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बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में किसान काली दिवाली मानाने पर मजबूर

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खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा में किसान इस बार काली दीपावली मनाकर प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी में हैं। प्याज की अच्छी फसल होने के बावजूद किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से वो आर्थिक संकट झेल रहे हैं। किसान खेतों में खड़ी फसल पशुओं को खिलाने को मजबूर हैं। कुछ किसानों ने खेतों में रोटर-कल्टीवेटर और हल चलाकर प्याज की फसल नष्ट की।

कलि दिवाली
 
किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ में प्याज की फसल लगाने में 25 हजार रुपए तक खर्च आया था। जबकि मंडी में दो रुपए किलो में भी व्यापारी प्याज नहीं खरीद रहे हैं। ऐसे में भाड़ा लगाकर मंडी तक जाने की बजाए खेतों में ही फसल को नष्ट किया जा रहा है। अहमदपुर खैगांव में करीब 50 प्रतिशत किसानों ने प्याज की फसल लगाई थी। मगर अब किसानों को अतिरिक्त खर्च उठाकर फसल नष्ट करानी पड़ रही हैं। 
 
ये सारा संकट किसान उस मध्यप्रदेश में झेल रहे है जहां की शिवराज सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है। शासन के नीतियों से आर्थिक बोझ में दबे किसान नम आंखो से बताते है कि इस दिवाली पटाखे तो बहुत दूर की बात है वो दीपावली की मिठाई भी बच्चों को नहीं दिला पाएंगे।
 
भारतीय किसान संघ ने आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों की आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए दीपावली नहीं मनाते हुए विरोध प्रदर्शन का आव्हान किया है। किसानों ने शीघ्र ही सरकार से बीमा राशि देकर राहत उपलब्ध करवाने की मांग की है। 

Courtesy: National Dastak
 

आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के बिल सार्वजनिक करने से पीएमओं का इंकार

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एक आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं से जुड़े खर्च को सार्वजनिक करने पर पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने सुरक्षा कारण बताते हुए जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया।
 

जबकि सूचना आयोग इस जुगत में है कि इस जानकारी से सम्बधित बिलों को किस प्रकार से सार्वजनिक किया जा सकता हैं। ज्ञात हो कि मई 2014 में पद संभालने के बाद से पीएम मोदी अभी तक चालीस देशों की यात्रा कर चुके हैं।
 
लोकेश बत्रा नामक आरटीआई कार्यकर्ता ने इन जानकारियों की मांग इसलिए की है क्योंकि वह जानना चाहते थे पीएम मोदी की इन यात्राओं से जुड़े बिलों को पास करने में इतनी देरी क्यों होती हैं।
 
Photo courtesy: the hindu
Photo courtesy: the hindu
 
क्योंकि इस देरी के कारण राष्ट्रीय हवाई सेवा एयर इंडिया को काफी मंहगी पड़ रही है। जिसका कारण है कि बिलों का भुगतान समय पर नहीं होता हैं।
 
एनडीटीवी की खबर के अनुसार सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से जुड़ी फाइलें मंगवाई है। आयोग जानना चाहता है कि इन यात्राओं पर कितना खर्च हुआ है और आयोग ही यह तय करेगा कि क्या पीएम की विदेश यात्रा के खर्चे से संबंधित रिकॉर्ड और एयरक्राफ्ट चार्टर बिलों को पास करने की प्रक्रिया का सूचना के अधिकार के तहत खुलासा किया जा सकता है।
 
बत्रा ने एनडीटीवी से कहा एयर इंडिया गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही है और मैं जानना चाहता हूं कि अलग अलग दौर में राष्ट्रीय हवाई सेवा के बिलों को क्लियर होने में इतना वक्त क्यों लगता रहा है।
 
जबकि पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने सुरक्षा कारण बताते हुए जानकारी साझा करने से मसा कर दिया। इसके बाद सूचना आयोग ने पीएमओ से एक प्रतिनिधित्व फाइल 18 नवंबर तक पेश करने के लिए कहा है।
 
अभी 18 नवंबर तक सूचना आयोग को प्रतीक्षा करनी होगी तब ही पता चला पाएगा कि पीएम मोदी की इन विदेश यात्राओं में कितना कितना खर्च आया है। लेकिन ये जानकारी सब ही सार्वजनिक की जा सकती है तब सूचना अयोग को लगेगा कि इससे किसी तरह के सुरक्षा कारण पर आंच तो नहीं आती।

Courtesy: Janta Ka Reporter

असमर्थ दलित व्यक्ति की भूख से मौत, आधार कार्ड ना होने के कारण दलित परिवार को नहीं मिला अनाज

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स्थानीय दुकान से अनाज लेने में असमर्थ दलित युवक ने भूख के कारण दम तोड़ दिया। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद निवासी 28 वर्षीय बेरोजगार दलित युवक की पत्नी जो पिछले कई दिनों से भूखी है वह भी अस्पताल में मौत से जूझ रही है।
आधार कार्ड और राशन कार्ड ना होने के कारण धर्मेंद्र दुकान से अनाज लेने में असमर्थ था। जिला प्रशासन ने स्थानीय अधिकारियों को मामले की जांच का आदेश दिया है।

जिसके तहत उस स्थानीय दुकान की भी जांच होनी है जहां सरकार की ओर से गरीबों के लिए सब्सिडाइज्ड भोजन उपलब्ध कराया जाता है। धमेंद्र की मौत के बाद रविवार को तहसीलदार रामकुमार वर्मा ने सोरांव तहसील के अंतर्गत आने वाले धरौता गांव में दंपति के घर की छानबीन की। वर्मा ने बताया कि उन्हें इस जांच के दौरान घर से खाने का कोई सामान नहीं मिला।

 

janta ka reporter
Image: janta ka reporter

सरकार द्वारा कई स्कीमों, विशेषकर चावल और गेहूं की कीमतों में कमी के बावजूद गांवों में भुखमरी व्याप्त है। वर्मा ने तुरंत राहत के तौर पर परिवार को 1000 रुपये दिए। ग्रामीण समारोहों में धर्मेंद्र स्थानीय नर्तक के तौर पर काम करता था।

शुरुआत में दंपति को ग्रामीणों ने भोजन दिया लेकिन कुछ समय बाद यह भी बंद हो गया। आठ साल पहले धमेंद्र की शादी उषा देवी से हुई थी लेकिन अभी तक उनकी कोई संतान नहीं थी। सब डिविजनल मजिस्ट्रेट ब्रजेंद्र द्विवेदी ने बताया, ‘धमेंद्र के पास कुछ खेत और जमीन थी।‘ रविवार सुबह धमेंद्र की मौत हो गयी। ग्रामीणों ने उसके अंतिम संस्कार के लिए पैसे इकट्ठा किए थे।

Courtesy: Janta Ka Reporter