठवाड़ा के वे इलाके जहां बारिश की कमी के कारण स्थिति खराब हो गयी थी वहां इस बार बाढ़ जैसी स्थिति बन गयी थी जो सोयाबीन व खरीफ फसल के लिए हानिकर सिद्ध हुई।‘ शुरुआती विश्लेषण के अनुसार, मराठवाड़ा के 15 लाख हेक्टेयर की खेती बाढ़ के कारण खराब हो गयी।

Source: Dainik Jagran
 

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल – हिंदू साथियों की दिवाली के लिए छुट्टी कुरबान

0

लखनऊ: गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल का प्रतीक है लखनऊ। नवाबों के शहर के नाम से मशहूर लखनऊ ने फिर इसकी एक बानगी पेश की है। यहां साथी हिंदू डॉक्टर अपने परिवार संग दीपावली मना सकें, इसके लिए सरकारी अस्पतालों के मुस्लिम डॉक्टरों ने ओपीडी के अलावा इमर्जेंसी में भी अपनी ड्यूटी लगवा ली है। आपसी भाईचारे की यह तस्वीर सिर्फ अस्पतालों में ही नहीं, बल्कि लेसा में भी नजर आ रही है। दो दिन शहर में बिना फॉल्ट बिजली सप्लाई के लिए मुस्लिम कर्मचारी और अधिकारी उपकेंद्रों से लेकर लेसा कंट्रोल रूम तक डटे रहेंगे।

Hindu Muslim unity

दीपावली पर दो दिन की छुट्टी के बावजूद बलरामपुर, सिविल, लोहिया और भाऊराव देवरस अस्पतालों में इमर्जेंसी के अलावा ओपीडी में भी मरीज देख जाएंगे। ओपीडी का दबाव होने के बावजूद 90% मुस्लिम डॉक्टरों ने दोनों दिन के लिए अपनी ड्यूटी लगवा ली है। भाऊराव देवरस अस्पताल के फिजिशन डॉ. एमएस सिद्दीकी का कहना है कि मुहर्रम, ईद और बकरीद जैसे अवसरों पर हिंदू साथियों की वजह से बिना दिक्कत छुट्टी मिल जाती है। इसी भाईचारे के लिए उन्होंने दीपावली पर अपनी ड्यूटी लगवाई है।

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. ईयू सिद्दीकी ने भी अपने जूनियर अधिकारियों के बजाय दीपावली के दिन खुद आने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि इमर्जेंसी ड्यूटी लगाते वक्त इसका ध्यान रखा कि ज्यादातर मुस्लिम डॉक्टरों को दीपावली की रात और परेवा की सुबह तैनात किया जाए। इसी तरह लेसा के उपकेंद्र और कंट्रोल रूम का जिम्मा दो दिन मुस्लिम इंजिनियर और कर्मचारी संभालेंगे। दोनो विभागों के कर्मचारियों का कहन है कि छुट्टी निरस्त करने की अर्जी के साथ ड्यूटी करने की पहल खुद मुस्लिम भाइयों ने की है।

Source and Courtesy: Navbharat Times