Written by Dilip Khan
बाय दे वे खट्टर , साक्षी ने जींस पहन रखी है !
खट्टर ने एक वक़्त में आदेश दिया कि हरियाणा में कोई भी स्कूल शिक्षिका जींस पहनकर नहीं आएंगी। बाद में पलट गए।
लड़कियों के ख़िलाफ़ काम करने वाले खाप का खट्टर ने समर्थन किया।
खट्टर ने कहा कि ‘बलात्कार के लिए लड़किया ज़्यादा ज़िम्मेदार होती हैं, क्योंकि वो शालीन ड्रेस नहीं पहनती और इससे लड़के मचल जाते हैं’।
खट्टर की लाइन पर अगर साक्षी चलतीं तो आज उन्हें कोई नहीं जानता और खट्टर आज उन्हें फूल-माला नहीं दे रहे
होते।
बाय दे वे, साक्षी ने जींस पहन रखी है।
और देखिए किस तरह जीतने के बाद वो मर्द के कंधे पर चढ़ गई थीं।
RSS और विहिप के मॉडल पर अगर साक्षी-सिंधू चलतीं तो घर में बैठकर चूल्हा-चौका करतीं या फिर दस बच्चे पैदा करने पर ध्यान लगातीं। संघ का यही मॉडल है लड़कियों के लिए।
सरकार को छोड़कर पूरे देश को बधाई देने का हक़ है। सरकार ने तो पदक तालिका से बाहर रखवाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। दीपा कर्माकर को फीजियो की ज़रूरत थी। नहीं भेजा। जब वो फाइनल में पहुंची तब जाकर सरकार ने एक फीजियोथेरेपिस्ट को यहां से रवाना किया।
बेशर्म मंत्री ने देश का नाम लगभग डुबो दिया था।
ओलंपिक कमेटी विजय गोयल का एक्रीडेशन रद्द करने वाला था। नोटिस दे ही दिया। ये आदमी वहां जाकर लगुओं-भगुओं के साथ मिलकर लोगों से बदतमीजी कर रहा था।
इसलिए देश में हर कोई बधाई दें, सरकार को छोड़कर।