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मोदियाबिंद : JNU में मोदी का पुतला फुँकने से ख़फ़ा चैनलों को मनमोहन याद नहीं !

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पिछले दिनों केंद्र सरकार ने फ़रमान जारी किया कि सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले कर्मचारियों के ख़़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी। पता नहीं सरकारी कर्मचारी विरोध करने के अपने अधिकार कितनी आसानी से छोड़ेंगे, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के दर्जे और दायरे से बाहर समझे जाने वाला मीडिया बिलकुल राइट टाइम  हो गया है। जेएनयू में मोदी के पुतला दहन को लेकर जिस तरह से न्यूज़ चैनलों में हैरानी जताते होते कार्रवाई की माँग की जा रही है,वह बताता है कि मोदीप्रेम में वे अपनी याददाश्त गँवा बैठे हैं।   
 

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उनके हाहाकार को देखकर ऐसा लगता है कि देश में पहली बार पीएम का पुतला फूँका गया है। सबसे दिलचस्प तौर-तरीका तो इन दिनों ज़ी न्यूज़ बनने को आतुतर दिख रहे एबीपी का नज़र आया। वह लगातार ''जेएनयू नहीं सुधरेगा'' जैसी हेडलाइन चला रहा था जो प्रोड्यूसर से लेकर संपादक तक की समझ का पता दे रही थी। गोया एबीपी को पक्का यक़ीन है कि जेएनयू कोई बिगड़ी हुई जगह है। देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में एक कहे जाने इस विश्वविद्यालय की प्रतिभा और मेधा का उसे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है। वैसे, लिखने वालों ने यह भी नहीं सोचा कि पुतला कांग्रेसी छात्रों ने फूँका है जबकि उसके ''सुधार'' का निशाना वामपंथी हैं।

सच्चाई यह है कि भारत शुरू से ही ''पुतला फूँक'' लोकतंत्र है। यहाँ तो गाँधी को भी रावण बताकर उनका वध करने वाले कार्टून छापे गये और ऐसा किसी और ने नहीं ख़ुद बीजेपी के वैचारिक पुरखों ने किया। ज़रा इस कार्टून को देखिये जिसमें सावरकर और श्याप्रसाद मुखर्जी दस सिर वाले गाँधी का वध करने को तैयार हैं। दस सिरों में पटेल, नेहरू और आज़ाद सब हैं। 

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आखिर, देश में कौन सा पीएम और सीएम हुआ है जिसका पुतला न फूँका गया हो। बीजेपी ने अतीत में प्रधानमंत्री का पुतला ही नहीं फूँका, मनमोहन सिंह को चोर तक कहा था। ख़ैर, वह राजनीतिक दल है, आपत्ति करे तो समझ में आता है, लेकिन जब चैनलों स्मृतिभंग क शिकार होकर रोना रो रहे हैं तो फिर ये तस्वीरें उन्हें होश में ला सकती हैं..हालाँकि वे होश में आना चाहते हैं, इसमें शक है..!

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(यह तस्वीर 25 अक्टूबर 2012 की है जब भाजपा कला संस्कृति मंच ने पटना के विधायक आवास चौराहे पर 'आज के रावण ' का पुतला फूंका l पुतले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, सलमान खुर्शीद, दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित, कृषि मंत्री शरद पवार, ए राजा व सुरेश कलमाड़ी का रूप दिया गया था l )

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और केजरीवाल तो भाजपाइयों के लिए साक्षात रावण हैं…लेकिन चैनलों को नहीं दिखता…

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चैनलों को याद रहा बस जेएनयू में मोदी का पुतला दहन…रावण बना डाला मोदी को…ग़ज़ब हुआ, घोर कलियुग. !..और बाक़ी के साथ जो हुआ उसको देख समझ पाने लायक़ आँखें ये गँवा चुके हैं….
 
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Courtesy: Media Vigil

 

हिंदुत्ववादी नेता ने फेसबुक पर लगाई हथियारों की तस्वीर, केस दर्ज होने पर कहा- बेटे के खिलौने थे

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हिंदू मक्कल काच्छी संगठन के नेता अर्जुन संपत पर अपने घर में शस्त्र पूजा करने और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर मामला दर्ज किया गया है।

संपत के खिलाफ सेक्शन 153(ए) और 25(ए) के तहत समुदायों में दुश्मनी फैलाने का केस दर्ज किया गया है। हथियारों की तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट करने पर संपत की काफी निंदा की जा रही है। हालांकि, संपत ने बाद में वह पोस्ट अपनी प्रोफाइल से हटा ली हैं।

Photo courtesy: toi
Photo courtesy: Times of India

कुछ राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संस्थाओं ने पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर संपत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे समाज में अशांति फैल सकती है। साथ ही कहा गया है कि यह भी जांचा जाए कि क्या उनके पास हथियारों का वैध लाइसेंस है।

जनसत्ता की खबर के अनुसार, अपने ऊपर लगे आरोपों पर संपत ने कहा कि वे बंदूकें नहीं थी, बल्कि उनके बेटे के खिलौने थे। साथ ही कहा कि जो धातु के हथियार थे वे उन्हें स्मृति चिन्ह के तौर पर गिफ्ट किए गए थे। पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी है। शुरुआती जांच में पाया है कि बंदूकें उनके पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर की थीं।

Courtesy: Janta ka Reporter

झारखंड: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा, पुलिस की पिटाई से हुई थी मुस्लिम युवक की मौत

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झारखंड में वॉट्सएप पर बीफ पर कमेंट करने के आरोप में हिरासत में लिए गए मिनहाज अंसारी नाम के युवक की रविवार को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। और मिनहाज को दिमागी बुखार होने की बात कही गई थी लेकिन अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मिनहाज़ की मौत दिमागी बुखार से नहीं बल्कि पुलिस के पीटने से हुई थी।

Minhaz Ansari

जामतारा जिले में रहने वाले के मिनहाज़ की पुलिस हिरासत में 2 अक्टूबर को तबियत बिगड़ गई थी जिसके बाद उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत में कोई सुधार न होने के बाद उसे धनबाद ले जाया गया और अंत में 9 अक्टूबर को रांची के रिम्स में उसकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम में शरीर के कई हिस्सों में अंदरुनी चोट का खुलासा हुआ है लेकिन उसके पेट में कुछ नहीं मिला। ऐसे में डॉक्टरों ने उसे पुलिस हिरासत रखे जाने की आशंका जताई है।

 

हालांकि, स्थानीय जमतारा पुलिस के उस दावे की जांच जारी है जिसमें उसने मिनहाज़ के इनसिफेलाइटिस की बीमारी से पीड़ित होने की बात कही थी. अब उसके विसरा को सुरक्षित रख लिया गया है जिसे आगे की जांच के लिए भेजा जाएगा. विसरा रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस के दावे की सत्यता की जांच हो सकती है।

एनडीटीवी की खबर के अनुसार,ताजा घटनाक्रम के बाद दुमका जिला प्रशासन ने अब सभी एडमिनिस्ट्रेटर को व्हॉट्सऐप पर ग्रुप चलाने वाले एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि उन्हें केवल ऐसे लोगों को समूह का सदस्य बना चाहिए जिन्हें वे पहचानते हों और यदि कोई सदस्य कोई आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करता है तो उसे तत्काल समूह से निकाल दिया जाना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर एडमिनिस्ट्रेटर जिम्मेदार होगा और इसके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी।

Courtesy: Janta ka Reporter