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व्यापमं खोलने वाले आशीष को साइकिल पर गार्ड और अरनव को Y कवर…

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नई दिल्ली। वीआईपी कल्चर पर सवाल उठाने वाले टाइम्स नाऊ के अर्नव गोस्वामी को सरकार ने वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई है। अब उन्हें 24 घंटे 20 जवान कवर करेंगे। इन जवानों का खर्चा मुंबई सरकार उठाएगी। बताया जा रहा है कि अर्नव गोस्वामी को धमकियां मिलने के बाद सुरक्षा दी गई है। लेकिन लोग हैं कि मानते नहीं उन्होंने इस पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। वे अन्य पत्रकारों को भी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाने लगे हैं जिन्हें देश के अंदर से ही बहुत सारी धमकियां मिलती हैं। 

Arnab Vyapam

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने सुरक्षा में दोहरेपन पर सरकारी नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। मध्य प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले व्यापमं को खोलने वाले आशीष चतुर्वेदी की सुरक्षा को लेकर उन्होंने लिखा है….. 

MP व्यापम में जब 50 से ज़्यादा शहीद हो गए तो इस मामले को खोलने वाले आशीष चतुर्वेदी को सुरक्षा दे दी गई। सबसे अच्छी बात है कि सिपाही रहमदिल हुआ तो बीच बीच में साइकिल पर आशीष को बिठा भी लेता है। ज़्यादातर समय आशीष ही चलाते हैं। सुरक्षा के लिए एक डंडा साथ होता है।
 

बीजेपी असम के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ भट्टाचार्य के भांजे और बीजेपी से गुवाहाटी का लोकसभा चुनाव लड़ चुके मनोरंजन गोस्वामी के पुत्र अरणब गोस्वामी को सुरक्षा बलों के 20 जवान सुरक्षा देंगे।

Courtesy: National Dastak
 

अनगिनत उपलब्धियों के बावजूद बहुजन बेटी को केंद्र और राज्य से कोई मदद नहीं

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लखनऊ। मेडल क्वीन व आयरन गर्ल के नाम से सुविख्यात अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी निधि सिंह पटेल ने एक बार फिर से विदेश की धरती पर अपने देश की प्रतिनिधित्व करते हुए भारतीय तिरंगा लहराया। निधि ने उजबेकिस्तान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय एशिया बेन्च प्रेस पावरलिफ्टिगं चैम्पियनशिप में 57 किलोग्राम भार वर्ग में अपने प्रतिद्वंद्वियों से कड़ा मुकाबला करते हुए 87.5 किलो भार उठा कर रजत पदक पर कब्जा जमाते हुए एक बार फिर से विदेश में मिर्जापुर के साथ उत्तर प्रदेश व देश का नाम विश्व पटल पर रोशन किया है।

Dalit Girl

उज्बेकिस्तान के एशिया चैम्पियनशिप में निधि ने बहुत ही कडी मुकाबला करते हुए बहुत ही मामुली अंकों से कजाकिस्तान की सेलिवा इरिना के गोल्ड से चुक गईं। सेलिवा इरिना ने 105.98 अंक के साथ गोल्ड, वहीं निधि सिंह पटेल ने 105.32 अंक के साथ भारत की झोली में रजत पदक डाल दिया। वहीं कजाकिस्तान की कुरिशेवाओल्गा ने 87.69 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रही।

गरीब परिवार से आने वाली निधी सिंह पटेल अब जीत के बाद भी अपने अगले लक्ष्य को लेकर काफी निराश हैं। कई उपलब्धियों के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार से उन्हे्ं कोई मदद नहीं मिली है। अगले महीने नवंबर में कनाडा में होने वाले पावर लिफ्टिंग कॉमनवेल्थ गेम में शामिल होने के लिए उन्‍हें दो लाख 40 हजार रुपए की जरूरत है, लेकिन इसका इंतजाम नहीं हो सका है। इससे उनके इस खेल पर भी ग्रहण लगने वाला है। ऐसे में इस खेल को अलवि‍दा कहने का वे मन बना रही हैं।
 

निधि ने कहा कि आर्थिक तंगी और चंदे के कारण खेल से मुंह मोड़ना मजबूरी बन गई है। उन्‍हें इस बात का मलाल है कि आखिर कब तक वह चंदे के पैसे से विदेश की धरती पर जाकर खेलेंगी। विदेशी धरती पर सम्मान और अपने ही प्रदेश में अपमान और उपेक्षा से वह दुखी हैं। उन्‍होंने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद से रिटायर्ड हुए पिता पर वह कब तक बोझ बनी रहेंगी। 

नि‍धि का जन्‍म यूपी के मिर्जापुर जिले में चुनार तहसील क्षेत्र के पचेवरा गांव में गरीब परि‍वार में हुआ है। खेल के प्रति उनके लगाव का आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि बेंच प्रेस के लिए वह चकरी बांधकर उठाती थीं। 2009 में उन्‍होंने प्रदेश और देश के लिए खेलना शुरू किया। 2010 में वह फिलीपींस में जनसहयोग से खेलने गईं और सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर साल वह देश के साथ ही विदेशी धरती पर अपने जौहर से पदक बटोरती रहीं। इतनी प्रति‍भा होने के बावजूद प्रदेश सरकार ने अब तक उनकी कोई मदद नहीं की है।

Courtesy: National Dastak
 

मैं पिछले दो साल से स्कूल में अच्छे मार्क्स लाकर दलित होने का नतीजा भुगत रहा हूं

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मैं 16 साल का छात्र हूं और बिहार के मुजफ्फरपुर में एक सरकारी स्कूल में पढ़ता हूं.
 
पिछले कुछ दिन से हर कोई यह जानना चाहता है कि मुझे स्कूल में उन लड़कों ने इतनी बुरी तरह से क्यों पीटा. मैं काफी समय तक चुप रहा.

Bihar dalit student

कभी पुलिसवालों को, कभी स्कूल के साथियों को तो कभी मीडिया को बार-बार अपने पिटने की कहानी बताकर अब मैं निराश हो गया हूं.. थक गया हूं. इन सभी को जब से मेरे पिटने का वीडियो सोशल मीडिया पर मिला, तब से बार-बार पूछ रहे हैं. कुछ लोगों ने मुझे बताया कि मेरे पिटने का वीडियो वायरल हो गया है.
 
बचपन में ही मेरे पिता ने मुझे मेरी नानी के घर मुजफ्फरपुर में पढ़ने के लिए छोड़ दिया था. मेरे पापा मेरी दो छोटी बहनों के साथ गांव में ही रहते हैं और वह एक शिक्षक हैं. उन्होंने मुझे वह नाम दिया, जिसका अर्थ 'बेस्ट' होता है. वे चाहते हैं कि मैं यहां अच्छी शिक्षा ग्रहण करूं. मैं बहुत मेहनत करता हूं. मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि पापा की अपेक्षाओं पर खरा उतरूं.
 
स्कूल में मारपीट की उस घटना से पहले और उसके बाद भी आज मुझ पर जो बीत रही है वो एक प्रताड़ित छात्र या समाज से निष्कासित व्यक्ति ही समझ पाएगा. मैंने स्कूल में अच्छा करना शुरू किया तो मेरे पिता खुश हुए, लेकिन इसके साथ ही मेरी प्रताड़ना भी शुरू हो गई.
 
मैं पिछले दो साल से अपने स्कूल में अच्छे मार्क्स लाकर दलित होने का नतीजा भुगत रहा हूं. मेरी ही क्लास में पढ़ने वाला एक छात्र और उसका भाई पिछले दो साल से मुझे प्रतिदिन प्रताड़ित करते हैं. मुझे भद्दी-भद्दी गालियां देते हैं. हफ्ते में कम से कम एक बार वे मेरे चेहरे पर थूक फेंकते हैं.
 
मैंने अपने अध्यापक को यह सारी बातें बताई. उन्हें मेरे साथ सहानुभूति तो है, लेकिन साथ ही उन्होंने बताया कि उन दोनों के पिता बहुत ताकतवर क्रिमिनल हैं. इसलिए स्कूल उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि अगर मैंने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई तो मुझे स्कूल से नाम काटे जाने पर मजबूर कर दिया जाएगा.
 
मैं भी चिंतित था कि मुझे प्रताड़ित करने वाले लड़कों के पिता मेरे परिवार के साथ क्या करेंगे. इसलिए मैंने चुप रहना ठीक समझा.
 
वह वीडियो जो वायरल हुआ है और जिसकी वजह से पुलिस केस भी दर्ज हो गया है, मुझे लगता है कि वह 25 अगस्त का है. उनमें से एक ने कहा था कि मुझे मारने में उसे खुशी मिलती है. इसलिए उसने एक अन्य छात्र को फोन देकर मेरे साथ मारपीट का वीडियो बनवाया.
 
वह कक्षा में पीछे बैठता है, जहां आसानी से नकल हो सकती है. मैं हमेशा आगे की बैंच पर बैठता हूं. नकल करने के बावजूद उसके नंबर बहुत खराब आते हैं, जबकि मेरे हमेशा अच्छे नंबर आते हैं. इसी बात से उसे मेरे साथ नाराजगी है. और जब उसे पता चला कि मैं दलित हूं तो उसने मुझे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.
 
इस वीडियो में भी देख सकते हैं कि मैं कुर्सी पर बैठा था और वह मुझे मार रहा है. उसने मेरे सिर पर मारा. मुझे लात-घूसें मारे गए. मुझे कुर्सी से खींचकर एक दीवार के पास ले जाया गया और मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारा गया. किसी ने भी उसे और उसके भाई को रोकने की कोशिश तक नहीं की. मुझे बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया.
 
इस वीडियो के बारे में जानने के बाद मेरे नाना खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. लेकिन दो-तीन लोग आए और उन्होंने हमें केस वापस लेने की धमकी दी. अब मैंने स्कूल जाना भी छोड़ दिया है. मार्च में मेरी वार्षिक परीक्षाएं हैं.
 
अब आप ही बताएं मैं कैसे इस टॉर्चर का सामना करूं और परीक्षा की तैयारी करूं.
 
(एनडीटीवी को छात्र ने बताई अपनी दास्तां) यह खबर NDTV से ली गई है, सिर्फ हेडर बदला गया है.

Courtesy: Nantional Dastak

कोर्ट पहुंचा मोदी जी के मॉडलिंग करियर का मामला

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मुंबई। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद मोदी अखबारों में रिलायंस जियो को लेकर सुर्ख़ियों में थे। जिसे लेकर लोगों ने अपनी-अलग अलग प्रतिक्रियाएं दीं थी।

JIO Modi
 
ताजा मामले के अनुसार रिलायन्स जियो के विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो के इस्तेमाल का विवाद अदालत में पहुंच गया है। मुंबई में एक व्यक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि निजी कंपनी के सिम को प्रमोट करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल गलत है।
 
याचिका में कहा गया है कि प्रधनमंत्री को बिना बताये अगर उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल हुआ है तो ये हैरान करने वाली बात है। 
 
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है की प्रधानमंत्री को अगर डिजिटल इंडिया एजेंडा को प्रमोट करना है तो उसके लिए बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को प्रमोट करना चाहिए ना कि रिलायंस को ।

याचिकाकर्ता ने मामले में केंद्र सरकार, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रिलायंस जिओ इंफोकॉम लिमिटेड और मुकेश अंबानी सहित तक़रीबन 25 लोगों को पार्टी बनाया है।

Courtesy: National Dastak