बाबा साहेब, मुझे बचाओ!
संदीप कुमार पर संकट आया तो बाबा साहेब याद आ गए. दलित पहचान का हवाला देने लगे. मैंने कई नेताओं और अफसरों को, फंस जाने पर, इस तरह रोते गाते देखा है.
संदीप महाराज, दो साल जब आप मंत्री थे, तब बाबा साहेब के एजेंडे पर क्या कर रहे थे?
दलितों के सशक्तिकरण के लिए दिल्ली की आम आदमी पार्टी की आपकी सरकार ने कौन सा एक कदम उठाया? समाज कल्याण मंत्री के पद पर रहते हुए आपने बाबा साहेब के विचार के मुताबिक क्या किया?
वह तो छोड़िए, अपनी वाल्मीकि जाति के लिए आपने क्या किया? सफाई कर्मचारियों को पर्मानेंट करने का आपकी पार्टी का चुनावी वादा था. क्या एक भी सफाई कर्मचारी को आप पर्मानेंट करा पाए? क्या आपने कैबिनेट की बैठक में यह मांग उठाई?
अगर आप अपने समाज के साथ खड़े होते, तो संकट के समय में आप इस तरह अकेले न होते.
आपका संकट है, आप निपटिए….बाबा साहेब का नाम लेने से आपको कोई फायदा नहीं होगा. बाबा साहेब की कृपा से आप एमएलए और मंत्री बन गए. और उन्हें ही भूल गए? अब भुगतिए.
और आपने कोई महान काम तो किया नहीं है. आपका पर्सनल मैटर है.
जो नेता या अफसर पे बैक टू सोसायटी नहीं करता, उसके प्रति मेरी कोई सिंपैथी नहीं है.