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स्कूल बना गौशाला, रसोई में रखे हैं कंडे

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मध्य प्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून का किस तरह से मजाक उड़ाया जा रहा  है, इसकी मिसाल है मुरैना में खेरवारे का पुरा-सांगोली गांव का प्राथमिक विद्यालय।

Gaushala
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करीब दस साल पहले यह स्कूल खासतौर पर दलित बच्चों के लिए शुरू किया गया था, लेकिन आज ये गौशाला में तब्दील हो चुका है। जमीन पर जानवर बांधने के लिए खूँटे गड़े हैं, दीवारों पर कंडे चिपके हैं। केवल एक ब्लैकबोर्ड ही है जिससे साबित होता है कि यह गौशाला नहीं स्कूल है।

कहने को स्कूल में पहली से पाँचवीं कक्षा तक के तीस बच्चे हैं, लेकिन न कोई  बच्चा यहाँ दिखता है और न ही शिक्षक। वैसे यहाँ दो शिक्षकों की तैनाती है लेकिन पढ़ाने यहाँ कोई नहीं आता। पास के मिडिल स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि जो बच्चे यहाँ से पास होकर निकले हैं, वो अक्षर तक नहीं पहचानते, यानी पूरा स्कूल केवल कागजों पर चल रहा है।

स्कूल की अनदेखी का कारण जातिवाद ही है। स्कूल के हेडमास्टर रामकुमार तोमर ठाकुर जाति का है जो दलित बच्चों को पढ़ाई से दूर रखना चाहता है क्योंकि ये बच्चे पढ़-लिख गए तो खेतों में मजदूरी कौन करेगा।

गाँव के राधेश्याम जाटव का कहना है, “हरिजन बस्ती में स्कूल है तो यहाँ के बच्चों को मास्टर क्यों छुएगा। यही कारण है कि खाली पड़े स्कूल में हम लोग अब अपने जानवर बाँधने लगे हैं।”  गौशाला बन चुके स्कूल के हेडमास्टर रामकुमार तोमर का हास्यास्पद दावा है कि वो पूरी ईमानदारी से पढ़ाते हैं और जातिवाद तथा छुआछूत में यकीन नहीं करते।

एक छात्र सूरज जाटव ने बताया कि मिड-डे मील के नाम पर कोटा लेने के लिए बच्चों के नाम तो लिखे जाते हैं, लेकिन बच्चों को न पढ़ाया जाता है और न मिडडे मील दिया जाता है। इसी के कारण छह साल के गुड्डू को पहली कक्षा में होना चाहिए लेकिन उसका नाम पाँचवीं में दर्ज कर दिया गया है। इसी तरह से सात साल का देवेश भी रिकॉर्ड के अनुसार पाँचवीं का छात्र है। इसी तरह से स्कूली रजिस्टर की खानापूर्ति की जाती है।

स्कूल में तीन कमरे हैं, लेकिन सब या तो जानवर बाँधने के काम आते हैं या गोबर के कंडे पाथने के। मिडडे मील पकाने वाली अंगूरी देवी बताती हैं, “रसोई में तो गोबर भरा है। मास्टर कभी-कभी मुझे एक पाव दाल और रोटियाँ बनाने को कहता है तो मैं अपने घर से बना लाती हूँ। तब बच्चे भी अपने घर से थाली प्लेट लेकर आ जाते हैं।”

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बादाम सिंह मानते हैं कि गाँव वालों ने स्कूल की शिकायत की है, इसलिए एक शिक्षक का वहाँ से तबादला करके कंचन सिंह नाम के दूसरे शिक्षक को भेजा गया है। नया मास्टर है तो दलित जाति का लेकिन हेडमास्टर की
चलाई परंपरा का ही वह पालन करता है और सप्ताह में केवल दो दिन स्कूल आता है।

सवाल यह भी है कि दस साल में बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, वह एक तबादले से कैसे पूरा हो सकता है, और इससे भी बड़ा सवाल ये है कि एक टीचर के तबादले से फर्क क्या पड़ा है। हालात तो जस के तस हैं।

गरबा में आने वालों पर गौमूत्र का छिड़काव

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गांधीनगर : बजरंग दल के कार्यकर्ता अब गरबा में भाग लेने वाले गैर हिंदुओं पर गौमूत्र छिड़ककर उन्हें “पवित्र” करने का अभियान शुरू किया है। दरअसल, ये सारी कवायद गैर हिंदुओं को गरबा आयोजनों से दूर रखने की है। गांधीनगर के सेक्टर 11 के गरबा समारोह में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने लोगों पर गौमूत्र छिड़कना शुरू किया, लेकिन लोगों की प्रतिक्रियाओं से लग रहा था कि उन्हें ये हरकत पसंद नहीं आ रही है।

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Image: Navbharat Times

कपड़ों पर दाग पड़ने से रोकने के लिए गौमूत्र के साथ गंगाजल का मिश्रण किया गया था, लेकिन लोगों की नाराजगी छिपी नहीं रही। कुछ लोगों ने तो इसका विरोध नहीं किया लेकिन आईटी विशेषज्ञ देवदत्त सिंह रावल जैसे कई लोगों ने न केवल इसका विरोध किया बल्कि पुलिस भी बुला ली।

उनकी पत्नी जानकी बा बताती हैं- “बजरंग दल वालों ने हमें बाहर निकाल फेंकने की धमकी भी दी। हमारे पास पास था तो वे हमें रोकने वाले कौन होते हैं? कई लोग डर के मारे चुप रहे लेकिन मुझे किसी को साबित करने की ज़रूरत नहीं कि मैं हिंदू हूँ।”

उस समारोह में आमंत्रित सामाजिक न्याय मंत्री केशाजी चौहान का भी स्वागत बजरंद दल वालों ने गौमूत्र छिड़ककर ही किया। बजरंग दल की गांधीनगर इकाई के जिलाध्यक्ष अमित उपाध्याय का कहना है- हम तो चार साल से ये काम कर रहे हैं। लव-जिहाद रोकने के लिए ये तरीका हमने अपनाया है। पहले हम लोग तिलक लगाते थे लेकिन बाद में लगा कि गैर हिंदुओं को दूर रखने के लिए गौमूत्र ज्यादा कारगर है। उपाध्याय के साथ करीब 300 युवाओं की टीम है जो होली और नवरात्रि पर भी “संस्कृति रक्षा” का काम करती है।

अमित उपाध्याय कहते हैं- “हमें पुलिस की परमीशन की ज़रूरत नहीं है। हम अपने धर्म की सेवा कर रहे हैं। जो लोग गौमूत्र छिड़कवाने से इन्कार करेंगे, उन्हें हम बाहर निकाल देंगे।”

जबरन गौमूत्र छिड़कने के बारे में गांधीनगर के डीएसपी विजय पटेल का कहना है- “हमें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है। अगर कोई शिकायत हमें मिली तो हम उस पर जरूरी कार्रवाई करेंगे।”

थंगानट गरबा के आयोजक रोहित नायानी किसी विवाद में पड़ने से बचना चाहते हैं। वे कहते हैं, “बजरंग दल वाले पिछले तीन साल से यहाँ आ रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी कोई शिकायत नहीं मिली है।”

गरबा में आने वाले सभी आगंतुकों पर गौमूत्र तो छिड़का जा रहा है लेकिन भाजपा से जुड़े अल्पसंख्यक नेताओं को इससे अलग रखा गया। सामाजिक न्याय मंत्री केशाजी चौहान और धर्मगुरु भैयूजी महाराज पर गौमूत्र डाला गया लेकिन उनके साथ आए भाजपा नेता और सूफी संत महबूब अली चिश्ती को बिना गौमूत्र छिड़के अंदर आने दिया गया। बजरंग दल वाले इसके लिए भीड़ का बहाना बनाते हैं।

Courtesy: Ahmedabad Mirror